हाथरस प्रकरण पर उत्तर प्रदेश में जातीय दंगें भडकाने का षड्यंत्र – अन्वेषण तंत्रों द्वारा सरकार को ब्यौरा प्रस्तुत

  • दंगा भडकाने के लिए जालस्थल बनाकर सूचनाएं

  • इस्लामी देशों से आर्थिक सहायता

  • पी.एफ.आई. और एस.डी.पी.आई. का सहभाग

  • सरकार के विरुद्ध भडकाने का प्रयास

  • इससे पूर्व देश में देहली और बेंगलुरू में दंगे कराए गए थे और उसके लिए पहले से ही योजना बनाई गई थी । इसे देखते हुए केंद्र सरकार को धर्मांध संगठन और जातिवादी संगठनोंपर प्रतिबंध लगाना चाहिए और देश की कानून-व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए !
  • पी.एफ.आई.और एस.डी.पी.आई. के विरुद्ध और कितने प्रमाण मिलनेपर केंद्र सरकार उनपर प्रतिबंध लगानेवाली है ? भारत में दंगें करानेवाले और हिंसा फैलानेवाले खुलेआम घूम रहे हैं, यह सरकारी तंत्रों के लिए लज्जाजनक है !
  • भारत में देशघाती कार्यवाहियों के लिए आर्थिक सहायता करनेवाले खाडी देशों के विरुद्ध भी कार्यवाही करना आवश्यक !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – देश के अन्वेषण विभागों द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि राज्य के हाथरस में १९ वर्षीय युवती के साथ कथितरूप से बलात्कार और मारपीट के उपरांत चिकित्सा के समय उसकी मृत्यु होने के प्रकरण को लेकर राज्य में जातीय दंगें भडकाने का षड्यंत्र रचा गया था । इसके लिए रातोरात एक फर्जी जालस्थल बनाया गया था और उसके द्वारा सांप्रदायिक दंगे कराने का षड्यंत्र रचा गया । justiceforhathrasvictim.carrd.co नाम से यह जालस्थल बनाया गया था । उसपर ‘हाथरस प्रकरण के उपरांत हिंसा भडकाने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?’, यह विस्तृतरूप से बताए जाने का दावा किया गया है । इस जालस्थल के लिए इस्लामी देशों से पैसों की आपूर्ति की गई, साथ ही ‘इसमें कथित मानवाधिकार संगठन एम्नेस्टी इंटरनैशनल का भी सहभाग था अथवा नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है । इस संदर्भ में सरकार को ब्यौरा भेजा गया है । इसमें राज्य में हिंसा भडकाने के लिए १ सहस्र करोड रुपयों की आपूर्ति किए जाने की बात बताई जा रही है ।

जालस्थल द्वारा हिंसा भडकाने की सूचनाएं

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इस जालस्थल पर ‘पुलिस के चंगुल से कैसे बाहर निकलना चाहिए’, ‘पुलिस का विरोध कैसे करना चाहिए ?’, जैसी पद्धतियां बताई गई हैं । गिरफ्तारी तथा ‘पुलिस द्वारा दागी जानेवाली आंसूगैस से कैसे बचाव करना चाहिए ?’, यह भी बताया गया है । इसमें ‘विरोध की इस प्रक्रिया में अधिकाधिक लोगों को सम्मिलित होने का आवाहन भी किया गया है । देहली, कोलकाता, कर्णावती और देश के अन्य भागों में इस प्रकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन और फेरियों का आयोजन करने का भी आवाहन किया गया था । इस जालस्थल पर सहस्रों लोग झूठा परिचय देकर जुडे थे । तत्पश्चात इस प्रकरण को लेकर अफवाएं फैलाई जाने लगीं और झूठे समाचार पोस्ट किए गए । इस जालस्थल की जानकारी मिलते ही अन्वेषण विभागों ने उसे तुरंत बंद कर दिया है ।

पी.एफ.आई. और एस.डी.पी.आई. का सहभाग

बताया जा रहा है कि पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई.) और सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एस.डी.पी.आई.) जैसे संगठनों ने इस जालस्थल को बनाने में बडी भूमिका निभाई है ।

अन्वेषण तंत्रों के पास पीडिता के परिवार को सरकार के विरुद्ध भडकाने के संदर्भ में ध्वनिमुद्रण

इस प्रकरण में पुलिस को कुछ ध्वनिमुद्रण भी मिला है । इसमें पता चला है कि,पीडित परिवार को सरकार के विरुद्ध भडकाने का प्रयास किया जा रहा है । उसके लिए १ करोड रुपए का प्रलोभन दिए जाने की बात कही गई है । अन्वेषण विभागों ने इसकी जांच आरंभ कर दी है । इसमें कुछ पत्रकार और राजनेताओं का संभाषण है । इस ध्वनिमुद्रण का ब्यौरा प्राप्त होनेपर संबंधित लोगों का पॉलीग्राफ और नार्काे परीक्षण किया जानेवाला है ।

जिन्हें विकास अच्छा नहीं लगता, उन्हें हिंसा भडकानी है ! – योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर कहा, ‘‘जिन्हें विकास अच्छा नहीं लगता, उन्हें जातीय हिंसा भडकानी है । उन्हें दंगों के नामपर राजनीति करने का अवसर मिला है; इसलिए वे नए-नए षड्यंत्र रच रहे हैं ।’’