बंगाल में विहिंप ने हिन्‍दू युवती को धर्मांधों के चंगुल से छुडवाया

युवती को मानवीय तस्‍करों को बेचने की थी योजना

ऐसी घटनाआें के संदर्भ में महिला आयोग और मानवाधिकार संगठन क्‍यों कुछ नहीं करते ? अथवा उनकी दृष्‍टि में हिन्‍दुआें के लिए मानवाधिकार लागू नहीं होते ?

 

कोलकाता – बंगाल के २४ परगना जनपद में विश्‍व हिन्‍दू परिषद और बजरंग दल ने दमदम छावनी परिसर की एक २१ वर्षीय युवती को धर्मांधों के चंगुल से छुडवाया । इन धर्मांधों ने इस युवती को मानवीय तस्‍करों को बेचने की योजना बनाई थी ।

१. पीडित युवती को वर्ष २०१४ में दमदम छावनी के निकट स्‍थित नोआपारा क्षेत्र में रहनेवाले एक धर्मांध ने ‘राकेश तरफदार’ नाम धारण कर उसे प्रेमजाल में फंसाया था । कुछ दिन पश्‍चात उस युवती को उस युवक के हिन्‍दू नहीं होने का ज्ञात होने पर उसने उसके साथ संबंध तोडना आरंभ किया । तब उस धर्मांध ने उसके साथ चित्रित किए हुए वीडियो के द्वारा उसे ब्‍लैकमेल करना आरंभ किया । इसलिए अभिभावकों की अनुमति न होते हुए भी उसे उस धर्मांध के साथ विवाह करने पर विवश होना पडा ।

२. विवाह के पश्‍चात इस धर्मांध के परिवारजनों ने इस युवती पर दहेज के लिए अत्‍याचार करना आरंभ किया । उसे प्रत्‍येक शनिवार के दिन मस्‍जिद में अभिमंत्रित पानी पीने और नमाज पढने के लिए बाध्‍य किया जाता था । धर्मांध ने ‘रूना मोंडल’ के नाम से इस युवती का फर्जी कागदपत्र बना लिए ।

३. पिछले महीने धर्मांध और उसके परिवारजनों ने पीडिता के अभिभावकों से २ लाख रुपए की मांग की, जिसे देना अभिभावकों ने अस्‍वीकार किया । इसके कारण धर्मांध और उसके पिता ने इस युवती को मानवीय तस्‍करों को बेचने की योजना बनाई ।

४. जब यह बात युवती को ज्ञात हुई, तब उसने विश्‍व हिन्‍दू परिषद के साथ संपर्क किया । विहिंप ने उसे धर्मांध के चंगुल से छुडाकर सुरक्षित स्‍थान पर पहुंचाया, साथ ही धर्मांध और उसके पिता के विरुद्ध विधिजन्‍य संघर्ष करने हेतु अधिवक्‍ताआें का भी प्रबंध किया ।