आपातकाल की दृष्टि से सदनिका का चयन करते समय सभी मापदंडों के अनुसार उसकी जांच करना आवश्यक है । आजकल अनेक स्थानों पर बडी गृह-परियोजनाएं चलाई जा रही हैं । उस परियोजना में सदनिका खरीदते समय या अन्य सहकारिता गृहनिर्माण संस्थाआें (को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी) में सदनिका खरीदने के पूर्व अनेक कागपदत्रों को जांचना महत्त्वपूर्ण है । खरीदते समय किए जानेवाले अनुबंध, कागदपत्रों की जांच, निर्माणकार्य की गुणवत्ता, वहां मिलनेवाली सुविधाएं इत्यादि की बारीकियां हमें ज्ञात न होने के कारण हमारे साथ धोखाधडी होने की गहरी आशंका रहती है । इस प्रकार की धोखाधडी टालने हेतु कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, इस लेख से यह समझ लेंगे ।
१. निर्माणकार्य व्यवसायी के संदर्भ में कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए ?
निर्माणकार्य व्यवसायी (बिल्डर) संभवतः स्थापत्य अभियंता (सिविल इंजीनियर) है और इस व्यवसाय में उसका अध्ययन और अनुभव अच्छा है, यह सुनिश्चित कर, साथ ही उसके अन्य कार्यों को देखकर उसका चयन करें । साथ ही वह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं निवेश कर, निर्माणकार्य पूरा करने में सक्षम है अथवा सदनिकाधारकों का काम समय पर पूरा करने में आर्थिक दृष्टि से सक्षम है (समाज में उसकी प्रतिष्ठा, विश्वसनीयता और लेन-देन की पद्धति उचित है), ऐसे निर्माण व्यावसायी के पास सदनिका के लिए पंजीकरण करें । कभी-कभी विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को सुख-सुविधाआें का लालच दिया जाता है और सदनिका खरीदने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर लिया जाता है । वास्तव में विज्ञापन में उल्लेख किए अनुसार गुणवत्तापूर्ण काम नहीं होता और तब ग्राहकों को यह समझ में आता है कि उनके साथ धोखाधडी हुई है; परंतु तब तक ग्राहकों की बहुत हानि हो चुकी होती है । प्रत्येक बार इस प्रकार के निर्माणकार्य व्यवसायी मिलेंगे, ऐसा नहीं होता; इसलिए वहां उक्त मापदंडों के अनुसार कार्य पूरा करनेवाले बिल्डर हों, तो हम उनके पास पंजीकरण कर सकते हैं ।
२. भूमि और स्थान की अनुमति के संदर्भ में क्या देखें ?
अ. हम जिस क्षेत्र में सदनिका लेनेवाले हैं, वहां का परिसर और सभी मूलभूत सुविधाएं, उदा. सडक, पानी, बिजली की व्यवस्था है, यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है । उसके लिए भूमि के ले-आउट में अपने फ्लैट के लिए उक्त बातें सुनिश्चित करें ।
आ. पारित (एप्रूव्ड) ले-आउट मानचित्र की मूल प्रतियां देखें । उसके साथ ही कुछ शर्तें हों, तो उन्हें ठीक से पढें ।
इ. भूमि गैर-कृषि (N.A.) है, यह सुनिश्चित करें । ग्रामपंचायत द्वारा पारित ले-आउट में स्थित फ्लैट न लें; क्योंकि ग्रामपंचायत को ले-आउट पारित करने के अधिकार नहीं हैं । ग्रामीण क्षेत्र के ले-आउट के लिए ग्रामीण टाउन प्लानिंग विभाग होता है ।
३. कानूनी बातों के संदर्भ में कौन सी सावधानियां बरतें ?
