पाकिस्तान के सर्वोच्च इस्लामिक संस्था ने हिन्दू मंदिर के निर्माण को स्वीकृति दी !

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मात्र दिखावे के लिए कि हम हिन्दुओं के लिए कुछ करते हैं पाकिस्तान में इस तरह के निर्णय लिए जाते हैं । पाकिस्तान को वास्तव में हिन्दुओं के लिए कुछ करने की उत्कंठा है, तो उसे हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार बंद करने चाहिए ! मंदिर बनेगा; किंतु जिहादियों के भय से कितने हिन्दू वहां जाएंगे ? यह एक ज्वलंत प्रश्न है !

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान की राज्य स्तरीय मौलवी समिति, जो धार्मिक सूत्रों पर सरकार को सुझाव देती है, ने देश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए मंदिर के निर्माण को स्वीकृति दी है । मौलवी ने कहा ‘इस्लामी कानून के तहत, अल्पसंख्यकों को पूजास्थल बनाने की अनुमति दी है’, । समिति ने यह भी कहा कि इसके लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जाना चाहिए ।

१. लाल मल्ही, एक प्रमुख हिन्दू नेता, जो संसद सदस्य हैं, ने इस निर्णय की प्रशंसा की । मौलवी समिति ने सरकार ने सार्वजनिक पूजास्थलों के निर्माण के लिए सार्वजनिक धन खर्च न करने की अनुशंसा (सिफारिश) की है, उन्होंने कहा,‘वर्तमान में इस्लामाबाद में हिन्दुओं के लिए कोई मंदिर नहीं है । दस लाख से अधिक की आबादी वाली राजधानी में लगभग ३००० हिन्दू रहते हैं, अन्य अधिकांश मुस्लिम हैं ।

२. ‘इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल’ द्वारा जारी एक बयान में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं को अपने मृतकों का अंतिम संस्कार करने का संवैधानिक अधिकार है । इस्लामाबाद में हिन्दू समुदाय को धार्मिक मानदंडों के अनुसार दाह संस्कार के लिए उपयुक्त स्थान दिया जा सकता है ।

३. परिषद ने अल्पसंख्यक समूहों (हिन्दुओं) के लिए विवाह और धार्मिक कार्यों के आयोजन के लिए सामाजिक केंद्रों के निर्माण की भी अनुमति दी । परिषद ने कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है । प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा जून में राजधानी इस्लामाबाद में श्रीकृष्ण मंदिर के निर्माण को अचानक रोकने के बाद ‘इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल´ ने यह निर्णय लिया ।