सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी चुनाव जीतते थे; लेकिन वहां लोकतंत्र था, ऐसा नहीं ! – राहुल गांधी की केंद्र की भाजपा सरकार पर टिप्पणी

अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘ऑनलाईन’ चर्चा के समय भाजपा सरकार पर टिप्पणी !

  • कांग्रेस ५५ वर्षों से चुनाव जीत रही थी । इसका अर्थ उस समय लोकतंत्र था क्या, ऐसी शंका जनता के मन में हमेशा ही होती है ! कांग्रेस द्वारा आपातकाल लगाने से इस शंका को और बल मिला । इस विषय में राहुल गांधी क्यों नही बोलते ?

  • विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा ‘ऑनलाइन’ आयोजित किए गए कार्यक्रम में ‘भारत में लोकतंत्र नही’, ऐसा चित्र रखकर भारत की मानहानि करने वाले राहुल गांधी ! ऐसे नेता जनता का नेतृत्व करने के पात्र हैं क्या ?
राहुल गांधी

नई दिल्ली – इराक में सद्दाम हुसैन और लीबिया में मुअम्मर गद्दाफी यह भी चुनाव जीतकर आते थे; लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि, वहां लोकतंत्र अस्तित्व में था । जनता मतदान करती थी; परंतु वे सच्चे मत घोषित नहीं करते थे; क्योंकि उनके हितों की रक्षा सुनिश्चित करने वाली कोई भी संस्था वहां योग्य पद्धति से काम नहीं करती थी । हम इस सीमा रेखा से नीचे तो नहीं गए हैं, इसका भारत को विचार करना चाहिए । केवल लोगों का जाकर मतदान यंत्र का बटन दबाकर वापस आना, इसे लोकतंत्र नहीं कहते ।

देश की शासन-प्रशासन व्यवस्था योग्य पद्धति से काम कर रही है या नहीं ? न्यायपालिका निष्पक्ष है या नहीं ? और संसद में किन बिंदुओं पर चर्चा होती है, ऐसे अनेक सूत्रों से चुनाव का संबंध होता है, ऐसे विधान कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा पर किए । वे अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक ऑनलाईन चर्चा में बोल रहे थे । इसमें उन्होने केंद्र सरकार, भाजपा और रा.स्व.संघ पर टिप्पणी की ।

विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चर्चा में बोल सकते हैं; तो भारत में क्यों नही ? ऐसा प्रश्न इस समय पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि, देश के अनेक बिंदुओं पर देश के विद्यार्थियों से चर्चा करने की इच्छा है; लेकिन आपको यह भी पता है कि, इसके लिए अनुमति नहीं मिलेगी । सभी विश्वविद्यालय मुझे बुलाकर ऐसी चर्चा या संवाद आयोजित नहीं कर सकते; यदि वे ऐसा करते हैं तो उस विश्वविद्यालय के कुलपति को तुरंत हटाया जाएगा, ऐसा दावा उन्होंने किया ।

(कांग्रेस और उसमें भी राहुल गांधी के राष्ट्र विरोधी विचार भारतीय विद्यापीठों को ज्ञात होने के कारण उनके लोकतंत्र के विषय में ‘अचूक’ विचार सुनने के लिए कोई उत्सुक नहीं है । ऐसा होने पर भी जवाहरलाल नेहरु विद्यापीठ में राहुल गांधी को निश्चित ही बुलाया जाएगा; कारण ये विद्यापीठ राष्ट्रविरोधियों का अड्डा होने के कारण दोनों के ही विचार जुडेंगे ! – संपादक)