अ. फॉर्म ७/१२, रेवेन्यू डिपार्टमेंट अथवा पीआर कार्ड की प्रविष्टियां देखें । (महाराष्ट्र में इसे सात बारा का उतारा कहते हैं । गोवा में इसी को I-XIV (Form One and Fourteen) कहते हैं ।)
आ. फॉर्म ७ पर दाईं ओर स्थित स्तंभ में (कॉलम) अन्य अधिकारों की, विरासत की, बैंक के रिकॉर्ड की (भूमि गिरवी रखकर ऋण लिया गया है क्या ?) अथवा क्या प्रविष्टि है, यह देखें । संभवतः संगणकीय फॉर्म लें । इस फॉर्म में पहले हुए लेन-देन की प्रविष्टियां होती हैं । उसमें उस भूमि का क्षेत्रफल उल्लेखित होता है और वर्तमान में उस भूमि का मालिक कौन है, यह भी उल्लेखित होता है । इसके लिए यह फॉर्म आवश्यक होता है ।
इ. अपने अधिवक्ता से विगत न्यूनतम ३० वर्षों की सर्च रिपोर्ट की जांच करा लें ।
ई. अपने अधिवक्ता के माध्यम से वहां के प्रसिद्ध समाचारपत्र में खरीदपूर्व सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करें । इस नोटिस में सदनिका का पूरा विवरण देकर ‘हम यह सदनिका खरीद रहे हैं । इस संबंध में किसी को कोई शिकायत हो, तो वे सदनिका के मूल कागदपत्र लेकर ८ से १५ दिनों में अपने अधिवक्ताआें को सूचित करें और कागदपत्रों की सत्यता प्रमाणित करें ।’ इस प्रकार नोटिस देकर उसमें अपने अधिवक्ताआें के संपर्क का विवरण दें । इस संदर्भ में किसी ने शिकायत नहीं की अथवा कोई आपत्ति नहीं दर्शाई, तभी सदनिका खरीदें । संबंधित कार्यालय से अतिक्रमण रहित (नॉन एन्कंबरेंस) प्रमाणपत्र लें ।
उ. बिल्डर ने भूमि के सभी प्रकार के करों का भुगतान किया है न, इस संदर्भ में कागदपत्रों की सच्चाई की पडताल करें ।
ऊ. फॉर्म ७ पर सामूहिक क्षेत्र पर लगे नाम बेचनेवाले के भाईयों के हों, तो उस भूमि पर उन सभी का स्वामित्व होने से भूमि के खरीदपत्र पर उन सभी के हस्ताक्षर हैं, यह सुनिश्चित करें, अन्यथा खरीदपत्र के साथ संबंधित व्यक्ति का अनापत्ति प्र्रमाणपत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) होना चाहिए । यह पत्र पंजीकृत होना चाहिए ।
ए. वर्तमान स्थिति में निर्माणकार्य व्यवसायी का प्रतिष्ठान किस प्रकार का (प्रोप्राइटर, पार्टनरशिप, कंपनी अथवा अन्य) है, यह देखकर उसके पंजीकरण पत्र की मांग करें और अनुबंध पत्र में उसका उल्लेख करें ।
ऐ. घोषणापत्र (डीड ऑफ डिक्लेरेशन) बहुत महत्त्वपूर्ण होता है । उसमें कुल क्षेत्रफल, निर्माणकार्य का क्षेत्रफल, सामूहिक संपत्ति का विवरण, सभी के समान अधिकार रहेंगे, इस प्रकार की प्रविष्टि, एफएसआई अथवा टीडीआर के अधिकार सोसाइटी के नाम पर होने की प्रविष्टियां होती हैं । इसलिए घोषणापत्र की (डीड ऑफ डिक्लेरेशन) मांग करें ।
ओ. बिल्डर द्वारा मौखिक अथवा विज्ञप्ति के माध्यम से उपलब्ध सुविधाआें के संबंध में दिए जा रहे आश्वासनों की प्रविष्टियां घोषणापत्र में हैं अथवा नहीं, यह सुनिश्चित करें ।
४. सदनिका (फ्लैट) खरीदते समय किन बातों की पडताल करनी चाहिए ?
