विजातीय जोडियों का विवाह पंजीकृत पद्धति से होने के पूर्व समाचार पत्र में वह प्रकाशित करने की शर्त निरस्त

‘लव जिहाद’ के प्रकरण उजागर होने से रोकने हेतु केरल की कम्युनिस्ट सरकार का निर्णय !

इसका अर्थ है केरल सरकार को ‘लव जिहाद’ स्वीकार है तथा वह उसका समर्थन कर रही है ! इस प्रकरण में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को यह शर्त निरस्त न करने हेतु चेतावनी देनी चाहिए, ऐसा धर्मप्रेमी हिन्दुआें को लगता है !

थिरुवनंतपुरम (केरल) – केरल राज्य में नियम था कि यदि दो अलग-अलग जाति की जोडियों को पंजीकृत पद्धति से विवाह करना हो, तो उससे पूर्व इस आशय का नोटिस समाचार पत्रों में प्रकाशित करना आवश्यक था । इसलिए ऐसे अनेक विजातीय विवाहों की जानकारी जनता के सामने आती थी । उसमें ‘लव जिहाद’ के प्रकरण उजागर होने की संभावना थी । इसलिए केरल सरकार ने मूल कानून में परिवर्तन किया है कि ‘इस प्रकार का नोटिस समाचार पत्रों में प्रकाशित करना आवश्यक नहीं है । केवल पंजीकृत कार्यालय के फलक पर यह जानकारी प्रकाशित करना पर्याप्त है’, ऐसा इस आदेश में कहा गया है ।

१. इससे पूर्व ऐसी विजातीय जोडियों के विवाह का पंजीकरण करने से पूर्व नियोजित वर और वधु इन दोनों के घरों में सूचना भेजी जाती थी । इसलिए यदि उन दोनों परिवारों में से किसी परिवार को इस विवाह के संबंध में कोई आपत्ति हो, तो वह आपत्ति उठा सकता था तथा कानून में आयु की शर्त, प्रथम पति/पत्नी जीवित होना, मानसिक दृष्टि से सक्षम होना आदि व्यवस्थाएं देखी जाती थीं; परंतु इस कानून की व्यवस्थाएं भी निरस्त कर दी गई हैं । (अब केरल के अभिभावकों द्वारा इस कानून का वैधानिक मार्ग से विरोध करना अपेक्षित है अन्यथा उनकी लडकियां जिहादियों के नियंत्रण में जाने पर उन्हें पश्‍चाताप करना पडेगा ! – संपादक)

२. कानून के उक्त सुधारों के कारण हिन्दू लडकियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे विवाह करना, उनका धर्मपरिवर्तन करना, तत्पश्‍चात उनकी पिटाई कर उन्हें तलाक देना और सडक पर लाने की घटनाएं बढेंगी, ऐसा भय अनेकों ने व्यक्त किया है ।

(कहते हैं) ‘धार्मिक संगठन लव जिहाद का स्वरूप देते हैं इसलिए शर्त निरस्त !’- केरल के मुख्यमंत्री जी. सुधाकरन

केरल के मंत्री जी. सुधाकरन बोले, ‘विवाह से पूर्व जानकारी प्रकाशित होने पर अनेक धार्मिक संगठन उस विवाह को ‘लव जिहाद’ का स्वरूप देकर समाज की शांति भंग करने का प्रयत्न करते हैं । इसलिए सरकार ने यह शर्त निरस्त की है । (यदि ऐसी पद्धति से होनेवाला विवाह ‘लव जिहाद’ होगा, तो सरकार उस पर कैसी कार्यवाही करनेवाली है ?, यह सुधारकरन ने क्यों नहीं बताया ? हिन्दू लडकियों को और केरल में तो ईसाई लडकियों को भी प्रेमजाल में फंसाकर उनका धर्मपरिवर्तन कर तत्पश्‍चात विवाह कर उन्हें जिहादी आतंकवादी बनाने की घटनाएं उजागर हुई हैं, तब भी कानून में ऐसा परिवर्तन करने का अर्थ है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट दल की सरकार आतंकवादियों को सहायता कर रही है ! – संपादक)