विवाहित महिला के साथ रहना ‘लिव इन’ नही, यह व्यभिचार का गुनाह ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

देश की नैतिकता इतनी नीचे गिर गई है कि उसे जीवित रखने के लिए ऐसा आदेश न्यायालय को देना पडता है !

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – विवाह होते हुए भी दूसरे पुरूष के साथ पति-पत्नी समान रहना ‘लिव इन रिलेशन’ नही होता, तो यह व्यभिचार का गुनाह है । इसके लिए पुरूष गुनहगार होता है, ऐसा आदेश यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिया । न्यायालय ने इस समय हाथरस जिले के ससनी में आशा देवी और अरविंद की याचिका को नकार दिया । आशा देवी का विवाह महेशचंद्र के साथ हुआ था । दोनो में तलाक नही हुआ है । फिर भी आशा देवी इस पति से दूर होकर दूसरे पुरूष के साथ एकत्र रह रही है । आशा देवी महेशचंद्र की विवाहित पत्नी हैं। फिर भी वह अरविंद और आशा पति-पत्नी के सम्बन्ध में रह रहे हैं । आशा देवी ने याचिका में कहा है कि, हम दोनो ‘लिव इन’ में रह रहे हैं । हमें हमारे परिवारवालों से सुरक्षा देनी चाहिए ।

न्यायालय ने कहा कि, विवाह हुई महिला के साथ धर्म परिवर्तन कर रहना भी एक गुनाह ही है । अवैध संबंध रखने वाला पुरूष भी गुनहगार है । सुरक्षा देने का आदेश केवल कानूनी बातों के लिए दिया जाता है । किसी भी गुनहगार को सुरक्षा देने के लिए नहीं । ऐसा हुआ तो यह गुनहगार को सुरक्षा देने के समान है ।