केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने बाबरी विध्वंस प्रकरण में पाकिस्तान के सम्मिलित होने की संभावना की भी जांच नहीं की ! – केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत

इससे पता चलता है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसी जांच एजेंसियां कैसे जांच करती हैं ! क्या उनके द्वारा कभी वास्तविक अपराधी पकडे जाएंगे? और उन्हें कभी दंडित किया जाएगा?

लक्ष्मणपुरी (उत्तरप्रदेश) – अयोध्या में श्री राम के जन्मस्थान पर, भारत में धार्मिक खाई निर्माण करने के लिए पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा बाबरी ढांचा गिराने के लिए लोग भेजे गए थे, इस बात की खुफिया जानकारी होते हुए भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने जांच नहीं की, विशेष अदालत ने बाबरी ढांचा विध्वंस प्रकरण के अपने निर्णय में ऐसा कहा है । विशेष न्यायालय ने यह भी कहा कि स्थानीय गुप्तचर विभाग ने यह रिपोर्ट दी थी कि २ दिसंबर १९९२ को मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा कार सेवा बाधित करने और धार्मिक विभाजन को व्यापक बनाने के लिए ‘मजार´ को तोडकर आग लगा दी । ६ दिसंबर १९९२ को बाबरी ढांचा विध्वंस के फलस्वरूप पूरे देश में दंगे भडके जिसमें दो सहस्र लोगों को अपने प्राण गंवाने पडे थे ।

१. विशेष न्यायाधीश एस यादव ने २,३०० पृष्ठों के अपने निर्णय में कहा कि ३२ मुक्त अभियुक्तों के विरुद्ध केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की चार्जशीट निरर्थक थी; क्योंकि उन्होंने ५ दिसंबर १९९२ को स्थानीय गुप्तचर विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट की जांच ही नहीं की, जिसमें कहा गया था कि ६ दिसंबर को पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई के कुछ सदस्य स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विवादित ढांचे को क्षति पहुंचा सकते हैं । यह जांच प्रभाहीन है क्योंकि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने इस तथ्य की जांच ही नहीं की थी ।

२. विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (सुरक्षा) द्वारा हस्ताक्षरित स्थानीय खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है, इसमें यह इंगित किया गया कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के कुछ सदस्य राज्य और देश में धार्मिक दंगेभडकाने के उद्देश्य से स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विस्फोटक अथवा अन्य साधनों से विवादित ढांचे को क्षति पहुंचा सकते थे ।

३. यह सूचित किया गया था कि देहली के रास्ते विस्फोटक पाकिस्तान से अयोध्या पहुंचाए गए थे । वहीं, एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के उधमपुर क्षेत्र से लगभग १०० देशद्रोही और असामाजिक कार्यकर्ता कारसेवकों की वेश में अयोध्या पहुंचे हैं ।

४. न्यायालय ने कहा कि यह रिपोर्ट संबंधित विभागों के पास गई और उस पर कार्रवाई भी की गई । रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव (गृह) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को लिखित रूप में भेजा गया था । न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि इतनी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होने के पश्चात भी इस दृष्टिकोण से इसकी जांच नहीं की गई ।