धर्मपरिवर्तन के संदर्भ में ईसाई मिशनरियों की पोल खोलने से मेरे प्राण संकट में ! – रघुराम कृष्णम राजू, सांसद, वाई.एस्.आर. कांग्रेस

अपने ही दल के नेताओं द्वारा जान से मारने की धमकी मिलने का आरोप

लोकसभा अध्यक्ष से सुरक्षा प्रदान करने की मांग

  • आंध्र प्रदेश में ईसाई शासनकाल में एक हिन्दू जनप्रतिनिधि के साथ ही यदि इस प्रकार से व्यवहार किया जाता हो, तो राज्य के हिन्दुओं के साथ कैसा व्यवहार होता होगा ?, इसपर विचार न करना ही अच्छा ! इस स्थिति को बदलने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य है !
  • ऐसी घटनापर आधुनिकतावादी, वामपंथी, धर्मांध और हिन्दूद्वेषी प्रसारमाध्यम ये सभी मौन धारण करते हैं !
  • केंद्र सरकार को आंध्र प्रदेश की हिन्दूद्वेषी सरकार को भंग कर वहां राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए !

तेलंगाना – आंध्रप्रदेश के सत्ताधारी ईसाई-हितैषी वाय.एस्.आर. काँग्रेस पक्ष के नर्सापुरम् लोकसभा मतदारसंघ के सांसद रघुराम कृष्णम राजू ने लोकसभा के अध्यक्ष से शिकायत की, धर्मपरिवर्तन के विषय में ईसाई मिशनरियों की पोल खोलने से मेरे प्राण संकट में पड गए हैं । उनका आरोप है कि ‘इस प्रकरण में मुझे अपने ही पक्ष के विधायकों और समर्थकों से ही बार-बार जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं ।’ इस पृष्ठभूमि पर उन्होंने लोकसभा के अध्यक्ष ओम प्रकाश बिडला से अपने लिए सुरक्षा की मांग की है ।

रघुराम राजू ने आगे कहा, ‘एक विधायक ने मुझसे अत्यंत असभ्य और अश्‍लील भाषा में गाली-गलौज की । इस विषय में मेरे शिकायत करने पर भी कुछ भी नहीं हुआ । मैंने राज्य के पुलिस-प्रशासन से भी सुरक्षा की मांग की, परंतु उसकी उपेक्षा किए जाने पर अब मुझे केंद्र से सुरक्षा मांगनी पड रही है ।’

आंध्र प्रदेश में ईसाईयों की जनसंख्या २५ प्रतिशत से भी अधिक होने की जानकारी उजागर की थी !

इन आंकडों को देखते हुए ‘आंध्र प्रदेश तीव्रगति से ईसाईकरण की ओर अग्रसर है’, ऐसा किसी ने कहा, तो उसमें अनुचित क्या है ?

कुछ दिन पूर्व रघुराम राजू ने कहा था कि ‘आंध्र प्रदेश में यदि मिशनरी धर्मांतरण कर रहे हैं, तो उसके लिए मैं क्या कर सकता हूं ? आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण जोरोंपर है; परंतु इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं है । आंध्र प्रदेश में ईसाईयों की जनसंख्या कागदपर २.५ प्रतिशत से अल्प है; परंतु वास्तव में वह २५ प्रतिशत से अधिक है । जो समाज तत्व पहले से ही लाभार्थी हैं, जब वे ईसाई धर्म में परिवर्तित होते हैं, तो उन्हें मिलने वाले लाभों को खो देते हैं । इसी कारणवश वे भले ही धर्मांतरण कर ईसाई बन गए, तब भी वे सरकार के पास उसकी प्रविष्टि नहीं करते ।’

तिरुपती मंदिर की संपत्ति की नीलामी पर भी किया था विरोध !

कुछ दिन पूर्व आंध्र प्रदेश के ‘तिरुपति देवस्थानम् बोर्ड’ ने तिरुपति मंदिर की संपत्ति की नीलामी करने का निर्णय लिया था, जिसका सांसद रघुराम राजू ने ‘यह हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने का कृत्य है’, ऐसा आरोप लगाते हुए विरोध किया था । उन्होंने अन्य एक भ्रष्टाचार के प्रकरण में भी मंदिर प्रशासन से प्रश्‍न किया था ।