इसरो (ISRO) के शोधकर्ता का दावा है कि विभिन्न विष प्रयोगों द्वारा उन्हें मारने के ३ प्रयास किए गए थे

  • भारत आत्मनिर्भर बनकर अंतरिक्ष अनुसंधान में प्रगति कर रहा है, यह बात कई देशों को अच्छी नहीं लगती । अतः, यह संभावना है कि, वे ऐसा कर रहे हैं। इसलिए, सरकार को शोधकर्ताओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है !

  • इससे पता चलता है कि जो शोधकर्ता देश को प्रगति पथ पर ले जा रहे हैं, वे सुरक्षित नहीं हैं। इसे रोकने के लिए, उनकी सुरक्षा बढ़ाने के साथ साथ उन पर ऐसे आक्रमण करने के प्रयास करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करना आवश्यक है !

नई देहली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक वरिष्ठ सलाहकार एवं अग्रणी शोधकर्ता डॉ. तपन मिश्रा ने दावा किया है कि गत तीनवर्षों में उन्हें मारने के तीन प्रयास हुए हैं । मिश्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके इसकी सूचना दी है। मिश्रा ने यह भी दावा किया कि, ‘इस प्रकार का आक्रमण तकनीक की सहायता से किया गया गुप्त आक्रमण है।’ मिश्रा ने घटनाओं की जांच करने की मांग की है। ‘देश को मुझे और मेरे परिवार को बचाना चाहिए,’ उन्होंने कहा। मिश्रा वर्तमान में इसरो में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। वे ३१ जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे।

मिश्रा ने पोस्ट में लिखा है कि,

१. प्रथम अवसर उस समयका है जब बंगळुरू के मुख्यालय के बारे में जानकारी देने के लिए २३ मई २०१७ को मेरा साक्षात्कार किया गया था। साक्षात्कार के बाद, दोपहर के भोजन के समय डोसे के साथ आर्सेनिक ट्रॉयऑक्साइड (एक प्रकार की विषैली औषधि) को चटनी में मिलाया गया था । इस औषधि का उपयोग करने का उद्देश्य था कि उसके सेवन के बाद, वह मेरे पेट में लंबे समय तक रहें तथा पूरे शरीर में फैलकर रक्त के थक्के निर्माण हो एवं दिल का दौरा पड़ने से मेरी मृत्यु हो । परंतु मुझे वह अल्पाहार अच्छा नहीं लगा । मैंने डोसे के साथ थोडीसी चटनी खाई थी । इसलिए इसका अधिक प्रभाव नहीं हुआ; परंतु मुझे २ वर्ष तक खूनस्त्राव का अत्याधिक कष्ट हुआ ।

२. दूसरा आक्रमण ‘चंद्रयान -२’ अभियान (मिशन) के बारेमे जानकारी घोषित करने के दो दिन पूर्व हुआ था। १२ जुलाई २०१९ के दिन ‘हाइड्रोजन साइनाइड’ से मुझे मारने का प्रयास किया गया; परंतु एन.एस.जी. (राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षक) के अधिकारी ने समय पर उसकी सूचना लेनेके कारण मेरी जान बच गई।

३. तीसरा प्रयास सितंबर २०२० में मुझे आर्सेनिक देकर मारने के लिए किया गया था। उसके बाद मुझे गंभीर श्वसन रोग, त्वचा रोग, स्नायविक (न्यूरोलॉजिकल) एवं फंगल संक्रमण से संबंधित कष्ट होने लगें ।

४. उच्च सुरक्षा प्रणाली वाले मेरे घर में एक खदान खोदकर विषैले सांप छोडे गए । इन सांपों से बचाने के लिए, घर के प्रति १० फीट के अंतर पर कार्बोलिक एसिड के सुरक्षा जाल लगाए गए हैं। उसके बाद भी, घर में सांप पाए जाते हैं । कुछ लोग चाहते हैं कि शीघ्रातिशीघ्र मेरी मृत्यु हो ताकि ये रहस्य सदैव के लिए मेरे साथ ही नष्ट हो जाएं।