कोई भी जांच किए बिना ‘ऍलोपैथी’ की महंगी औषधियां कोरोना के रोगियों को दी जा रही हैं !

‘कोरोनिल’ पर आपत्ति उठानेवालों को योगऋषि रामदेवबाबा का प्रत्युत्तर 

योगऋषि रामदेवबाबा के आरोप पर अब ऍलोपैथी द्वारा उपचार करनेवाले चिकित्सा विशेषज्ञों को उत्तर देना चाहिए !

हरिद्वार (उत्तराखंड) – हमारे द्वारा कोरोना पर औषधि बनाने पर उसका विरोध होने लगा । हम पर आरोप लगाया गया कि हमारी औषधि को चिकित्सा का कोई आधार नहीं है; परंतु ऍलोपैथी की अनेक औषधियों का उपयोग कोरोना पर उपचार करने के लिए किया जा रहा है । वे औषधियां कोरोना पर उपचार करने के लिए उचित हैं, ऐसी जांच कहां की गई है ? तब भी रोगियों को दी जा रही हैं । इस संबंध में कोई कुछ क्यों नहीं बोलता ? एक गोली ५०० रुपयों की, एक इंजेक्शन ५ सहस्र रुपयों का दिया जा रहा है तथा दावा किया जा रहा है कि वह कोरोना की औषधि है । इसे किसका आधार है ?, इसकी जानकारी कोई नहीं देता और उस पर कोई प्रश्‍न नहीं पूछता; परंतु हमने कोरोना के अल्प लक्षण दिखाई देनेवाले रोगियों पर जांच कर आयुर्वेदिक औषधि बनाई, तो उसका विरोध हो रहा है, ऐसे शब्दों में पतंजली के संस्थापक योगऋषि रामदेवबाबा ने यहां आयोजित पत्रकार परिषद में उन पर लगाए गए आरोपों का उत्तर दिया । २३ जून को योगऋषि रामदेवबाबा कोरोना पर औषधि का दावा करते हुए आयुर्वेदिक औषधि ‘कोरोनिल’ बाजार में लाए थे; परंतु उस पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने आपत्ति उठाई थी । इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र और राजस्थान इन कांग्रेस शासित राज्यों ने उस पर प्रतिबंध लगाया तथा कुछ स्थानों पर अपराध भी प्रविष्ट किए गए । इस पृष्ठभूमि पर योगऋषि रामदेवबाबा ने उक्त शब्दों में उन पर लगाए गए आरोपों का उत्तर दिया है ।

( सौजन्य : NDTV )

भारत में आयुर्वेद पर काम करना अपराध है !

योगऋषि रामदेवबाबा ने आगे कहा, हम पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि ‘पतंजली ने कोरोना की औषधि का दावा पीछे ले लिया है’, ‘हमने कोई शोध नहीं किया है ।’ भारत में आयुर्वेद पर काम करना मानो अपराध है, ऐसा वातावरण बनाया गया । हमें आयुर्वेद के माध्यम से मिलनेवाली सफलता को देखकर अनेकों को मिर्ची लगी है । इसलिए हमारे विरोध में देशभर में अपराध प्रविष्ट किए गए । जैसे हम आतंकवादी और देशद्रोही हैं; परंतु हमने औषधि के पंजीकरण से परीक्षण तक के सभी नियमों का पालन किया है । हमने कोई भी कृत्य नियम के विरुद्द जाकर नहीं किया है । हमने यह औषधि कोरोना से रक्षा करने के लिए बनाई है । इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सकती है । अब इसे आयुष मंत्रालय ने भी अनुमति दे दी है ।