एन.सी.ई.आर.टी. के १२ वीं की इतिहास पुस्तक में मुगल हिंदुओं के मंदिरों का रखरखाव करने का उल्लेख !

सूचना अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगने पर कोई भी साक्ष्य न होने की एन.सी.आर.टी. की स्वीकृति

  • भाजपा के राज्य में एन.सी.ई.आर.टी. का हिंदुद्वेष कायम रहना हिंदुओं को अपेक्षित नही !
  • एन.सी.ई.आर.टी. की ओर से इस प्रकार का झूठा और मुगल इतिहास पढाया जाना, यह देश के हिंदुओं का विश्वासघात है । इसके लिए उत्तरदायी लोगों पर भाजपा सरकार द्वारा कार्यवाही कर उन्हे आजन्म कारावास में डालना चाहिए !
  • सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगने पर यह मामला प्रकाश में आया अन्यथा यह झूठा इतिहास उजागर नही होता ! ऐसे झूठे अध्याय समाविष्ट करने पर भी यह किसी के ध्यान में कैसे नही आया या आने पर भी उसकी ओर दुर्लक्ष किया गया ?, यह जनता को समझना चाहिए । एन.सी.ई.आर.टी. का कामकाज कैसे चलता है, यह इससे स्पष्ट होता है ! बारंबार इतिहास का विकृतिकरण करने वाली संस्थाएं क्यों चाहिए ?
  • ‘इतिहास का भगवाकरण’ हो रहा है, ऐसा आरोप होते हुए यह ‘इतिहास का इस्लामीकरण’ हो रहा है, ऐसा ही हिंदुओं को लगता है !

नई दिल्ली – केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली एन.सी.ई.आर.टी. की (नेशनल काऊंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के ) १२ वीं की ‘थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट-टू’ इस इतिहास की पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक २३४ पर मुगल बादशाह शाहजहान और औरंगजेब द्वारा युद्ध के समय मुगल सैनिकों द्वारा गिराए गए मंदिरों की बाद में मरम्मत करने के लिए आर्थिक मदद करने का उल्लेख किया गया है । यद्यपि इस विषय पर सूचना के अधिकार के अंतर्गत कोई साक्ष्य और संबंधित मंदिरों की जानकारी मांगने पर एन.सी.ई.आर.टी. ने इस विषय में दस्तावेज नही होने का उत्तर दिया । शिक्षा क्षेत्र से संबंधित डॉ. इंदु विश्वनान ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है ।

१८ नवंबर २०२० के दिन एन.सी.ई.आर.टी. की ओर से उत्तर का एक पत्र आवेदक शिवांक वर्मा को भेजा गया है । इस पर ‘हेड ऑफ डिपार्टमेंट एंड पब्लिक इंफर्मेशन ऑफिसर’ प्रा. गौरी श्रीवास्तव का हस्ताक्षर है ।