दोषी जनप्रतिनिधिपर आजीवन प्रतिबंध लगाने का नियम नही ! – केंद्र सरकार का सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र

  • गुनहगार जनप्रतिनिधी पर आजीवन प्रतिबंध का नियम नही होगा, तो सरकार ने अब नियम लगाना आवश्यक है । तभी भारतीय राजनीति अधिक स्वच्छ होगी और राजनीतिक गुनहगारी कम होने में सहायता होगी ! इसके लिए सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाने की आवश्यकता है, ऐसा जनता को लगता है !

  • राजनेताओं ने कितने भी गुनाह करके सजा भोगी हो, तब भी पुन: वे राजनीति में आ सकते हैं, यह भारतीयों के लिए शर्मनाक है !

नई दिेल्ली – गंभीर गुनाह में दोषी तय होने वालों को चुनाव लडने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए, ऐसी मांग करने वाली जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई है । इस पर केंद्र सरकार को प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने के लिए बताने पर सरकार ने ऐसा प्रतिबंध लगाने का नियम नही, ऐसा कहा है । वर्तमान कानून के अनुसार कारावास होने के बाद अगले ६ वर्षों तक चुनाव लडने पर प्रतिबंध है ।

सरकारी अधिकारियों पर आजीवन प्रतिबंध, तो राजनेताओं पर क्यों नही ? – अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय

भाजपा के नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका लगाई है । उन्होंने इसमें कहा है कि, सरकारी नौकरी करने वाला कोई अधिकारी दोषी तय होने पर उसपर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाता है । ऐसा होते हुए राजनीति करने वालों के लिए एक न्याय और सरकारी अधिकारियों के लिए अलग न्याय क्यों ? ऐस प्रश्न उपस्थित किया है ।

सरकारी अधिकारियों के समान राजनीति करने वालों पर नियम नही ! – केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने इस पर न्यायालय में प्रस्तुत किए प्रतिज्ञापत्र में कहा है कि, सरकारी काम करने वालों के समान जनता के द्वारा चुनकर आए जनप्रतिनिधियों की सेवा के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है । इसी तरह भले ही राजनेता जनता के सेवक हों, लेकिन उनकी सेवा के बारे में काई ठोस नियम नहीं है । जनप्रतिनिधि यह उन्होंने ली हुई प्रतिज्ञा से बंधे होते हैं । इस प्रतिज्ञानुसार जनप्रतिनिधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्र और देश की जनता की सेवा करना अपेक्षित होता है । जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि उन्होने देश की समृद्धी के लिए, अच्छे इरादों के साथ और देश के हित में काम करें । समय समय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों और परिणामों के अनुसार जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत लोगों का प्रतिनिधित्व निषिद्ध है।