अ. गृहनिर्माण परियोजना निवासी जोन में पंजीकृत है, यह सुनिश्चित करें । (परियोजना ग्रीन जोन में नहीं होनी चाहिए ।)
आ. अन्य सदनिकाधारक और सरकारी कार्यालय में जाकर यह सुनिश्चित करें कि जिस स्थान पर इन सदनिकाआें का निर्माण किया गया है, वह स्थान निर्माणकार्य करने के लिए कानूनन वैध है, वर्तमान स्थिति में इस संपत्ति पर किसी भी प्रकार का दावा, अभियोग अथवा अन्य कानूनी विवाद नहीं हैं, साथ ही वहां रहने जाने पर, वहां कोई हमारा विरोध नहीं करेगा ।
इ. हम जिस व्यक्ति से सदनिका खरीद रहे हैं, उसके पास ही उसका स्वामित्व है न, यह सुनिश्चित करें ।
ई. प्रस्तुत सदनिका को गिरवी रखकर उसके आधार पर किसी प्रकार का ऋण तो नहीं लिया गया है, यह अवश्य देखें । यदि यह सदनिका अधिकोष के पास गिरवी है, तो प्रस्तुत सदनिका को बेचने के लिए उस अधिकोष का ‘बिना आपत्ति प्रमाणपत्र’ (NOC) है, यह सुनिश्चित करें ।
उ. इससे पहले इस सदनिका के संदर्भ में किसी के साथ बिक्री का लेन-देन नहीं हुआ है, यह सुनिश्चित करें । हमें दिखाई गई सदनिका ही हमें बेची जा रही हैं न अथवा उस सदनिका के संदर्भ में किसी प्रकार के विवाद नहीं हैं, यह सुनिश्चित करें ।
ऊ. संबंधित संपत्ति पर किसी प्रकार के लंबित कानूनी देय अथवा गिरवी न होने का प्रमाणित करनेवाला एक त्रुटि प्रमाणपत्र लें । (उसमें कुछ अवधि में किए गए लेन-देन से संबंधित पूरा विवरण दिया जाता है ।
ए. यह देख लें कि निर्माणकार्य व्यवसायी ने भूमि के मालिक से भूमि के विकास का (Development) अधिकारपत्र (power of attorney) पंजीकृत किया है । भूमि का प्रॉपर्टी कार्ड, बिजली, गैस का देयक (बिल) और सोसाइटी का अनापत्ति प्रमाणपत्र ‘(NOC)’, इन सभी कागदपत्रों की जांच करें । कागदपत्र उपलब्ध न हों, तो यह देखें कि क्या उसका कुलाधिकारपत्र (power of attorney) दिया है । (संपत्ति बेचते अथवा खरीदते समय ‘यह संपत्ति मालिक की ओर से आधिकारिक है’, यह प्रमाणित करने के लिए यह आवश्यक है ।), भूमि का NIL Encumbrance, साथ ही क्षेत्र विकास प्राधिकरण, जलापूर्ति एवं मलनिःसारण विभाग, बिजली बोर्ड और महानगरपालिका की ओर से मान्यता और अनापत्ति प्रमाणपत्र होना आवश्यक होता है ।
ऐ. यदि यह निर्माणकार्य परियोजना अचल संपत्ति प्राधिकरण (Real-Estate Regulatory Authority) के अंतर्गत आती हो, तो निर्माण व्यवसायी द्वारा उस प्रकार से पंजीकरण किया है, यह देख लें ।
५. सदनिका गृहनिर्माण संस्था में हो, तो क्या देखें?
