आतंकियों की धमकियां और असुरक्षित भारत !

(सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे

     ब्रेकिंग इंडिया पुस्तक के लेखक राजीव मल्होत्रा ने कुछ वर्ष पूर्व ही सैकडों प्रमाणों के साथ अल् कायदा भारत में आतंकी गतिविधियों के माध्यम से इस्लामिक राज्य स्थापित करने की तैयारी में है ।, यह सूचित किया था । देश में जिहादी आतंकी और माओवादियों ने एक-दूसरे की सहायता कर उन्हें सुविधाजनक हो, इस प्रकार भूमि को बांट लिया है, ऐसा उन्होंने पुस्तक में लिखा था । अधिक चिंता की बात यह है कि देश के अनेक राजनीतिक दल जिहादी और माओवादी संगठनों को ही अपना समर्थक मानते हैं ।

१. कश्मीर में बढती घुसपैठ ! 

     सीमापार से कश्मीर घाटी में आतंकियों की घुसपैठ का एक और प्रयास तोड डालते हुए भारतीय सेना ने वर्ष २०१४ में जम्मू-कश्मीर के तंगधार सेक्टर की नियंत्रण रेखा पर लष्कर-ए-तोयबा के ४ आंतकियों को मार डाला । जम्मू-कश्मीर में आई बाढ में सेना के अनेक शिविरों को बडी हानि पहुंची और सेना का बडा शस्त्रसंग्रह बाढ में बह गया । बाढ के पानी और कीचड में फंस जाने से सेना की अनेक राईफलें बिगड गईं । घरों में पानी घुसने से सेना ने सैकडों लोगों को सेना द्वारा बनाए गए शिविरों में आश्रय लेना पडा । असंख्य सैनिक सहायता कार्य में जुट गए । इन सभी का सीमावर्ती क्षेत्रों की तैनाती पर परिणाम होगा, यह विचार कर आतंकियों ने घुसपैठ की तैयारी आरंभ की । एक ही समय में सैनिक का सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी चौकियां, बंकर, शिविरों का नवीनीकरण करना और बस्तियों में सहायता कार्य जारी रखने की कसरत कर रहा है, तो पाकिस्तान आतंकियों के माध्यम से भारत में बडी मात्रा में हिंसा करवाने का नए सिरे से प्रयास कर रहा है । नियंत्रण रेखा के विविध स्थानों से आतंकी बडी संख्या में भारत में घुसपैठ करने की तैयारी में हैं ।

२. आतंकी संगठनों का लक्ष्य भारत !

२ अ. अल् कायदा द्वारा विचारपूर्वक बनाई गई रणनीति : अल् कायदा की ओर से जारी किए गए वीडियो में अल् कायदा जिहाद पर भारत, बांग्लादेश और म्यानमार में रक्तपात करवाने का दायित्व सौंपा गया है । जवाहिरी ने जम्मू-कश्मीर, गुजरात और असम में जिहाद आरंभ करने की धमकी दी है । अपने एजेंडे में असम, गुजरात और कश्मीर का चयन करना अल् कायदा की विचारपूर्वक बनाई हुई रणनीति है । यहां के युवकों को धर्म के नाम पर भडकाना बहुत ही सरल है । अल् कायदा ने केरल, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में युवकों को उनके संगठन में सहभागी करने का अभियान आरंभ किया है । उन्हें रोजगार देने का लालच दिखाकर कुवैत भेजा जा रहा है ।

२ आ. सिमी एवं इंडियन मुजाहिदीन से उत्पन्न संभावित संकट ! : कश्मीर में अल् कायदा का जाल पहले से फैला हुआ है । उन्होंने सिमी और इंडियन मुजाहिदीन संगठन के माध्यम से अपनी गतिविधियां जारी रखी ही हैं । अब बांग्लादेश से भी भारत विरोधी गतिविधियां चल रही हैं । इंडियन मुजाहिदीन भारत के युवकों में विष फैलाने का काम करता है तथा उन्हें पाकअधिकृत कश्मीर में चल रहे शिविरों में अल् कायदा आतंक के पाठ पढाता है । पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंकी गतिविधियों का षड्यंत्र रचानेवाले हाफीज सईद ने भी भारत में मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय का प्रतिशोध लिया जाएगा, यह धमकी दी थी । भारत में अपना जाल फैलाए हुए सिमी संगठन के कारण भारत पर निरंतर संकट बना हुआ है ।

     इराक में आई.एस.आई. संगठन का स्वघोषित खलीफा अबु बकर अल् बगदादी ने इराक में नरसंहार करने के पश्‍चात भारत को ही अपना अगला लक्ष्य घोषित किया है । आई.एस.आई. के पास वर्तमान में ३० सहस्र योद्धा हैं । ये सभी संगठन अकस्मात ही भारत को क्यों धमका रहे हैं, क्या इसके पीछे कोई संगठित षड्यंत्र तो नहीं है ?

