सीतामढी (बिहार) में पुलिस द्वारा पूजा रोककर देवताओं की मूर्तियों को पानी में फेंकने का ग्रामवासियों का आरोप

पुलिस ने ५५ सहस्र रुपए और १ लाख रुपए के आभूषण चुराने का ग्रामवासियों द्वारा लगाया गया आरोप किया अस्वीकार !

  • बिहार की सत्ता में भाजपा का भी सहभाग होने से वहां ऐसी घटनाएं होना हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं है !
  • पुलिस भले ही आरोप अस्वीकार करती हो; परंतु आज के पुलिसकर्मियों की मानसिकता को देखते हुए सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए !

सीतामढी (बिहार) – यहां के मेघपुर गांव के ग्रामवासियों ने यह आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके साथ हुए विवाद के उपरांत यहां के मंदिर की श्री दुर्गादेवी की मूर्ति पानी में फेंक दी, साथ ही दान में मिले ५५ सहस्र रुपए और १ लाख रुपए के आभूषण भी पुलिस लेकर गई; परंतु पुलिस ने यह आरोप अस्वीकार किया है ।

१. यहां कुछ लोगों ने श्री दुर्गादेवी की पूजा का आयोजन किया था, साथ ही यहां मूर्ति बनाई जा रही थी । इसकी जानकारी मिलने पर पुलिसवाले वहां पहुंचे और उन्होंने पूजा रोकने का प्रयास किया तथा मूर्ति बनाने का काम भी रोकने का प्रयास किया । इस अवसर पर ग्रामवासी और पुलिस के मध्य विवाद होकर उन्होंने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी करना आरंभ किया ।

२. ग्रामवासियों ने यह आरोप लगाया कि पुलिस बलपूर्वक यहां की मूर्ति को उठाकर उसका विसर्जन करना चाहती थी । तब हमने उनका विरोध किया । उसके पश्चात उन्होंने श्री दुर्गादेवी, श्री गणेश, श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी आदि देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां एकत्रित कर उन्हें १ किमी दूर ले जाकर पानी में फेंक दी । पुलिसकर्मियों ने मदिरा के मद में यह कृत्य किया ।

३. पुलिस का यह कहना है कि ग्रामवासियों की पत्थरबाजी के कारण हमें हवा में गोलीबारी करनी पडी । इस पत्थरबाजी में कुछ ग्रामवासी और पुलिसकर्मियों सहित १२ से भी अधिक लोग घायल हुए । इस गोलीबारी में राघवेंद्र चौधरी नामक लडके को गोली लगने से वह घायल हुआ । पुलिस ने यह दावा किया है कि ग्रामवासियों द्वारा की गई गोलाबारी में उसे गोली लगी ।

४. इस घटना के उपरांत ग्रामवासियों ने यहां सडक बंद आंदोलन कर उत्तरदायी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की । यहां के भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार मिश्रा ने इस घटना की जांच करने की मांग की है ।