मंदिर पर केरल राज्य सरकार का अधिकार होने का उच्च न्यायालय का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति पर दृष्टि रखकर मंदिर पर कब्जा करने की इच्छुक केरल सरकार को करारा थप्पड !
नई देहली – केरल की राजधानी थिरुवनंतपुरम के प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और संपत्ति से संबंधित केरल उच्च न्यायालय का निर्णय परिवर्तित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर राजपरिवार का अधिकार बनाए रखा है । अस्थायी रूप से थिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति के पास मंदिर का व्यवस्थापन रहेगा, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है ।
१. केरल उच्च न्यायालय ने ३१ जनवरी २०११ को निर्णय दिया था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और उसकी संपत्ति पर राज्य सरकार का अधिकार है तथा आदेश दिया था कि जहां मंदिर की संपत्ति रखी हुई है, वे तलघर भी खोले जाएंगे । त्रावणकोर के राजपरिवार ने सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय को चुनौती दी थी । सर्वोच्च न्यायालय में इस अभियोग पर ८ वर्ष सुनवाई चली । अप्रैल महीने मेें न्यायाधीश ललित और न्यायाधीश इंदू मल्होत्रा के खंडपीठ ने परिणाम सुरक्षित रखा था ।
२. त्रावणकोर के राजपरिवार ने १८ वें शतक में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण किया था । इस परिवार ने वर्ष १९४७ से पूर्व दक्षिण केरल और उसके निकटवर्ती तमिलनाडू के कुछ क्षेत्रों पर शासन किया था । देश को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात भी मंदिर का व्यवस्थापन और प्रशासन राजपरिवार द्वारा नियंत्रित ‘ट्रस्ट’ ही चला रहे थे ।
३. श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर देश के धनवान मंदिरों में से एक है । कहा जाता है कि मंदिर के पास २ लाख करोड रुपए की संपत्ति है ।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का मनःपूर्वक स्वागत ! – त्रावणकोर राजपरिवार
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर त्रावणकोर राजपरिवार के सदस्य आदित्य वर्मा बोले, ‘न्यायालय के निर्णय का हम मनःपूर्वक स्वागत करते हैं । यह निर्णय हमारे परिवार का संबंध भगवान श्री पद्मनाभस्वामी के साथ पुनः स्थापित कर रहा है । इसलिए हमारा परिवार प्रसन्न है । हम संपूर्ण निर्णय पढने को उत्सुक हैं ।’