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ऐसा प्रतीत होता था कि अमेरिका, भारत का मित्र है ; किंतु, जो संकट के समय सहायता करता है, वही सच्चा मित्र होता है । अमेरिका द्वारा दिखाई गई कृतघ्नता को देखते हुए भारतीयों को हमेशा याद रखना चाहिए कि, अमेरिका भारत का सच्चा मित्र कभी नहीं हो सकता !
वॉशिंगटन (यूएसए) – “हम भारत के अनुरोध को स्वीकार करने के पहले अपने नागरिकों को अधिक प्राथमिकता देंगे । हमारे ऊपर अमेरिकी नागरिकों की विशेष जिम्मेदारी है”, यह कहते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोरोना वैक्सीन बनाने में उपयोग होनेवाले आवश्यक कच्चे माल पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंध को उठाने से मना कर दिया है । कुछ दिनों पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी ।
‘Americans first’: US cites domestic priorities to reject India’s vaccine plea https://t.co/N8046vq4YI pic.twitter.com/3Tqj6sFSGW
— The Times Of India (@timesofindia) April 23, 2021
उसके बाद, भारतीय अधिकारियों ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिका सकारात्मक निर्णय लेगा । सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पुनावाला ने भी बायडेन को एक ट्वीट के माध्यम से अनुरोध किया था ।
अमेरीकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि, ‘अमेरिकी नागरिकों का टीकाकरण होना, यह संयुक्त राज्य अमेरिका के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के हित में है । हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी है कि हम अमेरिकी नागरिकों की रक्षा करें क्योंकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोना से मृत लोगों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है ।’
अमेरिका की कृतघ्नता !संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले वर्ष कोरोना की भीषण लहर के आने पर कोरोना रोगियों का इलाज करने के लिए भारत ने आवश्यक दवा, ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन’, का निर्यात किया था । अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आवाहन का सम्मान करते हुए भारत ने मानवता की भावना से अमेरिका की सहायता की थी ; किंतु, अब जब भारत कठिनाई में है, तब अमेरिका ने कृतघ्नता दिखाई है । |