विश्व हिंदु परिषद देश के ४ लाख मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में अभियान चलाएगी !

  • राज्य सरकारों से चर्चा करेगी !

  • आंध्रप्रदेश सरकार के आदेश के कारण १० मंदिरों की भूमि गोल्फ कोर्स के लिए !

  • तिरुपति मंदिर की वार्षिक आय १ सहस्र ३०० करोड का ८५ प्रतिशत सरकार के पास जमा होता है !

विहिप का यह प्रशंसनीय अभियान है, ऐसा होने पर भी, केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों को मंदिरों का सरकारीकरण रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए, ऐसा हिंदूओं को लगता है ! उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी चारधाम और अन्य मंदिरों का सरकारीकरण करने का प्रयास कर रही है और उसका उच्चतम न्यायालय में विरोध किया गया है, इसका भी विचार होना चाहिए, ऐसा भी हिंदूओं को लगता है !

नई दिल्ली – विश्व हिंदु परिषद ने देश के ४ लाख मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने के लिए अभियान चलाने की घोषणा की है । विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि देश के विविध राज्यों में ४ लाख मंदिरों का सरकारीकरण किया गया है । मैं उन्हे आवाहन करता हूं कि, उन्हें मठ और मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करना चाहिए । इसके लिए जल्द ही राज्य सरकारों से विहिप चर्चा करेगी । यदि आवश्यकता पडी, तो इसके लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की जाएगी ।

मिलिंद परांडे ने कहा कि,

१. समाज हित के लिए मंदिरों का उपयोग करने की बजाए भक्तों द्वारा मठ और मंदिरों को अर्पण की गई भूमि का अन्य कामों के लिए उपयोग किया जा रहा है । इन मंदिरों का उपयोग हिंदु धर्म के प्रसार केंद्र के रुप में होना चाहिए। ।

२. अनेक सरकारों द्वारा मंदिरों पर नियंत्रण कर भारतीय संस्कृति नष्ट करने का षडयंत्र रचा गया है । कुछ मंदिरों में तो पूजा-अर्चना भी योग्य प्रकार से नहीं की जाती है । इसके लिए ही लोगों को आगे आकर सरकार पर दबाव निर्माण करना चाहिए और मंदिरों का व्यवस्थापन समाज को सौंपना चाहिए । भक्तों को ही इसका व्यवस्थापन करना चाहिए ।

३. आंध्रप्रदेश के तिरुपति तिरुमला मंदिर में प्रतिवर्ष १ सहस्र ३०० करोड रुपए दान में आते हैं, जिसमें से ८५ प्रतिशत पैसे सरकार के पास जमा होते हैं ।

४. आंध्रपेदेश सरकार के कहने पर राज्य के १० मंदिरों को उनकी भूमि गोल्फ कोर्स बनाने के लिए देनी पडी है । हिंदु भक्तों ने इसके लिए मंदिरों को भूमि नहीं दी है ।

५ . राज्य सरकार की ओर से मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है । इसके लिए ही हिंदु भक्त मंदिरों में धन अर्पण करते हैं क्या ? अन्य धर्मियों के धार्मिक स्थलों का व्यवस्थापन उन्हीं के लोग करते है; तो हिंदूओें के मंदिरों पर यह प्रतिबंध क्यों लगाए जाते हैं ? हिंदूओं द्वारा मंदिरों को अर्पण किए पैसों पर सरकार का अधिकार नहीं होना चाहिए ।

रा.स्व. संघ का भी समर्थन

रा.स्व. संघ के अखिल भारतीय सहप्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने विहिप के इस अभियान का समर्थन किया है । उन्होंने कहा कि हिंदूओं के मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होकर उनका व्यवस्थापन समाज की ओर से होना चाहिए । उसी प्रकार मंदिरों के धन का उपयोग सामाजिक कार्यों के लिए होना चाहिए । (मंदिरों के धन का उपयोग सामाजिक नहीं तो केवल धार्मिक कार्यों के लिए ही होना चाहिए । सामाजिक कार्य करने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाएं हैं । मंदिर का पैसा केवल धर्म का है और उसका उसी के लिए उपयोग करना चाहिए ! – संपादक)

सद्गुरू जग्गी वासुदेव का तामिलनाडु में अभियान

सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने उनके ‘ईश फाउंडेशन’ की ओर से इसके पहले ही तामिलनाडु के सरकारीकरण हुए सहस्रों मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में अभियान चालू किया है । सद्गुरू जग्गी वासुदेव की दी जानकारी के अनुसार तामिलनाडु में १२ सहस्र मंदिरों की स्थिति अत्यंत दयनीय है; कारण वहां पूजा ही नहीं होती है । ३४ सहस्र मंदिरों में १० सहस्र रूपये वार्षिक में मंदिरों के सभी काम करने पडते हैं । ३७ सहस्र मंदिरों में एक व्यक्ति के द्वारा ही देखभाल की जाती है ।