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- बाबरी ढहाने के प्रकरण में हिन्दुओं को आतंकवादी और हिंसक कहनेवाले कांग्रेसी, धर्मांध, आधुनिकतावादी, साम्यवादी, समाजवादी आदि को करारा तमाचा !
- ‘२८ वर्ष उपरांत मिलनेवाला न्याय, अन्याय ही है’, यदि ऐसा कोई सोचे, तो उसमें अनुचित क्या है ? सरकार को न्यायप्रणाली की त्रुटियां दूर करने के लिए प्रयत्न करना आवश्यक
लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) – वर्ष १९९२ में बाबरी ढांचा ढहाने के प्रकरण में लक्ष्मणपुरी स्थित सी.बी.आई. के विशेष न्यायालय ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती, उत्तरप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, साध्वी ऋतंभरा आदि सहित सभी ३२ आरोपियों को निर्दोष मुक्त कर दिया है । रामजन्मभूमि निर्णय के उपरांत संपूर्ण देश का ध्यान इस अभियोग की ओर लगा हुआ था । इस सुनवाई के समय २६ आरोपी न्यायालय में उपस्थित थे । लालकृष्ण आडवानी ‘वीडियो कॉन्फरेन्सिंग’ के माध्यम से उपस्थित थे ।
विश्व हिंदू परिषद की प्रेस विज्ञप्ति – (पढ़ने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
इस समय न्यायाधीशों ने ‘बाबरी ढांचा ढहाने का पूर्वनियोजित षड्यंत्र नहीं था, बाबरी ढहने की घटना अचानक घटी’, ऐसा बताकर और आरोपियों के विरोध में कोई ठोस प्रमाण नहीं है, यह कहते हुए उन्हें निर्दोष मुक्त कर दिया है । न्यायालय ने कहा कि, विश्व हिन्दू परिषद की इसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई भूमिका नहीं है । न्यायालय ने इस समय यह भी बताया ।
बाबरी विध्वंस पर फैसले से अयोध्या के साधु गदगद#BabriDemolitionCase https://t.co/Fy8tJeVO1b
— AajTak (@aajtak) September 30, 2020
।।जय श्रीराम।।#BabriVerdict — Hindutva has won yet again !
Let's pray Gratitude unto The Holy Feet of #ShriRam
Golden dawn of #HinduRashtra is on the horizon now !
O Hindus,
Lets unite
Lets work selflessly
Lets enhance our spiritual energies।। जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम ।। pic.twitter.com/vnp5EBKxzA
— Sanatan Prabhat (@sanatanprabhat) September 30, 2020
इस प्रकरण का अन्वेषण करनेवाली सी.बी.आई. ने न्यायालय में ३५१ साक्षी (गवाह) और अनुमानित ६०० कागदपत्र (कागजात) प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किए थे । ४८ लोगों के विरुद्ध आरोप निश्चित किए गए थे; परंतु उनमें से १६ लोगों की अभियोग के चलते मृत्यु हो गई थी ।
न्यायालय के निर्णय का स्वागत करता हूं ! – लालकृष्ण अडवानी
बाबरी मस्जिद ढहाने के संबंध में विशेष न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का मैं स्वागत करता हूं । इस निर्णय के कारण श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के विषय में मेरी व्यक्तिगत और भाजपा का विश्वास और वचन बद्धता सिद्ध होती है, बाबरी प्रकरण से निर्दोष मुक्त होने के बाद भाजपा नेता लालकृष्ण अडवानी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।
हमारा आंदोलन कोई षडयंत्र नही था, यह सिद्ध हुआ – मुरली मनोहर जोशी
श्रीराम मंदिर का आंदोलन यह ऐतिहासिक क्षण था । आज न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है । प्रारंभ से ही हम सभी जो सत्य बता रहे थे, वही न्यायालय के सामने पस्तुत किया । हमारा आंदोलन कोई भी षड्यंत्र नही था, यह सिद्ध हुआ है। हमे अत्यधिक आनंद हुआ है । न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के पश्चात अब यह विवाद समाप्त हो जाना चाहिए । सभी अधिवक्ताओं के परिश्रम के कारण और लोगों के गवाही के कारण आज यह निर्णय आया है । संपूर्ण देश को श्रीराम मंदिर के निर्माण में जुट जाना चाहिए । ‘जय सिया राम, सबको सन्मति दे भगवान’ , ऐसा भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बोले ।
यह तो पहली झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है ! – आचार्य धर्मेंंद्र
सत्य की विजय हुई है । इसको मैंै नमस्कार करता हूं । हम सभी मिलकर पुराने दाग धो डालेंगे । यह तो पहली झलक थी । अभी तो मथुरा और काशी बाकी है । जहां जहां दाग हैं, उन्हें धोकर साफ करेंगे, ऐसी प्रतिक्रिया आर्चाय धर्मेंद्रजी ने व्यक्त की है ।
कांग्रेस को जनता से क्षमा मांगनी चाहिए ! योगी आदित्यनाथ
सत्यमेव जयते ! सीबीआई के विशेष न्यायालय का स्वागत है । तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजकीय पूर्वाग्रहग्रस्त होकर संत, भाजपा के नेता, विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी और समाज सेवकों को झूठे अपराधों में फंसाकर उनकी अपकीर्ति की । इस षडयंत्र के लिए कांग्रेस को जनता से क्षमा मांगनी चाहिए, ऐसी मांग उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है ।
क्या मस्जिद जादू से टूटी ? – असदुद्दीन ओवैसी
क्या किसी ने जादू से मस्जिद में मूर्ति रखी थी ? क्या जादू से मस्जिद के ताले खुल गए ? क्या जादू से मस्जिद टूटी ? सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्वीकार किया था कि, बाबरी ढांचा गिराया गया था; आज का निर्णय काला दिवस कहकर स्मरण में रखा जाएगा, ऐसी प्रतिक्रिया एम.आई.एम. के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने व्यक्त की है ।
ओवैसी ने कहा कि, अडवानी की रथ यात्रा जिस क्षेत्र से गुजरी, वहां हिंसा हुई । यदि अनेक महीनो से तैयारी चालू थी, तो अचानक यह वैâसे हो सकता ह ? उमा भारती नारा लगा रही थी कि, ‘एक धक्का और दो, बाबारी मस्जिद तोड दो । बाबरी ढहाने के पश्चात लोग मिठाई बांट रहे थे, आनंद उत्सव मना रहे थे । इस संपूर्ण प्रक्रिया में मुसलमानों को न्याय नहीं मिला है । सी.बी.आई. के आरोप पत्र में कहा गया है कि, कल्याण सिंह ने कहा था कि, ‘मंदिर बनाना प्रतिबंधित है मस्जिद तोडना नहीं । ५ दिसंबर १९९२ को विनय कटियार के घर पर बैठक हुई थी और उसमें लालकृष्ण अडवानी उपस्थित थे । मुझे लज्जा आती है कि, मैं मस्जिद बचा नहीं पाया । भाजपा सरकार ने अडवानी का सम्मान किया था । तभी स्पष्ट हो गया था कि, निर्णय क्या आने वाला है ।
उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे ! सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने न्यायालय के निर्णय पर कहा कि, यह निर्णय प्रमाणों और कानून के विरोध में है । वर्ष १९९४ से उच्च न्यालय और सर्वोच्च न्यायालय ने बताया था कि, यह अपराध है । धारा १९७ और १९८ के अनुसार यह अपराध है । उनको इस प्रकार निर्दोष मुक्त करना अत्यंत अनुचित है । इस निर्णय को हम उच्चतम न्यायालय में चुनौती देनेवाले हैं ।