अ. बिक्री करनेवाला व्यक्ति सोसाइटी का सदस्य है, इसका प्रमाणपत्र देखें ।
आ.कुल सदनिकाआें में से न्यूनतम ६० प्रतिशत सदनिकाआें की बिक्री होने पर सभी सदस्यों की बैठक लेकर सोसाइटी, कंपनी अथवा अपार्टमेंट एसोसिएशन, इन तीनों में से जिसके पक्ष में बहुमत होगा, उसका निर्माण व्यवसायी से पंजीकरण करवा लें ।
इ. सोसाइटी, कंपनी अथवा अपार्टमेंट एसोसिएशन की स्थापना करने से पूर्व उसके सभी नियम सदनिकाधारक सदस्यों को पढकर दिखाएं, साथ ही उसे सभा में पारित करें ।
ई. सदस्यों से लिया गया वनटाइम मेंटेनेंस शुल्क अथवा कॉर्पस फंड सोसाइटी के नाम से अधिकोष में जमा किया गया है, यह सुनिश्चित करें ।
उ. बिक्री करनेवाले के पास सदनिका वर्ग होने का आधिकारिक पत्र (एलॉटमेंट लेटर) है, यह सुनिश्चित करें ।
ऊ. सदनिका बिक्रेता के पास गृहनिर्माण संस्था द्वारा दिया गया भागधारक प्रमाणपत्र (शेयर सर्टिफिकेट) देखें ।
ए. संस्था के किसी प्रकार के देयक लंबित तो नहीं हैं ना, यह कागदपत्र देखकर सुनिश्चित करें ।
ऐ. मूल ‘डीड ऑफ कन्वेयेंस दस्त’ (जो गृहनिर्माण संस्था के लिए लागू होता है) देख लें।
ओ. मूल मालिक नेऋण लिया हो, तो अधिकोष की अनुमति के बिना खरीदपत्र अथवा हस्तांतरण न करें ।
औ. सोसाइटी द्वारा खरीदी गई भूमि की सत्यप्रति देखें ।
अं. गैर-कृषि (NA) सहमति होने की आश्वस्तता करें ।
क. सोसाइटी का ‘No dues’ प्रमाणपत्र देख लें ।
ख. हाल ही के ३ महीने की अवधि का फॉर्म ७ अथवा पीआर कार्ड पर की गई प्रविष्टि देखें ।
ग. मूल मालिक ने यदि उस सदनिका पर अधिकोष से ऋण लेकर उसे चुकाया हो, तो उसके पास उस अधिकोष का ‘No dues’ प्रमाणपत्र तथा ‘बिना अधिकार’ प्रमाणपत्र है, यह सुनिश्चित करें ।
घ. लेन-देन की हुई संपत्ति यदि संयुक्त संपत्ति हो और उसके मालिकों में से किसी की मृत्यु हुई हो, तो विरासत अधिकार प्रमाणपत्र मिलने के उपरांत ही लेन-देन करें ।
च. निर्माण व्यवसायी यदि सोसाइटी के माध्यम से हस्तांतरण न करनेवाला हो, तो वह किस दूसरी व्यवस्था के अंतर्गत हस्तांतरण करनेवाला है, यह जांच लें और अधिवक्ता से सुश्चित कर लें कि वह पद्धति वैध है ।
६. निर्माणकार्य के मानचित्र के संबंध में क्या सावधानी बरतें ?
अ. (*) हमारी भूमि भले ही ग्रामपंचायत अथवा नगरपालिका क्षेत्र में आती हो; तब भी उस निर्माणकार्य की अनुमति लेने के लिए उस निर्माणकार्य का संकल्पित मानचित्र प्रस्तुत करना पडता है । संबंधित विभाग के पास अनुमति के लिए प्रस्तुत करते समय मानचित्र पर संबंधित विभागों के चार्टर्ड अभियंता अथवा आर्किटेक्ट के रूप में पंजीकृत निर्माण अभियंता (सिविल इंजिनियर) अथवा गृहशिल्पी के (आर्किटेक्ट) हस्ताक्षर होना आवश्यक होता है, तभी वह मानचित्र पारित होता है, अन्यथा नहीं ।
आ. (*) अनेक बार इस मानचित्र पर निर्माण व्यवसायी के हस्ताक्षर होते हैं; परंतु वह व्यवसायी निर्माण अभियंता (सिविल इंजिनियर) नहीं होता । इसलिए भूमि का फॉर्म ७ और संकल्पित मानचित्र की विशेषज्ञ से जांच कराएं ।
इ. (*) नगरपालिका अथवा ग्रामपंचायत के नियम के अनुसार, उस भूमि पर निर्माणकार्य का मानचित्र बैठ रहा है, यह जांच लें । निर्माणकार्य का क्षेत्रफल नियम के अनुसार (वैध एफएसआई) है न, यह सुनिश्चित करें ।
ई. (*) पारित मानचित्र पर निर्माण अभियंता अथवा गृहशिल्पी के हस्ताक्षर हैं, यह सुनिश्चित करें ।
* टिप्पणी – सभी कागदपत्र विशेषज्ञ स्थापत्य अभियंता (सिविल इंजीनियर) और अधिवक्ता को दिखाएं ।
७. निर्माणकार्य से संबंधित अन्य किन बातों की जानकारी लें ?
अ. निर्माणकार्य पारित मानचित्र के अनुसार है न, यह देखें ।
आ. परियोजना के अंतर्गत सदनिका का निर्माणकार्य करने से पूर्व अथवा चालू होने के समय हमें उस निर्माण व्यवसायी अथवा ठेकेदार के साथ उस तहसील के कनिष्ठ पंजीकरण अधिकारी के कार्यालय में लिखित अनुबंध करना पडता है, जिससे कोई शिकायत हुई, तो हम उस आधार पर न्यायालय जा सकते हैं । (कुछ बिल्डर लिखित अनुबंध करना टालते हैं ।) यह अनुबंध करते समय उसमें निम्नांकित सूत्र होना आवश्यक है –
इ. निर्माण व्यवसायी निर्माणकार्य के जो भाव बता रहा है, उस भाव में निर्माणकार्य कैसे गिना जाएगा (कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया, सुपर बिल्टअप एरिया में से कौन सा है) उसका उल्लेख होना आवश्यक है । निर्धारित भाव वस्तु एवं सेवाकर सहित (जीएसटी) होना चाहिए और अनुबंध में उस प्रकार से लिखा होना चाहिए ।
८. अनुबंधपत्र करते समय निम्नांकित कागदपत्र और अनुबंधपत्र में निम्नांकित प्रविष्टियां होना आवश्यक है ।
कुछ निर्माण व्यवसायी सदनिका बेचने के लिए मौखिक आश्वासन देने का प्रयास करते हैं और उसके अनुसार लिखित अनुबंध में उल्लेख करने में टालमटोल करते हैं । उनके मौखिक आश्वासन पर विश्वास न कर अथवा उसकी बलि न चढ उन सभी सूत्रों को अनुबंधपत्र में लिखवाना महत्त्वपूर्ण है । कभी-कभी निर्माणकार्य में कोई बदलाव होने पर निर्माण व्यवसायी से उसका अनुमानपत्रक लेकर उसके उपरांत ही वो बदलाव करें । इस संदर्भ में मौखिक बातें न कर, उसे निर्माण व्यवसायी से लिखित रूप में लें व अपने परिचय के निर्माण अभियंता और अधिवक्ता को दिखाएं ।
अ. परियोजना का नाम, परियोजना की किस मंजिल और किस दिशा में सदनिका है, उसका वर्णन, सदनिका की षष्ठसीमाएं, सदनिका का क्षेत्र (कार्पेट, बिल्टअप, सुपर बिल्टअप के अनुसार), पारित मानचित्र की छायांकित प्रति पर हमारे द्वारा खरीदी जा रही सदनिका का ‘डिमार्केशन’ करना और निर्माण व्यवसायी द्वारा उस सदनिका को दिया गया क्रमांक उस सदनिका की पार्किंग को देकर, वह सुनिश्चित करना ।
आ. निर्माण व्यवसायी द्वारा दी जा रही गुणवत्तापूर्ण सुविधाआें की सारणी (स्पेसिफिकेशन) को अनुबंधपत्र में जोडें ।
इ. हमें पार्किंग के लिए वर्ग कर दिए गए क्षेत्र को मानचित्र पर रेखांकित कर उस पर बिल्डर और हमारे हस्ताक्षर हों ।
ई. बिल्डर सदनिका के लिए पानी और बिजली के कनेक्शन के साथ ही उसे मीटर के साथ चालू कर देगा और उसके लिए अग्रिम धनराशि को पारित करने के लिए जो खर्चा आएगा, उसका भुगतान खरीददार करेगा ।
उ. निर्माणकार्य अनुबंध के लिए साक्षी किसे बनाएं, अधिवक्ता से इसका सुझाव लें । निर्माण व्यवसायी द्वारा अनुबंधपत्र देने के उपरांत अधिवक्ता से उसकी पडताल करने के उपरांत ही अंतिम अनुबंध करें । संभव हो, तो अनुबंध की चर्चा अथवा अनुबंध करते समय किसी जानकार निर्माण अभियंता को साथ लेकर जाएं, जिससे धोखाधडी न हो ।