२ इ. शिया-सुन्नी में कौन भारी पडेगा ? : बगदाद के प्रमुख शिया पंथी अल् मलिकी बगदाद ने विश्‍व के सभी शिया लोगों को शिया पंथ की रक्षा हेतु आमंत्रित किया है । उन्होंने कहा है कि आई.एस.आई./अल कायदा से हमारी रक्षा करें । उनकी बात मानकर अलीगढ से ६ सहस्र शिया पंथी युवकों ने बगदाद जाने की तैयारी की है । सभी देशों से कुल २५ सहस्र शिया युवक इराक जाने के लिए तैयार हैं । इन सभी गतिविधियों द्वारा शिया और सुन्नी में कौन किसपर भारी पडेगा, इसका समय ही निर्णय करेगा । भारतीयों को इस बवाल में न पडना ही अच्छा है !

२ ई. असुरक्षित ईशान्य भारत : असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने यह चिंता व्यक्त की थी कि अल कायदा ने असम के उल्फा के साथ संपर्क किया है । गुप्तचर विभागों को ये सूचनाएं मिली हैं कि विगत कुछ वर्षों से पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी आतंकी शक्तियां नक्सली और ईशान्य के विभाजनवादी गुटों के साथ हाथ मिलाने के लिए प्रयासरत हैं ।

     असम में हिंसा के बल पर स्थानीय बोडो आदिवासियों को वहां से भगानेवाले अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं । जिनके कारण केवल असम की जनसंख्या का संतुलन ही नहीं बिगडा, अपितु देश के अन्य क्षेत्रों में बैठे बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण देश में विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है ।

२ उ. सह्याद्री पर्वतामालाओं में माओवादियों का प्रवेश : मध्य भारत में अपना जाल फैलानेवाले माओवादियों ने अब पश्चिम घाटी परिसर को अपना कार्यक्षेत्र बनाने का निर्णय लिया है । भारतीय कम्युनिस्ट दल (माओवादी) की दशकपूर्ति के उपलक्ष्य में माओवादियों की केंद्रीय समिति द्वारा अपने सहयोगियों को भेजे गए पत्र में कोंकण, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की पश्‍चिम घाटियों से सरकार विरोधी गतिविधियां चलाने का आवाहन किया है ।

३. आतंकवादी मानसिकता से सामना 

     आतंकी गतिविधियों का कार्य अत्यंत गुप्तता से चल रहा है और अब वह हमारे बहुत ही निकट आ पहुंचा है । देहली, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के लगभग ३०० भारतीय युवक इराक और सीरिया में आई.एस.आई. के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वहां रक्तपात कराने हेतु गए हैं । उनमें से केवल कुछ ही आतंकी बनें, तो वह देश के लिए बडा संकट सिद्ध होगा; इसलिए भारत को अपनी युवा पीढी की ओर बारीकी से ध्यान देना आवश्यक है । इन आतंकियों को अल्प समझने की चूक कभी नहीं करनी चाहिए । कुछ आतंकी नष्ट हुए; इसलिए संपूर्ण आतंकवाद समाप्त नहीं होता । उसके लिए आतंकी मानसिकता पर प्रहार करना आवश्यक होता है । वैसे हमें करना चाहिए । आतंकवाद की ओर झुके युवकों का औसतन जीवनमान ५ – ७ वर्ष का होता है । अतः इस मार्ग की ओर मुडनेवाले युवकों का उद्बोधन करना होगा । आतंक से सामना करना होगा आतंकी मानसिकता का !

४. समाज एकजुट होना चाहिए !

     पिछले कुछ महीनों से भारत पर कोई बडा आक्रमण नहीं हुआ, इसका अर्थ आतंकवाद समाप्त हो गया, ऐसा नहीं है । समाज में एकता हो, तो अल् कायदा जैसे भले ही कितने भी आतंकी संगठन खडे क्यों न हों; परंतु वे हमारा कुछ नहीं बिगाड सकते; परंतु हमें यदि इस अल् कायदा का भूत उतारना है, तो उसके लिए आंखें खोलकर सर्वत्र देखना चाहिए और समाज के रूप में एकजुट रहना चाहिए । आतंकवाद को पाकिस्तान का प्रोत्साहन मिलता आया है ।

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे