इस्लामी देशों की ओर से फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का अभियान

  • ‘इस्लाम संकट में है’ फ्रांस के राष्ट्रपति के इस वक्तव्य का विरोध

  • इस्लामी राष्ट्रों के अभियान के विरुद्ध फ्रेंच नागरिक भी संगठित !

इस्लामी कट्टरतावाद की आलोचना करने पर इस्लामी देश संगठित होकर उसका विरोध करते हैं; परंतु जब पूरे विश्व में हिन्दुओं की आधारहीन आलोचना होती है, तब भारत की कोई भी सरकार उसका विरोध नहीं करती, इसे ध्यान में लें !

पैरिस (फ्रांस) – फ्रांस में मुसलमान कट्टरतावादियों के विरुद्ध कठोर भूमिका अपनाने का विरोध करने के लिए इस्लामी देशों की ओर से #BoycottFrenchProducts हैशटैग ट्रेंड किया जा रहा है । इसके कारण अनेक इस्लामी देशों में फ्रांस के उत्पादों की बिक्री नहीं हो रही है, ऐसा दिखाई दिया है ।

१. कुछ दिन पूर्व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युयल मैक्रोन ने ‘इस्लाम संकट में है’, ऐसा कहा था, जिसका विरोध हुआ था । अब फ्रांस में एक शिक्षक द्वारा वर्ग में नियतकालिक ‘शार्ली हेब्दो’ में प्रकाशित मोहम्मद पैगंबर के व्यंगचित्र दिखाए जाने से एक धर्मांध ने उस शिक्षक का सिर काट दिया था । उसके उपरांत पैरिस में स्थित एक मस्जिद बंद करने हेतु इस्लामी संगठनों के विरुद्ध कार्यवाही आरंभ की गई थी । इस पृष्ठभूमि पर इस्लामी देशों की ओर से उक्त पद्धति से फ्रांस का विरोध किया जा रहा है ।

२. दूसरी ओर फ्रांस सरकार को भी लोगों का समर्थन मिल रहा है । उसके लिए आज के समय में #WeSupportFrance हैशटैग ट्रेंड हो रहा है । इस हैशटैग के साथ ‘आतंकवाद के विरुद्ध लडने में क्या अनुचित है’, ‘बहिष्कार क्यों करना है ?’, ये प्रश्न भी उठाए जा रहे हैं ।

हम कभी भी हार स्वीकार नहीं करेंगे ! – फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन

इस विरोध पर मैक्रोन ने कहा, ‘‘हम कभी भी हार स्वीकार नहीं करेंगे । हम शांति के साथ ही सभी प्रकार के मतभेदों का सम्मान करते हैं । मानवीय प्रतिष्ठा और संप्रभुता के मूल्यों का हम सदैव समर्थन करेंगे ।’’

इस्लामी देशों की ओर से फ्रांस का खुला विरोध

१. अनेक इस्लामी देशों ने फ्रांस का खुला विरोध किया है । उन्होंने एक औपचारिक पत्र भेजा है । उसमें उन्होंने ‘मैक्रोन द्वारा इस्लाम के संदर्भ में दिए गए वक्तव्य के कारण उनमें विद्यमान असहिष्णुता और द्वेष दिखाई दिया है । फ्रांस जैसे राष्ट्र के प्रमुख के लिए यह लज्जाप्रद है ।’, ऐसा कहा है । यमन के मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तवाक्कोल कामरान ने भी पत्र भेजा है । कुछ अरब देशों में स्थित सुपर मार्केट्स में फ्रेंच उत्पादों का बहिष्कार किया गया है ।

२. तुर्किस्तान के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन ने मैक्रोन की आलोचना करते हुए कहा, ‘जिस देश का प्रमुख धार्मिक स्वतंत्रता को समझ नहीं सकता और दूसरे धर्म का आचरण करनेवाले लाखों नागरिकों से भेदभाव करता है, उस देश के प्रमुख के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करने की आवश्यकता है ।’

३. तुर्किस्तान द्वारा मैक्रोन की आलोचना के उपरांत फ्रान्स के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि ‘चर्चा के उपरांत तुर्किस्तान के साथ राजनीतिक संबंध समाप्त करने हैं अथवा तुर्किस्तान में स्थित फ्रांस के राजदूत को वापस बुलाना है, इस पर निर्णय लिया जाएगा । (इस प्रकार की स्पष्ट भूमिका अपनानेवाले फ्रांस से भारत को बहुत कुछ सीखनेयोग्य है ! – संपादक)