कुछ वर्ष पूर्व एक युवक आतंकी संगठन इसिस में भर्ती होने हेतु इराक जाने के मार्ग में था । भारतीय गुप्तचर संस्थाओं ने उसे भाग्यनगर (हैदराबाद) हवाई अड्डे पर रोका । कल्याण से ४ युवक इसिस में जाने हेतु भागे थे । उनमें एक युवक ने २६ जनवरी को विस्फोटकों से भरे एक चारपहिया वाहन से भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति पर आत्मघाती आक्रमण करने की धमकी दी । वे सभी ऑनलाइन जिहाद की बलि चढे थे । इन घटनाओं को देखते हुए संगणकीय ज्ञानजाल पर जिहाद का प्रसार कैसे किया जाता है और ये युवक कैसे उसकी बलि चढ रहे हैं, इसे देखना महत्त्वपूर्ण है । भारत में सहस्रों युवक इसी उद्देश्य से घर से निकले हैं । उनमें से २ प्रतिशत युवक भी यदि जिहादी प्रचार की बलि चढकर घर से भागे हों, तो यह बहुत ही बडा संकट है । अतः ऑनलाइन जिहाद के संदर्भ में अधिक विचार और उसके विरुद्ध तत्काल सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है, इस लेख के माध्यम से यही अंकित करने का प्रयास किया है ।
१. युवकों में ऑनलाइन जिहाद के संदर्भ में आकर्षित होने की कारणमीमांसा
भारतीय सेना की ओर से किए अध्ययन में उन्होंने युवकों के आतंकी बनने के पीछे स्थित अनेक कारणों की खोज की । पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई और उग्रवाद फैलानेवाली अनेक भारतीय संस्थाएं मनुष्यों की भर्ती हेतु आतंकी संगठनों की सहायता करती हैं । उसके लिए अनेक युवकों का बुद्धिभ्रम किया जाता है । उसके पश्चात उन्हें प्रेरणाजन्य प्रशिक्षण दिया जाता है । तत्पश्चात प्रशिक्षण के लिए उन्हें बडे आतंकी संगठनों में इरान, अफगानिस्तान, सीरिया एवं पाकिस्तान भेजा जाता है । आरंभ में उन्हें आतंकियों के प्रशासनिक काम दिए जाते हैं । कोई युवक कट्टर आतंकी हो सकता है, यह ध्यान में आने पर उसे बमविस्फोट करना, आत्मघाती आक्रमण करना जैसे दायित्व दिए जाते हैं ।
२. आतंकवाद उत्पन्न होने के कारण
४० से ४५ प्रतिशत युवकों को बलपूर्वक आतंकी संगठन में भेजा जाता है । ३० से ३५ प्रतिशत युवक आर्थिक कारणों के लिए आतंकवाद का मार्ग चुनते हैं । आतंकी संगठन में सहभागी होने पर उन्हें बहुत पैसा मिलता है । उन्हें किसी नौकरी की भांति वेतन दिया जाता है । कोई आतंकी कृत्य करने पर उन्हें अधिक पैसे दिए जाते हैं । ३० से ३५ प्रतिशत लोग धार्मिक कारणों से आतंकी बनते हैं । यदि हम युवकों को काम दे सकें, तो हम अनेक युवकों को आतंकवाद की ओर जाने से रोक सकते हैं ।
३. संगणकीय ज्ञानजाल के माध्यम से किया जा रहा दुष्प्रचार
आजकल संगणकीय ज्ञानजाल पर प्रचुर मात्रा में दुष्प्रचार चल रहे हैं । उसमें उनके धर्म के साथ कितना और कैसे आक्रमण किया जा रहा है, यह दिखाया जाता है । इसलिए संगणकीय जाल पर ही इस प्रकार के दुष्प्रचार का प्रत्युत्तर देने की आवश्यकता है । अनेक संकेतस्थल, ब्लॉग्ज, ट्विटर खाता, ई मेल और लघुसंदेश के माध्यम से दुष्प्रचार किया जाता है; इसलिए ऐसे साधनों पर ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है । गूगल एवं अन्य इंटरनेट प्रतिष्ठानों की सहायता लेकर ऐसे कृत्य रोकना आवश्यक है । अधिकांश आतंकियों के मन पर तात्कालिक आतंकी विचारों का प्रभाव होता है । अनेक लोगों को अपने जीवन में बहुत-कुछ सफलता नहीं मिली होती है; इसलिए उन्हें बंदूक के बल पर समाज में प्राप्त स्थान महत्त्वपूर्ण लगता है । अधिकांश युवक २० से ३० आयुवर्ग के होते हैं । उनका विवाह भी नहीं हुआ होता । कुछ कारणवश अपने परिवार से उनका संबंध अल्प होता जाता है ।
४. आतंकवाद का प्रसार करनेवाले तंत्रों से एक कदम आगे रहना चाहिए !
