वैधानिक लडाई में सहभागी होना है अथवा नहीं ?’ इस पर निर्णय लेंगे
यदि हिन्दू धर्मगुरुओं को इस तरह की बैठक करनी पडे, तो सर्वसामान्य हिन्दुओं की क्या स्थिति होगी, यह ध्यान में आता है ! यदि हिन्दू धार्मिक नेता कुछ संगठनों और दलों में विभाजित हुए होंगे और वे इसे अपने लाभ की दृष्टि से देख रहे हैं, तो यह हिन्दुओं के लिए अत्यंत लज्जास्पद है !
मथुरा : मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए १५ अक्तूबर को वृंदावन में धर्मगुरुओं की एक बैठक आयोजित की जाएगी । इसमें यह निर्णय लिया जायेगा कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में ईदगाह मस्जिद के अतिक्रमण को हटाने के लिए वैधानिक लडाई में भाग लेना है अथवा नहीं ? अखिल भारतीय अखाडा परिषद के महंतों ने भी भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थली का दौरा करने का निर्णय लिया है और परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि स्थिति का आकलन करेंगे ।
भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मस्जिद का अतिक्रमण हटाने के लिए मथुरा न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट की गई है और मथुरा की वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश छाया शर्मा द्वारा इस पर सुनवाई की जाएगी । इस याचिका में मांग की गई है कि श्रीकृष्ण मंदिर की १३ एकड भूमि पर कटरा केशव देव मंदिर का स्वामित्व है और इस संदर्भ में वर्ष १९६८ में मथुरा की अदालत का दिया गया निर्णय रद्द कर देना चाहिए । उस समय अदालत ने ‘श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान’ और ‘शाही ईदगाह प्रबंधन समिति’ के मध्य भूमि समझौते को स्वीकृति दी थी ।
(कहते हैं) ‘मंदिर-मस्जिद विवाद बढाकर बाहरी लोग मथुरा में शांति भंग कर रहे हैं !’अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा’ की आत्मघाती गांधीगिरी, हिन्दुओं की याचिका का विरोध !
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने हिन्दुओं द्वारा प्रविष्टर याचिका का विरोध किया है । महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि कुछ बाहरी लोग मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद बढाकर शांति भंग कर रहे हैं । २० वीं सदी में, मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के विवाद को दो समूहों के मध्य सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है । उपासना स्थल संबंधी विशेष कानून (प्लेसेस ऑफ वर्शिप) १९९१ के अनुसार, स्वतंत्रता के समय पूजा स्थलों की जो स्थिति थी उसको बनाए रखना निश्चित किया गया है । श्री राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवादों को उस अधिनियम की सीमा से बाहर रखा गया था । |