कानपुर में पुलिसकर्मियों का हत्याकांड
कुछ राजनीतिक नेताओं से भी संरक्षण दिए जाने का हुआ था प्रयास !
- जनता को यही लगता है कि २०० से भी अधिक पुलिसकर्मी एक गुंडे के संपर्क में थे, यह बात वरिष्ठ अधिकारियों और गृह विभाग को ज्ञात नहीं या उनकी भी उससे मिलीभगत थी ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसकी जांच कर अपराधियों को कठोर दंड मिलने हेतु प्रयास करने चाहिए !
- ऐसे पुलिसकर्मियों के कारण पुलिस बल के ही ८ पुलिसकर्मियों को अपने प्राण गंवाने पडे, जो पुलिस विभाग के लिए लज्जाजनक है !
कानपुर (उत्तर प्रदेश) – २ जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपित और उत्तर प्रदेश का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार (जुलाई १०, २०२०) को सवेरे भागने की कोशिश करते हुए पुलिस एनकाउंटर में मारा गया ।
कुछ दिन पूर्व कुख्यात गुंडा विकास दुबे और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए आक्रमण में ८ पुलिसकर्मी मारे गए थे । इस प्रकरण में चौबेपुर पुलिस थाने के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को दुबे की सहायता करने के आरोप में निलंबित कर उसके विरुद्ध प्राथमिकी प्रविष्ट की गई है । प्राथमिक जांच में चौबेपुर पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों सहित लगभग २०० पुलिसकर्मी दुबे की सहायता कर रहे थे, यह बात उनके ‘कॉल डिटेल्स’ की जांच में सामने आई है । इन पुलिसकर्मियों ने समय-समय पर दुबे की कुछ न कुछ सहायता की है, साथ ही दुबे के समाजवादी दल, भाजपा आदि राजनीतिक दलों के नेताओं से निकट के संबंध थे और उनके द्वारा ही दुबे को संरक्षण देने के निरंतर प्रयास किए गए थे, ऐसा बताया जा रहा है । विकास दुबे के विरुद्ध हत्या, अपहरण, रंगदारी, दंगा भडकाना जैसे ६० से भी अधिक अपराध प्रविष्ट थे ।
(१०.७.२०२०)