अभिनव आध्यात्मिक अनुसंधान करनेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)’ उपकरण द्वारा किया वैज्ञानिक परिक्षण
‘वर्तमान में अधिकतर लोगों को न्यूनाधिक मात्रा में आध्यात्मिक कष्ट (टिप्पणी) होते हैं । उसी प्रकार, वायुमंडल में रज-तम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में बढने के कारण व्यक्ति की देह, मन एवं बुद्धि पर कष्टदायक स्पंदनों का आवरण आता है । परिणामस्वरूप उसे शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्टों का सामना करना पडता है । धूप सेवन का उपचार करने से (धूप में रहने से) व्यक्ति के चारों ओर बना कष्टदायक स्पंदनों का आवरण न्यून होने में सहायता मिलती है । धूप सेवन का उपचार करने से व्यक्ति पर आध्यात्मिक दृष्टि से होनेवाला परिणाम वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करने के लिए १३.११.२०२० को रामनाथी (गोवा) में स्थित सनातन के आश्रम में ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)’ उपकरण द्वारा परीक्षण किया गया । इस परीक्षण का विवेचन, निष्कर्ष एवं अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है ।
टिप्पणी – आध्यात्मिक कष्ट : आध्यात्मिक कष्ट होना, अर्थात व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन होना । यदि व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन ५० प्रतिशत या उससे अधिक मात्रामें हो, तो उसे तीव्र कष्ट कहा जाता है; नकारात्मक स्पंदन ३० से ४९ प्रतिशत होना अर्थात मध्यम कष्ट; तथा ३० प्रतिशत से अल्प होना, अर्थात मंद आध्यात्मिक कष्ट होना । प्रारब्ध, पूर्वजों के कष्ट आदि अध्यात्मस्तरीय कारणों से आध्यात्मिक कष्ट होते हैं । आध्यात्मिक कष्ट का निदान संत एवं सूक्ष्म स्पंदन जाननेवाले साधक कर सकते हैं ।
१. परीक्षण में किए निरीक्षण का विवेचन
इस परीक्षण में, बीस मिनट तक धूप सेवन का उपचार करने के उपरांत, तीव्र आध्यात्मिक कष्ट से पीडित साधक एवं आध्यात्मिक कष्ट से रहित साधक, इनपर हुआ परिणाम आगे दिया है ।
१. अ. नकारात्मक एवं सकारात्मक ऊर्जा से संबंधित निरीक्षणों का विश्लेषण – धूप सेवन का उपचार करने के उपरांत परीक्षण में सहभागी दोनों साधकों पर हुआ परिणाम आगे दिया है ।
इस सारणी से आगे दिए हुए निरीक्षण समझ में आते हैं –
१. आध्यात्मिक कष्ट से पीडित साधक में उपचारों के पूर्व ‘इन्फ्रारेड’ एवं ‘अल्ट्रावायोलेट’ ये दोनों प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा अधिक मात्रा में थी । साधक ने धूप सेवन का उपचार करने के पश्चात दोनों नकारात्मक ऊर्जा बहुत मात्रा में न्यून हो गई एवं उसमें विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हुई ।
२. आध्यात्मिक कष्ट न होनेवाले साधक ने धूप सेवन का उपचार करने के उपरांत ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा न्यून होकर उसमें विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हुई ।
२. निष्कर्ष
धूप सेवन का उपचार करने के परीक्षण में सहभागी दोनों साधकों पर सकारात्मक परिणाम हुआ ।
३. परीक्षण के निरीक्षणों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण
३ अ. धूप सेवन का उपचार करने से परीक्षण में सहभागी दोनों साधकों को आध्यात्मिक लाभ होना : सूर्यदेव आरोग्य देते हैं । इसलिए ‘आरोग्यं भास्करात् इच्छेत् ।’ अर्थात ‘सूर्यदेव के पास आरोग्य मांगना चाहिए’, ऐसे कहा गया है । शरीर निरोगी रहने के लिए प्रतिदिन धूप का सेवन आवश्यक होता है । धूप का सेवन करते समय ऋतुओं के अनुसार धूप सेवन करने संबंधी नियमों का पालन करना चाहिए । प्रतिदिन उचित मात्रा में धूप का सेवन करने से शरीर में बढे हुए दोष (रोगकारक द्रव्य) दूर होने में सहायता होती है । धूप सेवन का उपचार करने से व्यक्ति के शरीर, मन एवं बुद्धि पर आया कष्टदायक स्पंदनों का आवरण दूर होने में सहायता होती है । इससे व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्ट न्यून होकर उसके स्वास्थ्य में सुधार होता है । परीक्षण में सहभागी साधकों द्वारा केवल एक दिन मात्र बीस मिनट धूप सेवन का उपचार करने से उनमें विद्यमान नकारात्मक ऊर्जा बहुत मात्रामें न्यून होकर सकारात्मक ऊर्जा में बहुत वृद्धि हुई । इससे ‘धूप सेवन का उपचार करना आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक लाभदायी है’ यह प्रमाणित होता है ।’
श्रीमती मधुरा धनंजय कर्वे, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (१९.११.२०२०)
पाठकों को सूचना : ‘यूएएस उपकरण का परिचय’ जानने के लिए सनातन संस्था के www.sanatan.org/hindi/universal-scanner लिंक पर देखें । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।