अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘ऑनलाईन’ चर्चा के समय भाजपा सरकार पर टिप्पणी !
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नई दिल्ली – इराक में सद्दाम हुसैन और लीबिया में मुअम्मर गद्दाफी यह भी चुनाव जीतकर आते थे; लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि, वहां लोकतंत्र अस्तित्व में था । जनता मतदान करती थी; परंतु वे सच्चे मत घोषित नहीं करते थे; क्योंकि उनके हितों की रक्षा सुनिश्चित करने वाली कोई भी संस्था वहां योग्य पद्धति से काम नहीं करती थी । हम इस सीमा रेखा से नीचे तो नहीं गए हैं, इसका भारत को विचार करना चाहिए । केवल लोगों का जाकर मतदान यंत्र का बटन दबाकर वापस आना, इसे लोकतंत्र नहीं कहते ।
Even Saddam Hussain, Muammar Gaddafi held elections and won: #RahulGandhi #Congress https://t.co/N6mXp4OcEU
— FinancialXpress (@FinancialXpress) March 17, 2021
देश की शासन-प्रशासन व्यवस्था योग्य पद्धति से काम कर रही है या नहीं ? न्यायपालिका निष्पक्ष है या नहीं ? और संसद में किन बिंदुओं पर चर्चा होती है, ऐसे अनेक सूत्रों से चुनाव का संबंध होता है, ऐसे विधान कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा पर किए । वे अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक ऑनलाईन चर्चा में बोल रहे थे । इसमें उन्होने केंद्र सरकार, भाजपा और रा.स्व.संघ पर टिप्पणी की ।
“Saddam Hussein and Gaddafi used to have elections. They used to win them," said Rahul Gandhi.https://t.co/D1SwZurFeG
— News18.com (@news18dotcom) March 17, 2021
विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चर्चा में बोल सकते हैं; तो भारत में क्यों नही ? ऐसा प्रश्न इस समय पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि, देश के अनेक बिंदुओं पर देश के विद्यार्थियों से चर्चा करने की इच्छा है; लेकिन आपको यह भी पता है कि, इसके लिए अनुमति नहीं मिलेगी । सभी विश्वविद्यालय मुझे बुलाकर ऐसी चर्चा या संवाद आयोजित नहीं कर सकते; यदि वे ऐसा करते हैं तो उस विश्वविद्यालय के कुलपति को तुरंत हटाया जाएगा, ऐसा दावा उन्होंने किया ।
(कांग्रेस और उसमें भी राहुल गांधी के राष्ट्र विरोधी विचार भारतीय विद्यापीठों को ज्ञात होने के कारण उनके लोकतंत्र के विषय में ‘अचूक’ विचार सुनने के लिए कोई उत्सुक नहीं है । ऐसा होने पर भी जवाहरलाल नेहरु विद्यापीठ में राहुल गांधी को निश्चित ही बुलाया जाएगा; कारण ये विद्यापीठ राष्ट्रविरोधियों का अड्डा होने के कारण दोनों के ही विचार जुडेंगे ! – संपादक)