(कहते हैं) सरकार के नियंत्रणवाले हिन्दू मंदिर मुख्यमंत्री सहायता निधिके लिए करोडों रुपए दें !

कोरोना की पृष्ठभूमिपर अण्णाद्रमुक सरकार का फतवा !

रमजान के लिए मस्जिदोंपर २१ करोड ८० लाख रुपए उडा दिए जाएंगे !

  • मंदिरों का सरकारीकरण करने से क्या होता है, इसका और एक उदाहरण !
  • मस्जिदोंपर करोडों रुपए की खैरात और मंदिरों के पैसों की लूट, क्या यही अण्णाद्रमुक सरकार की धर्मनिरपेक्षता है ? जिस राज्य में ऐसी सरकार सत्ता में हो, तो उस राज्य में हिन्दुओं की क्या स्थिति होगी, इसपर विचार न करना ही अच्छा !
  • अण्णाद्रमुक के कार्यकाल में ही कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वतीजी को अन्यायपूर्ण पद्धति से गिरफ्तार किया गया था । ऐसी सरकार हिन्दूविरोधी ही निर्णय लेगी, इसे ध्यान में लें !

चेन्नई : तमिलनाड सरकार के हिन्दू धार्मिक विभाग ने अपने नियंत्रणवाले लगभग ३६ सहस्र मंदिरों में से ४७ बडे मंदिरों को मुख्यमंत्री सहायता निधि के लिए पैसे देने के निर्देश दिए हैं । मुख्यमंत्री सहायता निधि की इस अतिरिक्त आय को कोरोना महामारी में निर्धनों के लिए उपयोग किया जाएगा, ऐसा सरकार ने बताया है; परंतु इसी प्रकार के निर्देश चर्च अथवा मस्जिदों को न दिए जाने से धर्मप्रेमी सरकार की आलोचना कर रहे हैं । (हिन्दूद्वेषी और अल्पसंख्यकप्रेमी तमिलनाडू सरकार ! – संपादक)

प्रत्येक बडे मंदिर को ३४ लाख रुपए देने के निर्देश !

(विस्तृत जानकारी हेतु चित्रपर क्लिक करें)

हिन्दू धार्मिक विभाग के मुख्य सचिव के. पाणिंद्र रेड्डी ने मदुराई, रामेश्‍वरसहित अन्य ४७ मंदिरों में कार्यरत अपने सभी अधिकारियों को प्रत्येकी ३५ लाख रुपए का योगदान देने के निर्देश दिए हैं ।

मंदिर की पूजा से होनेवाली आय प्रभावित

इन मंदिरों के पुजारी संपूर्णरूप से भक्तों द्वारा दिए जानेवाले अर्पणपर ही निर्भर होते हैं । कोरोना के कारण देश में यातायात बंदी के कारण मंदिर बंद हैं । इसके कारण पुजारियों की आय प्रभावित हुई है । उसमें अब सरकार द्वारा यह निर्देश दिए जाने से क्षोभ व्यक्त किया जा रहा है ।

रमजान के लिए मस्जिदों को ५.५ सहस्र टन चावल का वितरण !

एक ओर हिन्दुओं के मंदिरों को करोडों रुपए देने का आदेश देनेवाली तमिलनाडू सरकार दूसरी ओर रमजान के उपलक्ष्य में राज्य की २ सहस्र ८९५ मस्जिदों को बिर्यानी बनाने के लिए ५ सहस्र ४५० टन चावल का वितरण कर रही है, जिसका मूल्य २१ करोड ८० लाख रुपए हैं । (इसका गणित करनेपर १ किलो चावल का मूल्य ४० रुपए होता है । अब ५ सहस्र ४५० टन अर्थात ५४ लाख ५० सहस्र किलो चावल एक ही बार खरीदा गया और उसमें किसी भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ, ऐसा पूर्वग्रहित भी किया गया, तो इस चावल का प्रति किलो मूल्य ८० से १०० रुपए हो सकता है । इसका अर्थ मस्जिदों को अच्छे गुणवत्तावाले चावल का वितरण किया जा रहा है, यह स्पष्ट होता है । इससे हिन्दुओं के पसीने से प्राप्त होनेवाले करों के माध्यम से मिलनेवाले पैसों को किस प्रकार से उडाया जा रहा है, यह ध्यान में आता है । इस संदर्भ में हिन्दुओं को संवैधानिक मार्ग से तमिलनाडू सरकार से प्रश्‍न करने चाहिए ! – संपादक)

हिन्दू धार्मिक विभाग को ऐसा आदेश देने का अधिकार ही नहीं है ! – वैदिक शोध केंद्र

इस संदर्भ में यहां के वैदिक शोध केंद्र के प्रमुख श्री. बाळा गौतमन् ने कहा कि हिन्दू धार्मिक विभाग की विधि के अनुसार मंदिर की आय का उपयोग केवल मंदिरों का रखरखाव, पुजारियों का वेतन, रसोई और अन्य आवश्यक खर्चे के लिए ही किया जा सकता है । ऐसा होते हुए भी सरकार इस प्रकार बलपूर्वक चंदा देने का आदेश कैसे दे सकती है ? हिन्दू धार्मिक विभाग के प्रधान सचिव पाणिंद्र रेड्डी को इस प्रकार से आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है ।

अर्थसंकल्प में अल्पसंख्यकों के लिए किया हुआ प्रावधान

वर्ष २०२०-२१ का अर्थसंकल्प प्रस्तुत करते हुए उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम् ने घोषणाएं की थीं कि,

     १. राज्य के मस्जिदों की वार्षिक रखरखाव की धनराशि ६० लाख से ५ करोड रुपए की जाएगी ।

     २. चर्च का नवीनीकरण और रखरखाव हेतु पहले प्रावधित १ करोड रुपए की धनराशि में वृद्धि कर सरकार ५ करोड रुपए खर्च करेगी ।

     ३. वक्फ बोर्ड के वार्षिक प्रशासनिक अनुदान के रूप में २ करोड ५ लाख रुपए के प्रावधान की घोषणा

     ४. अल्पसंख्यक समुदाय के ३ लाख ६४ सहस्र छात्रों को छात्रवृत्रत्त के रूप में ९८ करोड ६६ लाख रुपए दिए जाएंगे ।

     ५. उलेमाओं को दोपहिया वाहनों की खरीद के लिए ५० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा और उनका सेवानिवृत्ति वेतन १ सहस्र ५०० रुपए से प्रतिमाह ३ सहस्र रुपएतक बढाया गया ।