‘घर-घर आनंद का बंदनवार बांधनेवाली भारत की दीपावली अब विदेशों में भी चैतन्य की वर्षा कर रही है । अब दीपावली सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति के घर तक पहुंच गई है, तो इंग्लैंड की सडकों पर भी उसकी धूम दिखाई देती है । नौकरी-व्यवसाय के उपलक्ष्य में पूरे विश्व में फैले भारतीय लोगों ने दीपावली के त्योहार को पूरे विश्व में प्रसारित कर दिया है । उसमें विविध वेशभूषा, भारतीय पकवान, मिष्टान्न, मीठे पदार्थ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रंगोली, मेहंदी, दीपों की जगमगाहट और पटाखे तो होते ही हैं । अन्य राष्ट्रों में दीपावली का त्योहार कैसे मनाया जाता है और उसे मनाते समय भारत की अपेक्षा उनमें क्या अलग होता है, इस लेख से हम इसे जानेंगे ।
विविध पशुआें के प्रति कृतज्ञता के रूप में दीपावली मनानेवाला नेपाल !
१. भारत के पडोसी नेपाल में दीपावली का त्योहार ‘तिहार’ के नाम से मनाया जाता है । इसमें पहला दिन होता है ‘काग तिहार’ अर्थात ‘कौआें का दिवस !’ इस दिन कौआें के लिए मीठे पदार्थ बनाकर उन्हें घर की छत पर रखा जाता है । कौआें का चिल्लाना दुख और मृत्यु का प्रतीक होने से त्योहार से पूर्व उसे दूर करने के लिए यह भोग लगाया जाता है ! (हिन्दू संस्कृति में पितृपक्ष के समय जिस प्रकार कौए को पिंडदान दिया जाता है, उसी आधार पर यह पद्धति आरंभ हुई होगी, ऐसा लगता है ! – संपादक)
२. नेपाल में दूसरे दिन कुत्तों की पूजा होती है, जिसे ‘कुकुर तिहार’ कहा जाता है । ‘मनुष्य का कुत्ते के साथ अटूट संबंध का सम्मान करना’, इसके पीछे यह भूमिका है । इस दिन कुत्ते को कुमकुम तिलक लगाकर, साथ ही गले में गेंदे की माला पहनाकर उसे मीठा आहार खिलाया जाता है ।
३. गोपूजन एवं लक्ष्मीपूजन ! : उसके पश्चात ‘गाय तिहार’ अर्थात गोमाता की पूजा । अंत में लक्ष्मीपूजन भी होता है ।
महाराष्ट्र की भांति ही मीठे पदार्थ बनाकर मनाई जानेवाली अमेरिका की दीपावली !
दीपावली का त्योहार अमेरिका में भी आनंद की वर्षा करता है । वहां के सहस्रों लोग अपने घरों में दीपावली तो मनाते ही हैं; अपितु साथ में आजकल भारतीय शहरों की भांति अनेक स्थानों पर दीपावली के उपलक्ष्य में विशेष मिठाईयां बनाई और बेची जाती हैं । अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड में रह रही अनेक गुजराती महिलाआें ने भी यह गृहउद्योग आरंभ किया है । चकली, लड्डू, शकरपारे जैसे पदार्थों की आपूर्ति के लिए वे एक महीने पहले से ही सक्रिय हो जाती हैं ।
दीपों की जगमगाहट कर उत्साह से दीपावली मनानेवाला सिंगापुर !
सिंगापुर में अनेक भारतीय बसे हुए हैं । वहां हमारी तरह ही धूमधाम के साथ दीपावली मनाई जाती है । सुरक्षा और ध्वनिप्रदूषण टालने हेतु वहां पटाखे जलाने पर (आतिशबाजी करने पर) प्रतिबंध है । वहां दीपों की जगमगाहट में प्रचुरता से भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के आकर्षक रूप का उपयोग सर्वत्र किया जाता है ।
गुडियों के खेल द्वारा रामायण और महाभारत के दर्शन कराकर मनाई जाती है मलेशिया में दीपावली !
मलेशिया में दीपावली की अवधि में ‘शैडो पपेट’ अर्थात छायाआें का खेल बडी मात्रा में दिखाया जाता है । गुडियों के माध्यम से रामायण एवं महाभारत की कथाएं प्रस्तुत करने का यह कलाकृतिमय खेल है । ये आकृतियां भैंस की चमडी से बनाई जाती हैं । उन्हें रंगाकर, सभी प्रकार के आभूषण, वस्त्र एवं मुकुट पहनाकर उनका नृत्य दिखाया जाता है ।
नदी में दीए छोडकर दीपावली मनानेवाला थाइलैंड !
थाइलैंड में दीपावली ‘लुई क्रॅथोंग’ के नाम से मनाई जाती है । दीपावली के लिए बनाए गए दीप केले के पत्तों से बनाए जाते हैं । ऐसे सहस्रों दीप नदी में छोडे जाते हैं । यह दीपोत्सव अत्यंत मनोहर होता है ।
अमेरिका के ‘वाइट हाउस’ में वर्ष २००३ से मनाई जा रही है दीपावली !
