(कहते हैं)  ‘सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने का निर्णय नहीं होना चाहिए  था  !’

केरल के माकपा सरकार के मंत्री सुरेंद्रन द्वारा खेद व्यक्त करने का नाटक !

  • केरल में होने वाले विधानसभा चुनावों में अब माकपा हिंदुओं के वोट पाने के लिए पाखंडी खेद व्यक्त कर रही है ।हिंदू कोई दूधपीते बच्चे नहीं हैं कि यह भी न समझें  । यदि माकपा को वास्तव में खेद लगता हो, तो सरकार को इसे आधिकारिक रूप से घोषित करना चाहिए तथा सर्वोच्च न्यायालय में १० से ५० वर्ष आयु-वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का विरोध करना चाहिए !

तिरुवनंतपुरम (केरल) –  वर्ष २०१८ में महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से संदर्भित घटना एक बंद अध्याय है । ऐसा नहीं होना चाहिए था, इन शब्दों में चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में माकपा नेता तथा सरकार में मंत्री, कदकंपल्ली सुरेंद्रन ने खेद व्यक्त किया । वर्ष २०१८ में, सर्वोच्च न्यायालय ने १० से ५० वर्ष आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का निर्णय किया था । इस प्रवेश का भक्तों द्वारा विरोध किया गया था ।

सर्वोच्च न्यायालय के उपर्युक्त निर्णय को आह्वान दिए जाने के उपरांत उस पर पुनर्विचार किया जाएगा । इस संदर्भ में सुरेंद्रन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय जो भी हो, परंतु हमारी सरकार लोगों से चर्चा करने के पश्चात ही कार्रवाई करने पर विचार करेगी ।