केरल के कोडुंगल्लूर में भद्रकाली मंदिर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध !

केरल में साम्यवादी सरकार के कार्यकाल में, हिन्दू धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाना हिन्दू द्वेष ही है ! क्या साम्यवादी सरकार अन्य धर्मियों की किसी धार्मिक कृति पर प्रतिबंध लगाने का साहस जुटा पाएगी ?

त्रिशूर (केरल)- केरल सरकार ने कोरोना महामारी का कारण बताते हुए राज्य के कोडुंगल्लूर के भद्रकाली मंदिर में प्राचीन काल से चले आ रहे धार्मिक अनुष्ठान करने से हिन्दू श्रद्धालुओं को प्रतिबंधित कर दिया है । श्रद्धालु अनुष्ठान ही न कर पाएं; इसलिए पुलिस तैनात की गई है । धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय प्रशासन एवं मंदिर के शासकीय कर्मचारियों द्वारा हिन्दू श्रद्धालुओं से विचार-विमर्श किए बिना अपनी मनमानी करते हुए लिया गया है ।

१. भद्रकाली मंदिर मूलतः एक शिव मंदिर था । ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम ने स्वयं भगवान शिव के पास काली माता की मूर्ति स्थापित की थी । यह मंदिर चेर वंशी राजाओं के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण मंदिर था तथा कोडुंगल्लूर उनकी राजधानी थी ।

२. प्रतिवर्ष मार्च के माह में, ‘मीना भरणी’ के त्योहार में, जिनके शरीर में दिव्य संचार होता है, ऐसे व्यक्ति कोडुंगल्लूर के श्री कुरुम्बा भगवती मंदिर में आते हैं । वे अपने पारंपरिक पहनावे में मंदिर की परिक्रमा करते हैं तथा जैसे ही उनके शरीर में दिव्य संचार होता है, हंसिये के आकार के शस्त्र से अपने ललाट पर प्रहार करते हैं । उनके घावों पर हल्दी का चूर्ण लगाने से घाव ठीक हो जाते हैं । उनकी श्रद्धा है कि दैवी कृपा के कारण घाव भर जाते हैं ।

३. हिन्दू संगठन ‘रिक्लेम टेंपल्स’ के अनुसार, यह जिलाधीश शानवास ने ही इन धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगा दिया है । (ऐसे अधिकारी भारत के हैं या पाकिस्तान के ? – संपादक )  जिला प्रशासन द्वारा बडी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रद्धालु एवं शरीर में दैवी संचार होने वाले व्यक्ति मंदिर में कोई अनुष्ठान नहीं कर सकें। (क्या कभी धर्मांधों में भय उत्पन्न करने के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती ? – संपादक)

४. पुलिस ने होटल मालिकों को स्थानीय होटल में भाडे पर कमरे नहीं देने की चेतावनी दी है । नगर शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों को भी पुलिस द्वारा रोका जा रहा है तथा उन्हें लौटने के लिए कहा जा रहा है । मंदिर के आसपास कोई भी दुकान लगाने करने की अनुमति नहीं है । केरल पुलिस ने पूरे शहर पर नियंत्रण कर लिया है एवं स्थानीय लोगों को चेतावनी दी है कि वे अपने घरों में अतिथियों को ठहरने की अनुमति न दें ।

५. कुछ दिन पूर्व ही, देवी भद्रकाली को दी जा रही पशु बलि समेत अन्य परंपराएं, पशु अधिकारों एवं समयोचित धार्मिक सुधारों का कारण बताते हुए रोक दी गई हैं । (इससे ज्ञात होता है कि केरल में हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं को कैसे मिटाया जा रहा है । इसे रोकने के लिए हिन्दुओं का प्रभावी संगठन आवश्यक है ! – संपादक)