हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ऑनलाइन उद्योगपति सम्मेलन !

पूर्वोत्तर भारत के १०० से अधिक उद्योगपतियों का सहभाग

                         सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – कोरोना महामारी से उत्पन्न आर्थिक मंदी और मानसिक तनाव का सामना करने के लिए समाज का मनोबल बढे, इसके लिए रष्ट्र और धर्म के हित का विचार करनेवाले उद्योगपतियों का एकजुट होना काल की आवश्यकता है । उद्योगपति परिषद इस दृष्टि से प्रयत्न कर रही है; इसमें आप भी सम्मिलित हों । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने यह आवाहन किया ।

     हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ऑनलाइन उद्योगपति सम्मेलन अभी कुछ ही समय पहले संपन्न हुआ है । इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड तथा बंगाल के १०० से अधिक उद्यमियों ने भाग लिया था । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पूज्य नीलेश सिंगबाळजी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस और हिन्दू जनजागृति समिति, प्रयागराज के समन्वयक श्री. गुरुराज प्रभु ने भी उपस्थित उद्योगपतियों का ऑनलाइन मार्गदर्शन किया । इस समय कुछ उद्योगपतियों ने भी अपने मनोगत व्यक्त किए ।
१. मार्गदर्शन करते समय पू. नीलेश सिंगबाळजी ने कहा कि कठिन परिस्थिति में आत्मबल बनाए रखने के लिए साधना बढानी
चाहिए । स्तोत्रपाठ, नामजप, अग्निहोत्र आदि उपचारों से भी हम अपनी रक्षा कर सकते हैं ।
२. सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन

राजहंस ने कहा कि अनेक संतों ने आगामी काल को बहुत भीषण बताया है । इसलिए उद्योगपति कालानुसार नीति बनाकर कार्य करेंगे, तो वे निश्‍चित ही इस कठिन परिस्थिति में भी स्वयं को तथा राष्ट्र को आगे ले जा सकेंगे । वर्तमान परिस्थिति में तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है; परंतु स्वयंसूचना आदि उपचारों से हम यह तनाव दूर कर सकते हैं ।
३. समिति के प्रयागराज समन्वयक श्री. गुरुराज प्रभु ने सुपात्र को दान करने का महत्त्व बताकर धर्मसंस्थापना के लिए प्रयत्नरत संतों और संस्थाआें को दान के माध्यम से सहयोग करना, हमारी साधना ही है, यह बताया ।

पू. नीलेश सिंगबाळजी

उद्योगपतियों का मनोगत

१. श्री. करुणापति दुबे, सनदी लेखापाल, भदोही, उत्तर प्रदेश :
१. जब से मैं सनातन संस्था से जुडा हूं, तब से नामजप कर रहा हूं । मैं नियमित सत्संग सुनता हूं । मुझे बहुत शांति मिल रही है । मेरा संयम बढ गया है, प्रतिक्रिया घट गई है । इससे मेरे निजी जीवन में लाभ हुआ है । मेरे ग्राहक भी दूसरों से मेरी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि मैं उनसे बहुत प्रेम और नम्रता से काम लेता हूं । इसका लाभ व्यावहारिक जीवन में हुआ ।
२. श्री. दिलीप कुमार अगरवाल, कतरास, झारखंड : नामजप प्रारंभ करने से मेरे व्यक्तिगत जीवन की अनेक अडचनें दूर हो गई । नामजप से मेरे मन को अच्छा लगता है ।
३. श्री. दीपक बबुना, हाजीपुर, वैशाली, बिहार : जब मुझे तनाव आता है, तो नामजप करने से मन शांत होता है । नामजप में अपार शक्ति है, कुछ ही समय में मन स्थिर होने से मैं अपने कार्य अच्छे से कर सकता हूं ।