हिन्दू विधिज्ञ परिषद और हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ऑनलाइन अधिवक्ता अधिवेशन का आयोजन

भारत को सुराज्य की ओर ले जाने के लिए अधिवक्ताआें का संगठन आवश्यक !- रमेश शिंदे

सोलापुर (महाराष्ट्र) – गण अर्थात प्रजा, प्रजा का राज्य गणतंत्र के अनुसार किस प्रकार का होना चाहिए,यह वेदों के समय से बताया गया है । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि न्याय, स्वतंत्रता, बंधुता और समानता; परंतु यह समानता वर्तमान में दिखाई नहीं देती । हाल ही में तांडव वेब सीरीज में हिन्दुआें के देवताआें का बडी मात्रा में अनादर किया गया है । हिन्दुआें ने इसका बडी मात्रा में विरोध किया है ।

कुछ दिनों पूर्व गोवा में एक ईसाई पंथीय धर्मगुरु को एक चलचित्र के विनोदी भाग में दिखाया गया था । उसका ईसाई लोगों ने बडी मात्रा में विरोध किया था । इसलिए वह भाग तुरंत चलचित्र से हटा दिया गया । इस स्थान पर संविधान की समानता दिखाई नहीं देती । कश्मीर के हिन्दुआें को ३१ वर्षों पूर्व वहां से निष्कासित किया गया । इन ३१ वर्षों में वहां के हिन्दुआें को न्याय क्यों नहीं मिला ? सरकार विविध बातों का निजीकरण कर रही है, तब केवल हिन्दुआें के मंदिरों का ही सरकारीकरण क्यों करती है ?भारत में कानून की भाषा भी अंग्रेजी, वेशभूषा भी अंग्रेजों के समान है, अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून भी अभी तक वैसे ही हैं । उसके लिए भारत को स्वराज्य से सुराज्य की ओर ले जाने के लिए अधिवक्ताआें का संगठन आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री.रमेश शिंदे ने किया ।

आज सर्वत्र भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन गया है । इस व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए संवैधानिक मार्ग से कानून का अध्ययन कर राष्ट्र निर्माण के कार्य में धर्मप्रेमी अधिवक्ताआें को योगदान देना आवश्यक है । इस उद्देश्य से हिन्दू विधिज्ञ परिषद और हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में ऑनलाइन पद्धति से राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन का आयोजन किया गया था । उस समय वे हिन्दू राष्ट्र स्थापना की मूलभूत अवधारणा विषय पर बोल रहे थे । इस अधिवेशन में समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी की वंदनीय उपस्थिति थी । विविध राज्यों के अधिवक्ता सम्मिलित हुए थे। अधिवेशन के द्वितीय सत्र में पू. अधिवक्ता हरि शंकर जैनजी ने राष्ट्रनिर्मिति के कार्य में अधिवक्ता प्रत्यक्ष स्वरूप में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं, इस विषय पर अधिवेशन में सम्मिलित अधिवक्ताआें को मार्गदर्शन किया ।