‘जॉर्ज बुश जब अमेरिका के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने वर्ष २००३ से ‘वाइट हाउस’ में दीपावली मनाने की प्रथा आरंभ की । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वर्ष २००९ में वैदिक मंत्रों के उच्चारण में दीपप्रज्वलन किया था ।’
संयुक्त राष्ट्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा मनाई जानेवाली दीपावली !
यूनाइटेड किंगडम में भी भारतीय घरों में अलग प्रकार की दीपावली होती है । शिक्षा के केंद्र वहां के विश्वविद्यालयों के छात्र भी बडी मात्रा में ‘दिवाली सेलिब्रेट’ करते हैं । ‘यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स’ की ओर से तो दीपावली के उपलक्ष्य में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें ४०० से ५०० लोग उपस्थित होते हैं । इसके अतिरिक्त लंडन में दीपावली के उपलक्ष्य में एक बडी शोभायात्रा निकाली जाती है । इस शोभायात्रा में भारतीय वाद्य, नृत्य एवं पारंपरिक वेशभूषा के मनोहारी दर्शन होते हैं । आयुर्वेदिक मसाज (साभ्यंगस्नान), मेहंदी, साडी धारण करना और परिधान कराने जैसी बातें उत्साह के साथ की जाती हैं । विदेशी नागरिक भी इस आनंद के त्योहार में सम्मिलित होते हैं ।
दीपों की जगमगाहट कर दीपावली मनानेवाला इंडोनेशिया !
इंडोनेशिया में बाली द्वीप पर मंदिरों में दीपों की अच्छी तरह से जगमजाहट की जाती है । विविध स्थानों नृत्य और विविध प्रकार की वेशभूषा प्रतियोगिताआें का भी आयोजन किया जाता है ।
दीपों की प्रतियोगिता आयोजित करनेवाला फिजी !
पैसिफिक द्वीप फीजी में नीली के उद्योग में काम करने के लिए अनेक वर्ष पूर्व गए भारतीय श्रमिक अब वहां के स्थाई नागरिक बन गए हैं । आजकल फिजी के ३८ प्रतिशत लोग भारतीय वंश के हैं तथा वहां पारंपरिक पद्धति से बहुत ही धूमधाम से दीपावली मनाई जाती है । ‘नादी’ नगर परिसर के सिगाटोका, लाउटोका और डेनाराऊ गांवों से विशेष रूप से दीपावली के लिए विशेष बसें छोडी जाती हैं । इस नगर की एक अलग परंपरा है दीपों की जगमगाहट की प्रतियोगिताएं ! फिजी के प्रधानमंत्री के हस्तों दीपप्रज्वलन कर इस प्रतियोगिता का आरंभ होता है ।
२ सप्ताह का ‘दीपावली मेला’ मनानेवाला न्यूजीलैंड !
न्यूजीलैंड में ‘सिटी काउंसल’ की की पद्धति और ही अलग होंती है । न्यूजीलैंड की राजधानी के नगर ऑकलैंड और वेलिंग्टन में प्रत्यक्ष दीपावली से २ सप्ताह पूर्व ‘दीपावली मेला’ मनाया जाता है । उसका उद़्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री दीपप्रज्वलन से करते हैं । इस कार्यक्रम में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम, भारतीय नृत्य, कर्नाटकी संगीत, हिन्दुस्थानी शास्त्रीय संगीत, रंगोली की कार्यशालाएं आदि अंतर्भूत होती हैं ।
कुछ देशों में स्थित हरेकृष्ण और स्वामीनारायण मंदिरों में मनाई जानेवाली दीपावली !
देश-देश फैले हुए हरे कृष्ण मंदिर और स्वामीनारायण मंदिरों में भी दीपावली मनाई जाती है । विशेष रूप से हरेकृष्ण मंदिर में शिखा रखनेवाले, धोती पहनकर ‘हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ का घोष करते हुए नाचनेवाले और घंटों हार्मोनियम पर यह जाप चलानेवाले विदेशी भक्त दीपावली की प्रतीक्षा में होते हैं ।
न्यूजीलैंड में स्थित भारतीय मंदिरों से दीपावली के उपलक्ष्य में ‘अन्नकूट’ अर्थात अन्नछत्र का आयोजन किया जाता है । भक्तगण अक्षरशः सहस्रों प्रकार के खाद्यपदार्थ बनाकर आकर्षक पद्धति से उनकी रचना करते हैं ।
इन मंदिरों और विविध भारतीय दुकानों में लक्ष्मीपूजन के दिन ‘बहीपूजन’ किया जाता है । अनेक भारतीय दुकानदार इस दिन अपने कर्मचारियों को बहीपूजन के लिए बुलाकर उन्हें मिठाई और ‘बोनस’ देते हैं ।
आनंद की यह दीपावली सर्वत्र ही चैतन्य का संपुट लगाती जाती है । इस प्रकार से भारतीय दीपावली अब वैश्विक हो रही है !’
– कल्याणी गाडगीळ (दैनिक लोकमत (मंथन), अक्टूबर २०१६)