- पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध उसी के ही मानवाधिकार आयोग ने आवाज उठाई, यही अच्छा हुआ ! क्या अब भारत के निधर्मीवादी और आधुनिकतावादी इस संदर्भ में कुछ बोलेंगे ?
- केंद्र सरकार को इसपर ठोस नीति अपनाकर पाकिस्तान में नरकयातनाएं भुगत रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं को न्याय दिलवाना चाहिए, यह अपेक्षा !
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान के मानवाधिकारी आयोग द्वारा वर्ष २०१९ में प्रकाशित ब्यौरे में पाकिस्तान के नियमों के अनुसार यहां के अल्पसंख्यकों को धर्म के आधारपर स्वतंत्रता नहीं दी जाती, यह जानकारी दी गई है ।
इस ब्यौरे में कहा गया है कि,
१. सिंध और पंजाब इन प्रांतों में हिन्दू और ईसाई धर्मियों का बलपूर्वक धर्मांतरण किया जा रहा है । इस संदर्भ में इन समुदायों के लोग निरंतर शिकायतें कर रहे हैं । पंजाब में १४ वर्ष से नीचे की आयु की लडकियों का धर्मांतरण कर उन्हें मुसलमान व्यक्ति के साथ विवाह करने के लिए बाध्य किया जा रहा है ।
२. सिंध में २ हिन्दू लडकियों के परिवार के सदस्यों ने बताया कि इन लडकियों का विवाह के लिए अपहरण किया गया । उसके पश्चात उनका धर्मांतरण किया गया । इस संदर्भ में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि ये लडकियां विवाह के समय अल्पायु नहीं थी; इसलिए उन्हें उनके पतियों के पास भेजना चाहिए ।
३. जनवरी महीन में सर्वोच्च न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक आयोग का गठन किया । उसके लिए २२ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है । इस समिति को बलपूर्वक धर्मांतरण रोकने के लिए नियमों को तैयार करने के लिए कहा गया है ।
४. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हेतु नियम होते हुए भी महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हो रही है । रोजगार, शिक्षा और राजनीतिसहित अनेक क्षेत्रों में महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है । अल्पसंख्यकों को तो उनके लिए आरक्षित कोटे से भी नौकरी नहीं दी जाती ।