‘प्रैंक वीडियो’ के विरोध में केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत !

‘यूथ अगेन्स्ट इन्जस्टिस फाऊंडेशन’ (‘अन्याय के विरुद्ध युवा फाउंडेशन’) की ओर से पहल !

वास्तव में इसके विरुद्ध प्रशासन, जिसके हाथ में संपूर्ण यंत्रणा है, कार्रवाई करेगा, यह अपेक्षा की जाती है । प्रशासन के लिए यह शर्म की बात है कि, जब कोई अन्य संगठन इस तरह की अयोग्य कृति को प्रकाश में लाता है, तभी वह कार्रवाई करता है !

नई दिल्ली : महिलाओं के उपर लैंगिक अत्याचार करके उनके अश्लील प्रैंक वीडियो बनाने और उन्हें यूट्यूब जैसी वेबसाइटों पर पोस्ट करने का चलन बढ रहा है । एक गैर-सरकारी संगठन, ‘यूथ अगेन्स्ट इन्जस्टिस फाऊंडेशन’ ने महिलाओं के विरुद्ध अश्लील साहित्य और हिंसा के प्रसार को रोकने के लिए पहल की है । १० मार्च को संगठन ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित किया ।

ट्विटर के माध्यम से, संगठन ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा को ट्वीट किया है । परिणामस्वरूप, यह प्रकरण सामने आया और महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार के इस पहलू को उजागर किया गया है ।

(सौजन्य : BIHARI SHAAN)

प्रैंक वीडियो क्या है ?

‘प्रैंक वीडियो’, अर्थात् कहीं जाकर किसी के व्यवहार करने के बारे में, लोगों की जानकारी के बिना वीडियो बनाना । ‘कोई व्यक्ति आप पर निशाना साध रहा है और इस पर संबंधित का ध्यान भी नहीं होगा ।’ इस प्रकार मजाक के रूप में बनाया गया वीडियो ‘‘प्रैंक वीडियो’’ कहा जाता है । महिलाओं को गलत जगह पर स्पर्श करने, अचानक सबके समक्ष महिलाओं के चुंबन लेने, उन्हें अचानक उठा लेने जैसे असभ्य वर्तन करने के ‘‘ वीडियो’’ भी प्रैंक वीडियो के माध्यम से सामने आ रहे हैं । अगर महिलाएं इस तरह के यौन उत्पीडन पर आपत्ति जताती हैं, तो ‘‘यह तो बस एक शरारत” थी, के नाम पर निर्लज्जता के साथ खपाया जाता है तथा ऐसा करने वालों को बचा लिया जाता है ।