‘बाबरी मस्जिद पुनःबनाई जाएगी, भले ही १ सहत्र वर्ष लग जाएं !’

धर्मांध एस.डी.पी.आई. संगठन के सचिव तस्लीम रहमानी का भडकाऊ विधान

सर्वोच्च न्यायालय को मानने के कारण ही गलत फैसले पर संयम रखने का विषवमन

  • इससे ध्यान में आता है कि धर्मांधों के मन में क्या चल रहा है ! सरकार और सुरक्षातंत्र को समय पर ही इसे संज्ञान में लेकर ऐसे लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए !
  • धर्मांधों की उद्दंडता जानें ! इससे सिद्ध होता है कि धर्मांध भारतीय कानून, सरकार, लोकतंत्र व्यवस्था, न्यायप्रणाली आदि किसी को नहीं मानते !
  • एक प्रकार से भडकानेवाले विधान कर एक प्रकार से व्यवस्था को ही चुनौती देनेवाले ऐसे संगठनों पर सरकार प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को उजागर गलत कहनेवालों पर सरकार और न्यायालय क्या कार्यवाही करनेवाले हैं ?
तस्लीम रहमानी

बेंगलूरू – बाबरी मस्जिद पुन: बनाई जाएगी, भले ही १ सहस्र वर्ष लग जाएं, ऐसा भडकाऊ विधान ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया’ (एस.डी.पी.आई.) इस संगठनके सचिव तस्लीम रहमानी ने किया है । ‘जी न्यूज’ चैनल पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि इस विषय पर आयोजित चर्चासत्र में वे बोल रहे थे । ‘अयोध्या में उस स्थान पर मस्जिद थी, है और वहीं रहेगी’, इस वाक्य का जानबूझकर दो बार उच्चारण किया गया । यह चर्चासत्र लेनेवाले निवेदक ने दोहरी भूमिका लेनेवाले रहमानी को फटकारा, तब रहमानी ने कहा कि, ‘हम सर्वोच्च न्यायालय को मानते हैं, इसलिए गलत निर्णय पर धैर्य रखे हुए हैं ।’

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बताया था कि अगस्त २०२० में बेंगलूरू में हुए दंगों में एस.डी.पी.आई. संगठन का हाथ है । इस दंगे में भीड को भडकाने के आरोप में इस संगठन के नेता मुजम्मिल पाशा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है ।