पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की हालत बहुत दयनीय है !

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित आयोग की रिपोर्ट !

भारत में धर्मनिरपेक्षतावादी इस बारे में कभी अपना मुंह नहीं खोलेंगे ; हालांकि, भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों पर पत्थरबाजी की अफवाह भी यदि फैल जाए, तो वे हिंदुओं को तुरंत ‘तालिबानी’ और ‘असहिष्णु’ कहने लग जाते हैं !

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा और उनके धार्मिक स्थलों की ७ वीं रिपोर्ट को ‘शोएब सडल आयोग’ ने सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है । इसमें कहा गया है कि, हिंदू धार्मिक स्थलों की हालत बहुत ख़राब है । आयोग की स्थापना न्यायालय द्वारा की गई थी । इस आयोग में डॉ. रमेश वांकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल, ये तीन सहायक सदस्य हैं । आयोग ने ६ जनवरी को चकवाल स्थित कटास राज मंदिर और ७ जनवरी को मुल्तान के प्रल्हाद मंदिर का दौरा किया था । इन मंदिरों की दयनीय स्थिति की तस्वीरें इस रिपोर्ट में दी गई हैं ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि,

१. निष्क्रांत ट्रस्ट संपत्ति बोर्ड (Evacuee Trust Property Board ) अल्पसंख्यकों की प्राचीन स्मारकों और पूजा स्थलों की सुरक्षा करने में विफल रहा है ।

२. न्यायालय ने निष्क्रांत ट्रस्ट संपत्ति बोर्ड (Evacuee Trust Property Board) को तेरी मंदिर (कटक), कटास राज मंदिर (चकवाल), प्रह्लाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लासबेला) में मंदिरों का नवीनीकरण करने का निर्देश दिया है एवं वहां की प्रांतीय सरकार को न्यायालय के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया जाए ।

३. ईटीपीबी अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए । हिंदुओं और सिखों के धार्मिक स्थलों के रखरखाव और बहाली के लिए एक कार्य दल का गठन किया जाना चाहिए ।

४. आयोग ने इस संबंध में ईटीपीबी से कई जानकारी मांगी थी ; किन्तु, उनकी तरफ से कोई उत्तर नहीं मिला । २५ जनवरी को ईटीपीबी ने कुछ जानकारी प्रदान की ; किंतु, वह भी आंशिक थी ।

५. ईटीपीबी के अनुसार, ३६५ मंदिरों में से केवल १३ मंदिरों का प्रबंधन उसके द्वारा किया जाता है, जबकि ६५ मंदिरों की जिम्मेदारी हिंदुओं की है । शेष २८७ मंदिरों को भू-माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है, क्योंकि किसी पर उनकी जिम्मेदारी नहीं है ।

६. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईटीपीबी ने अभी तक अपनी संपत्ति को ‘जियो टॅगिंग’ नहीं किया है ।

७. ईटीपीबी ने हिंदुओं और सिखों की अल्प आबादी को मंदिरों और गुरुद्वारों का उचित संचालन में कमी के लिए कारण बताया है, यद्यपि, आयोग ने कहा कि कई मंदिर हैं जिनके आसपास के क्षेत्र में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, किंतु वे अच्छी तरह से काम कर रहे हैं । उदाहरण के लिए, बलूचिस्तान में हिंगलाज माता मंदिर और करक जिले में श्री प्रेमहंस जी महाराज मंदिर ।

८. आयोग का आरोप है कि, ईटीपीबी ट्रस्ट केवल अल्पसंख्यकों द्वारा छोडी गई मूल्यवान संपत्तियों के सरकारीकरण में रुचि रखता है ।