- जनता को साधना न सिखाने का यह दुष्परिणाम है तथा स्वतंत्रता के उपरांत से आज तक के सर्वदलीय शासक ही इसके लिए उत्तरदायी हैं !
- भारत की भावी पीढी व्यसनी बन रही है और उसकी ओर ध्यान न देनेवाले अभिभावक, समाज और शासक धर्माचरण करनेवालों का हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य करते हैं !
नई देहली – केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पता चला है कि, देश के १० से १७ आयुवर्ग के १ करोड ४८ लाख बच्चे अल्कोहोल, अफीम, कोकीन, भांग जैसे मादक पदार्थाें का सेवन करते हैं । यह सर्वेक्षण वर्ष २०१८ के आंकडों पर आधारित है । लोकसभा में सामाजिक न्यायमंत्री रतनलाल कटारिया ने इस संबंध में लिखित उत्तर देते हुए यह जानकारी दी ।
१. इस सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष १८ से ७५ वर्ष के आयुवर्ग में भांग सेवन करनेवालों की अनुमानित संख्या २ करोड ९० लाख है, तो अफीम सेवन करनेवालों की संख्या १ करोड ९० लाख है ।
२. १८ से ७५ आयुवर्ग के १० लाख लोग कोकीन तथा २० लाख लोग उत्तेजना उत्पन्न करनेवाले ‘एम्फैटेमिन’का सेवन कर रहे हैं ।
३. १८ से ७५ आयुवर्ग के १५ करोड १० लाख लोग मद्यपान करते हैं ।
४. लगभग ५० लाख बच्चे और किशोर मादक पदार्थाें का सेवन करते हैं, तो २ लाख बच्चे कोकीन और ४ लाख बच्चे उत्तेजना उत्पन्न करनेवाले पदार्थाें का सेवन करते हैं ।
५. १० से १७ वर्ष आयुवर्ग के ३० लाख बच्चे और किशोर मद्यपान, ४० लाख बच्चे अफीम, तो २० लाख बच्चे भांग का सेवन करते हैं ।
६. फोर्टिस चिकित्सालय के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. समीर पारिख ने बताया कि बच्चों में मादक पदार्थाें के सेवन का अनुपात बढ रहा है । इन पदार्थाें का सेवन किशोरावस्था के बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है । नशे की आदत के कारण वे आक्रामक बन जाते हैं । सामान्यरूप से घर का कोई एक व्यक्ति किसी न किसी मादक पदार्थ का व्यसन करता है, जिसका किशोरावस्था के बच्चों पर परिणाम होता है । उससे कोई अप्रिय घटना भी होती है । अभिभावकों की भागदौडवाली जीवनशैली में वे बच्चों के लिए अधिक समय नहीं निकाल पाते । उससे बच्चे स्वयं को अकेला समझने लगते हैं और उससे वे बुरी संगत में जाकर व्यसनी बन जाते हैं । इसलिए बच्चों की ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ।
७. सामाजिक न्यायमंत्री रतन लाल कटारिया ने लोकसभा में बताया कि वर्ष २०१८ से २०२५ की अवधि में मादक पदार्थाें की मांग न्यून करने हेतु ‘राष्ट्रीय कार्य योजना’ बनाई गई है और उसका पालन किया जा रहा है ।