लद्दाख में चीनी सैनिक २ कि.मी., तो भारत के सैनिक १ कि.मी. तक पीछे हटे !

६ जून को दोनों देशों के लेफ्टनेंट जनरल में चर्चा होगी

  • चीन भारत को केवल भयभीत करने का प्रयास कर रहा था; परंतु वास्तव में वही कुछ मात्रा में भयभीत है, यही उसके कृत्य से ध्यान में आता है !
  • भारत के द्वारा चीन को सभी स्तरोंपर ‘जैसे को वैसा’ प्रत्युत्तर दिए जाने से चीन पीछे हट गया है । इससे ‘चीन को उत्तर देनेपर वह भयभीत होता है’, इसे ध्यान में लेना चाहिए ! तत्कालिन प्रधानमंत्री नेहरू ने जो चूक की थी, वह चूक अब भारत द्वारा न किए जाने से ही चीन को पीछे हटना पडा, यह स्पष्ट होता है !

लेह (लद्दाख) – यहां चीन के सैनिक नियंत्रणरेखा से २ कि.मी. तक, तो भारत के सैनिक १ कि.मी. तक पीछे हट गए हैं । उसके कारण चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी में जो तनाव उत्पन्न किया था, वह कुछ मात्रा में घट गया है । आनेवाले ६ जून को इन दोनों देशों के लेफ्टनेंट जनरल में चर्चा होगी । उससे पहले दोनों देश पीछे हट गए हैं । भारत की ओर से १४ कॉर्प्स के लेफ्टीनेंट जनरल हरिंदर सिंह चीनी लेफ्टनेंट जनरल के साथ चर्चा करेंगे । इस बैठक में लद्दाख में उत्पन्न तनाव का समाधान निकालने हेतु यह चर्चा होगी । पैंगौंग टी.एस्.ओ. तालाब का क्षेत्र ही इस चर्चा का मुख्य सूत्र होगा । तालाब के निकट स्थित फिंगर फोर एरिया में चीनी सेना खडी है ।

(सौजन्य : वनइंडिया हिन्दी)

इस संदर्भ में भारत और चीन के सेनाधिकारियों के मध्य हुईं सभी बैठकें निष्फल हुई हैं । चीन ने नियंत्रणरेखापर बडी संख्या में सेना एकत्रित की है । यहां चीन ने अपने लडाकू विमान भी तैनात किए हैं । भारत ने भी इसका ‘जैसे को वैसा’ उत्तर देते हुए बडी संख्या में सेना तैनात की है, साथ ही बोफोर्स तोपें भी तैयार रखी हैं ।

विवाद का निश्‍चित कारण क्या है ?

भारत स्वयं की सीमा में सडक बना रहा है, जिसका चीन ने विरोध किया है । इसके कारण दोनों देशों में विवाद उत्पन्न हुआ है । पैंगौंग टी.एस्.ओ. तालाब के उत्तर में भारत की ओर से सडक बनाई जा रही है इस संदर्भ में भारत की यह भूमिका है कि यदि ‘चीन अपने नियंत्रणवाले क्षेत्र में सडक बनाता है, तो हम भी अपने क्षेत्र में सडक बना सकते हैं ।’

चीन के पीछे हटने के ४ प्रमुख कारण

अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने बताया कि चीन के सैनिकों के २ कि.मी. तक पीछे हटने के ४ प्रमुख कारण हैं ।

१. भारतीय सैनिकों द्वारा दिया गया कडा प्रत्युत्तर ही इसका मुख्य कारण है ।

२. कोरोना विषाणु संकट के कारण चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड गई है । उसके कारण चीन में बेरोजगारी और असंतोष बढ रहा है । इस सूत्र से अपने नागरिकों का ध्यान हटाने हेतु चीन सरकार राष्ट्रवाद का सूत्र अपना रही है । अमेरिका के कारण ताइवान और दक्षिणी चीनी सागर में कुछ भी करना संभव न होने से चीन ने भारतपर दबाव बनाना आरंभ किया ।

३. कोरोना के सूत्रपर विश्‍वभर के अनेक देश चीनपर दबाव बना रहे हैं ।

४. दक्षिणी चीनी सागर, कोरोना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विषयपर चीन अमेरिका के साथ युद्ध कर रहा है । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्‍व के सामर्थ्यशाली देशों का संगठन ‘जी-७’ का विस्तार करते समय इस संगठन में भारत को अंतर्भूत करने के संकेत दिए हैं । जापान, विएतनाम, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान चीन की विस्तारवादी नीति का निरंतर विरोध कर रहे हैं । उसके कारण वैश्‍विक स्थिति को देखते हुए सबसे बडी सेनावाले भारत के साथ युद्ध करना चीन को भारी पड सकता है । उसी प्रकार चीन को भारतीय बजार को नहीं गंवाना है । इसके लिए ही चीन ने अपनी आक्रामक नीति छोड दी है ।