पहले जितनी नहीं थी, आज हिन्दू एकता की उतनी आवश्यकता है और ऐसे में एक हिन्दू ही एक दूसरे हिन्दू धर्माभिमानी को अधिवेशन में सम्मिलित होने का विरोध करे, यह दुर्भाग्यपूर्ण है ! ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में आयोजित एक परिचर्चा में एक राज्य के एक धर्मप्रेमी भाग लेनेवाले थे; परंतु कुछ स्थानीय लोगों ने उनका विरोध किया । उनमें से एक संप्रदाय के उनके एक मित्र ने उस धर्मप्रेमी से कहा, ‘‘कुछ महीने पूर्व ही आपके पिता का निधन हुआ है; इसलिए सार्वजनिक स्थान पर आपका बोलना उचित नहीं होगा ।’ ऐसा बोलकर अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने इस धर्मप्रेमी का विरोध किया । तत्पश्चात इस धर्मप्रेमी ने अधिवेशन में सम्मिलित होना रद्द कर दिया । इस पर इस धर्मप्रेमी ने आयोजकों से कहा, ‘इससे पहले भी मुझे ऐसा अनुभव हुआ है; उसके कारण यथासंभव मैं सामने आकर बोलना टालता हूं, जिससे मुझे कोई समस्या न आए ।’
‘ऑनलाइन’ अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन
में सम्मिलित एक राज्य की समाजसेविका को धर्मांध ईसाईयों ने दी धमकी !
यह है धर्मांध ईसाईयों की उद्दंडता ! इससे ‘प्रेम एवं शांति’ की बातें करनेवाले धर्मांधों का वास्तविक चेहरा सामने आता है ! ऐसे धर्मांध ईसाई भारत की अखंडता के लिए संकट हैं, यह समझें ! हिन्दू जनजागृति समिति का ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न हुआ है । इस अधिवेशन में एक विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई थी । इस में एक राज्य की एक समाजसेविका ने भाग लिया था । कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात उनके क्षेत्र में रहनेवाले २ ईसाई व्यक्तियों ने उन्हें दूरभाष कर ‘यह ईसाई राज्य है । यहां हम जैसा चाहेंगे, वैसे रहेंगे । इस प्रकार से बतानेवाली आप कौन होती हैं ? इस प्रकार सार्वजनिक रूप से बोलने का आपने साहस ही कैसे दिखाया ? इस श्रव्यचक्रिका को तुरंत ‘डिलीट’ कीजिए’, यह कहकर धमकाया ।