‘सिम्पली जयपुर’ पत्रिका द्वारा आयोजित विशेष परिसंवाद !
प्राचीन भारत के खगोलीय ज्ञान को उजागर करता है अधिक मास ! – श्री. आनंद जाखोटिया
जयपुर (राजस्थान) – चन्द्र वर्ष एवं सौर वर्ष का मेल हो इसलिए हिन्दू धर्म में अधिक मास का प्रयोजन किया गया है । इस माह में दान और उपवास किया जाता है । खगोलीय परिवर्तन का मानव जीवन पर होनेवाला परिणाम और उसका लाभ कैसे लें, यह अधिक मास से समझ में आता है । ऋषि-मुनियों द्वारा किया गया खगोलीय अध्ययन हमें अधिक मास से ध्यान में आता है । साथ ही हिन्दू धर्मशास्त्र कितना वैज्ञानिक यह भी ध्यान में आता है । अधिक मास में भगवान के प्रति भाव रखकर दान और उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है । पूर्णिमा और सूर्य ग्रहण कब आएगा, यह हमारा पंचांग बताता है । पंचांग वैज्ञानिक दृष्टि से उन्नत है, यह जानकर अपना जन्मदिन तिथि के अनुसार मनाना चाहिए । यदि किसी का जन्मदिन अधिक आश्विन मास में आता है, तो वह शुद्ध अश्विन मास में जन्मदिन मना सकता है’’, ऐसा विचार हिन्दू जनजागृति समिति के राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य के समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने व्यक्त किया ।
अधिक मास प्रारंभ होने के प्रथम दिवस पर १९ सितंबर को ‘सिम्पली जयपुर’ मासिक पत्रिका द्वारा ‘फेसबुक’ पर ‘लाइव परिसंवाद’ का आयोजन किया गया था । इस परिसंवाद में श्री. जाखोटिया को निमंत्रित किया गया था ।
श्री. आनंद जाखोटिया ने बताया कि ‘यदि अधिक मास में पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि आती है, तो उस तिथि को हम श्राद्धविधि कर सकते हैं । पत्रिका की सहसंपादक श्रीमती अंशू हर्ष जी ने इस विषय पर समाज में उठनेवाली शंकाओं एवं तथ्यों के संदर्भ में प्रश्न किए, जिसपर श्री. जाखोटिया ने सभी प्रश्नों का समाधान स्पष्टता से कराया ।
नामस्मरण और स्वसूचना लेने से कोरोना संकट में तनावमुक्त रहा जा सकता है !
अंशु जी ने पूछा कि ‘अभी चल रहे कोरोना के काल में तनावमुक्त रहने के लिए क्या करना चाहिए ?’ इस पर श्री. आनंद ने बताया, ‘‘मन का तनाव स्वसूचना के माध्यम से कम किया जा सकता है । इसके बारे में सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है । शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ ही प्राणशक्ति बढाना आवश्यक
है । इसके लिए संतों द्वारा बताया गया नामजप करना चाहिए । दुर्गादेवी, दत्तात्रेय और भगवान शिव का यह नामजप सनातन संस्था के एंड्रॉइड ऐप सनातन चैतन्यवाणी पर उपलब्ध है ।धर्म और संस्कृति का पालन हमारे स्वास्थ्य और आत्मिक बल के लिए आवश्यक है । फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रसारित हुए इस परिसंवाद को अलग-अलग जगहों से उत्तम प्रतिसाद मिला ।