ऊ. जब सदनिका का निर्माणकार्य चल रहा होता है, तब उस कार्य के प्रत्येक चरण पर हमें निर्माण व्यवसायी को कुछ धनराशि देनी पडती है । यह धनराशि केवल धनादेश के द्वारा (चेक) दें, साथ ही उसी समय उसकी पक्की रसीद लें, जिससे उसकी प्रविष्टि रहेगी । नकद धनराशि न दें । (यह धनराशि निर्धारित निर्माण भाव के अनुसार निर्धारित क्षेत्र से गुनाकर जो संख्या आए, उसके अनुसार होगी ।) यह धनराशि देते समय दोनों के सामूहिक परिचय के व्यक्ति की मध्यस्थता में दें । निर्माणकार्य की धनराशि का भुगतान करने के निम्नांकित चरण हैं –
सदनिका के भाव और देयक चरण वह किस मंजिल पर स्थित है, उस पर आधारित होते हैं । यदि निर्माण परियोजना अचल संपत्ति नियामक प्राधिकरण (Real-Estate Regulatory Authority) के अंतर्गत आती हो, तो निर्माण कार्य के किस चरण में कितना देयक देना होता है, यह इस कानून में सुनिश्चित किया गया है, उसके अनुसार ही देयक का भुगतान करें । जहां यह कानून लागू नहीं है, वहां आगे उल्लेखित उदाहरण के अनुसार देयक का भुगतान करें । प्रत्येक चरण में इसी प्रकार से देयराशि का उल्लेख पंजीकृत अनुबंध में होना आवश्यक है ।
सदनिका दूसरी मंजिल पर है, ऐसा मानकर प्रस्तुत देयक के चरण कैसे होने चाहिए, इसका निम्न उदाहरण बनाया गया है यह लेन-देन की एक आदर्श पद्धति है । इसमें थोडा-बहुत परिवर्तन हो सकता है । पूरी तरह एक बार में लेन-देन करने से पैसे के फंसने अथवा धोखाधडी होने की संभावना होती है ।
९. निर्माणकार्य की गुणवत्ता व पूर्णता के संबंध में क्या करें ?
जब परियोजना का निर्माणकार्य चल रहा होता है, तब निर्माण व्यवसायी द्वारा उपयोग में लाई जानेवाली सामग्री और उसकी कार्य पद्धति को किसी विशेषज्ञ अभियंता को दिखाकर गुणवत्ता जांच करा लें । उसमें कुछ त्रुटियां ध्यान में आने पर निर्माण व्यवसायी से बात करें ।
१०. सदनिका हस्तांतरण होते समय क्या करें ?
जब निर्माण व्यवसायी हमें सदनिका हस्तांतरण के विषय में अर्थात सदनिका सौंपने के लिए सूचित करता है, तब हमें अपनेे परिचय के जानकार विशेषज्ञ निर्माण अभियंता और अधिवक्ता से सदनिका और कागदपत्रों की पडताल करानी चाहिए । निर्माणकार्य पूरा होने के उपरांत अनुबंधपत्र के अनुसार स्लैब और दीवारों में दरारें नहीं हैं, निर्माणकार्य लीकेज रहित है, पानी का उतार सही है, दरवाजे और खिडकियां ठीकठाक हैं, फर्श और स्कर्टिंग खोखले नहीं हैं, प्लास्टर एक लेवल में है तथा पानी-बिजली ठीक से चल रही है; इसकी प्रत्यक्ष पडताल कर पूरा काम संतोषजनक है, यह सुनिश्चित होने के उपरांत ही खरीदपत्र/कन्वेयेंस डीड करें । सभी लेन-देन हिसाब, रसीदें, कागदपत्र पूरे कर निर्माण व्यावसायी द्वारा पजेशन दिए जाने का प्रमाणपत्र लें ।
निर्माणकार्य पूरा होने के उपरांत उसमें किए गए बदलाव सहित मानचित्र पूरा कर कम्प्लिशन प्रमाणपत्र लें । निर्माण व्यवसायी से खरीदपत्र और ाकम्प्लिशन पत्र एकत्रित लेने के उपरांत ही सदनिका को अपने नियंत्रण में लें ।
सदनिका खरीदते समय संभवतः सदनिका तैयार (रेडी) खरीदने को प्रधानता दें । – श्री. मधुसूदन कुलकर्णी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (३१.१०.२०२०)