१३वें दिन की विधि के लिए लोगों को ऋण लेना पडता है; इसलिए लिया निर्णय
वर्ष १९६० के ‘मृत्युभोज निवारण अधिनियम’ का कठोरता से पालन करने का आदेश
- जिस राज्य में हिन्दूद्वेषी कांग्रेस सरकार सत्ता में है, उस राज्य में इससे अधिक और क्या अपेक्षा की जा सकती है ?
- हिन्दू धर्मशास्त्र में मृत्योत्तर क्रियाक्रर्मों का विशेष महत्त्व है । इसका शास्त्र जाने बिना सीधे मृत्युभोजपर प्रतिबंध लगा देना राजस्थान का पुलिस प्रशासन और संबंधित कांग्रेसी सरकार का यह औरंगजेबी निर्णय है । यह निर्णय लेने से पहले क्या सरकार ने हिन्दू संतों से चर्चा की है ?
- हिन्दुओं को धर्मशिक्षा दी गई, तो वे मृत्त्योत्तर कर्म शास्त्रशुद्ध पद्धति से मनाएंगे और उससे उनपर ऋण लेने की नौबत ही नहीं आएगी । इसे जाने बिना केवल हिन्दू ऋण लेते हैं, इसके आधारपर सीधे उनके धार्मिक विधियोंपर ही प्रतिबंध लगाने का अर्थ ‘रोग से अधिक उपचार भयानक’ पद्धति का है !
टोंक (राजस्थान) – राजस्थान में मृतक के १३वें दिन के मृत्युभोज का आयोजन करनेपर संबंधित लोगों को १ वर्ष कारावास और १ सहस्र रुपए आर्थिक दंड भरना पडेगा । पुलिस प्रशासन की ओर से राज्य के सभी पुलिस थानों को यह आदेश दिया गया है । किसी गांव में मृत्युभोज के आयोजन की जानकारी न देनेपर गांव के सरपंच और पटवारी के विरुद्ध भी कार्यवाई की जाएगी । इस प्रकार आयोजन करनेवाले की सहायता करनेवाले और उसके लिए ऋण देनेवाले व्यक्ति के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी । वर्ष १९६० के ‘मृत्युभोज निवारण अधिनियम’ के अंतर्गत यह आदेश दिया गया है । इस संदर्भ में पुलिस प्रशासन ने बताया है कि यह कानून पहले से ही अस्तित्व में है; परंतु उसका कठोरता से पालन नहीं किया जाता; इसलिए अब पुनः यह आदेश दिया गया है ।
COVID-19: मृत्युभोज पर सरकार की सख्ती, प्रशासनिक मशीनरी को किया सतर्क, उठाया ये बड़ा कदमhttps://t.co/4uLSfRjx0T
— News18 Rajasthan (@News18Rajasthan) July 7, 2020
लोगों को ऋण लेकर मृत्युभोज का आयोजन करना पडता है; इसलिए यह कानून बनाया गया था !
गांव को मृत्युभोज कराने हेतु निर्धन और मध्यमस्तर के लोगों को ऋण लेना पडता था । कुछ लोगों को तो उसके लिए अपनी भूमि अथवा अन्य संपत्ति भी बेचनी पडती थी । इसलिए वर्ष १९६० में तत्कालीन राज्य सरकार में इसपर प्रतिबंध लगाने हेतु यह कानून बनाया । अब कोरोना की पृष्ठभूमिपर लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा है, अतः इस कानून का कठोरता से पालन करने के लिए पुलिस प्रशासन ने यह आदेश दिया है ।