बिना सरकारी पद के किसी व्यक्ति को सरकारी बंगला कैसे मिल सकता है ? उसके लिए ‘गांधी परिवार का व्यक्ति’ इतना ही मापदंड पर्याप्त है ? यह जनता के पैसों की लूट है । सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए और संबंधित आरोपियों को जीवन भर के लिए जेल में डाल देना चाहिए !
नई देहली – केंद्र सरकार ने कांग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी की कन्या तथा कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा को एक महीने के भीतर देहली के लोधी एस्टेट में अपना सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया है । केंद्रीय आवास और नागरिक मामलों के मंत्रालय ने इस संदर्भ में प्रियंका वाड्रा को पत्र भेजा है ।
वाड्रा को यह बंगला २३ वर्ष पूर्व अर्थात २१ फरवरी १९९७ में मिला था । तब उन्हें ‘स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप’ (‘एस.पी.जी’) के कमांडों की सुरक्षा भी दी गई थी । प्रियंका गांधी इस बंगले का ३७ सहस्र रुपए मासिक किराया दे रही थीं । वर्ष २००० में सरकार ने नियमों में परिवर्तन किया और उन लोगों को बंगले नहीं देने का निर्णय लिया, जिनको ‘एस.पी.जी’ की सुरक्षा नहीं है । इसके अतिरिक्त इससे पूर्व इस श्रेणी के बंगलों को बाजार मूल्य की अपेक्षा ५० प्रतिशत से अधिक मूल्य पर किराए से देने का निर्णय लिया गया था; परंतु बाद में यह मूल्य ५० प्रतिशत के स्थान पर ३० प्रतिशत किया गया था ।
(कहते हैं) ‘केंद्र का निर्णय प्रतिशोधात्मक !’ – कांग्रेस
नियमों के विरुद्ध सरकारी बंगले में रहनेवाले स्वयं के नेता का समर्थन करनेवाली कांग्रेस कानूनद्रोही ही है !
केंद्र सरकार के इस निर्णय की आलोचना करते हुए कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रियंका वाड्रा गत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना कर रही हैं । इसलिए प्रतिशोध स्वरूप यह निर्णय लिया गया है ।’’ कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी केंद्र सरकार को यह निर्णय वापस लेने का आवाहन किया है ।