राजधानी देहली में प्रतिदिन ७ जन करते हैं आत्महत्या !

आत्महत्याओं के पीछे मानसिक, शारीरिक और बेरोजगारी आदि प्रमुख कारण

  • जनता को गत ७३ वर्षाें में साधना न सिखाने का ही यह परिणाम है ! साधना करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति अधिक अच्छी होकर उसका मनोबल और आत्मबल बढता है । इसलिए वह किसी भी स्थिति में स्थिर और शांत रह सकता है । उस पर बाह्य परिस्थिति का कोई भी प्रतिकूल परिणाम नहीं होता; परंतु इसका अध्ययन न होने के कारण और भारत को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करने से हुई हानि में से जनता की यह एक बडी हानि है, यह ध्यान में आएगा वह सुदिन होगा !
  • धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र में जनता को धर्मशिक्षा द्वारा साधना सिखाई जाएगी और साधना करवा ली जाएगी । हिन्दू राष्ट्र में स्थिति वर्तमान स्थिति के समान जनता को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करनेवाली नहीं होगी । इसलिए जनता के मन में कभी आत्महत्या के विचार नहीं आएंगे और भारत आत्महत्या मुक्त देश बनेगा !

नई देहली – देहली में मानसिक बीमारी के कारण आत्महत्या करनेवालों की संख्या गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष ढाई गुना बढ गई है । राष्ट्र्रीय अपराध पंजीकरण विभाग द्वारा (‘एन.सी.आर.बी.’ने) दिए गए आंकडों से यह जानकारी सामने आई है । देहली में वर्ष २०१९ में सडक दुर्घटना में प्रतिदिन ४ लोगों की मृत्यु हो गई थी तथा आत्महत्या करनेवालों की संख्या प्रतिदिन ७ थी । इन आंकडों के अनुसार प्रतिवर्ष अनुमानित २ सहस्र ५२६ लोग आत्महत्या कर रहे हैं । इसमें पारिवारिक समस्या एक बडा कारण है । इसमें आपसी विवाद, परिजनों से अच्छे संबंध न होना आदि बातें भी कारणीभूत है । इन आंकडों में आत्महत्या का प्रयत्न कितनी बार किया गया है ?, इसकी जानकारी नहीं दी गई है ।

मानसिक बीमारी के कारण एक वर्ष में ४७ आत्महत्या

वर्ष २०१९ में देहली में मानसिक बीमारी के कारण ४७ जनों ने आत्महत्या की थी तथा इस वर्ष इसी कारण से १८ जनों ने आत्महत्या की है । दोनों वर्षाें में महिलाओं की संख्या ६ है तथा पुरुषों की संख्या १२ से बढकर ४१ हो गई है ।

शारीरिक बीमारियों के कारण इस वर्ष १३० आत्महत्या

मानसिक बीमारियों के साथ ही गंभीर और दीर्घ समय तक चलनेवाली बीमारियों के कारण की जानेवाली आत्महत्या कम हो गई है, यह इन आंकडों से दिखाई दिया है । इसके अनुसार गत वर्ष २१८ आत्महत्याएं हुई थीं तथा इस वर्ष अब तक १३० आत्महत्याएं हुई हैं । उनमें से २ सहस्र ५२६ में से ४६९ आत्महत्याओं का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है ।

बेरोजगारी के कारण बढती आत्महत्या

बेरोजगारी के कारण वर्ष २०१८ की तुलना में २०१९ में २० प्रतिशत अधिक आत्महत्याएं हुई है । नौकरियां छूट जाने के कारण वर्ष २०१९ में ११८ जनों ने आत्महत्या की थी, जो संख्या वर्ष २०१८ में ९८ थी । वर्ष २०१८ में ६११ बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी तथा यह संख्या वर्ष २०१९ में बढकर ६७७ हो गई है ।