हमने उनपर ध्यान रखा, तो हम आर्थिक और मानसिक स्तर के उपाय कर सकते हैं । हमें उनकी विचारधारा में परिवर्तन लाना संभव हुआ, तो आतंकवाद की ओर झुकनेवाले युवकों की संख्या निश्चित रूप से न्यून हो सकती है । इसके लिए आर्थिक और मानसिक युद्ध में जीतने की आवश्यकता है । आतंकवाद का स्वरूप निरंतर बदलता रहता है । इसके कारण उसपर सक्षम, तत्पर और परिस्थिति के अनुरूप ही उपाय होने चाहिए । हमें आतंकवाद का प्रसार करनेवाले तंत्रों से एक कदम आगे रहने की आवश्यकता है ।
५. शासन को उग्रवाद का प्रतिकार कैसे करना चाहिए ?
कुछ वर्ष पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री के साथ राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की हुई बैठक में ऑनलाइन जिहाद पर विचार किया गया था । दुष्प्रचार रोकने हेतु क्रियान्वयन रूपरेखा बनाने के लिए कहा गया । संगणकीय ज्ञानजाल की व्यापकता भी बहुत बडी है । अतः एक संस्था उसपर ध्यान नहीं दे सकती । सभी संस्थाओं के अतिरिक्त अन्य देशप्रेमी नागरिकों को भी हम इसपर ध्यान रखने के लिए बता सकते हैं । आज भारत में ही लगभग २० करोड से अधिक नागरिक संगणकीय ज्ञानजाल का उपयोग कर रहे हैं । फेसबुक और अन्य सामाजिक जालस्थलों पर कार्यरत युवकों की संख्या बहुत बडी है । किसी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर जो संवाद किया जाता है, उसपर ध्यान रखने की आवश्यकता है । आज यू ट्यूब पर अनेक उन्मादी वीडियोज अपलोड किए जाते हैं । इस प्रकार के वीडियोज और अयोग्य जानकारी देनेवाले लेखों को तुरंत ब्लॉक कर देशद्रोही वीडियोज, छायाचित्र और लेख अपलोड करनेवालों को दंड दिया जाना चाहिए ।
६. युवकों पर ध्यान रखने हेतु ऑपरेशन चक्रव्यूह का आरंभ
आज अनेक संस्थाएं ऑनलाइन भर्ती हुए युवकों को भारत के अंदर ही आतंकी बनाने के प्रयास कर रही हैं । कुछ संस्थाएं तथा धर्मशिक्षक इन युवकों को भारत में ही इस प्रकार का प्रशिक्षण देते हैं । आज आतंकवाद फैलाने के लिए सऊदी अरेबिया से भारत में बडी मात्रा में पैसा भेजा जा रहा है । उसे रोकने की आवश्यकता है । भारत के कुछ धार्मिक स्थल इस प्रकार का आतंकवाद बढाने हेतु पैसे खर्च करते हैं; इसलिए अधिक आयवाले धार्मिक स्थलों पर ध्यान रखने की आवश्यकता है । अनेक धनवान व्यापारी अपनी आय में से कुछ धन का खर्च आतंकवाद बढाने हेतु करते हैं । कल्याण के युवकों को इराक भेजने में कुछ व्यापारियों का हाथ था । ऐसे लोगों पर ध्यान रखकर उन्हें पकडना महत्त्वपूर्ण है ।
सामाजिक जालस्थलों में संवाद के अनेक साधन उपलब्ध हैं । इस प्रकार के प्रचार पर ध्यान रखने की आवश्यकता है । इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आजकल संगणकीय ज्ञानजाल पर ऑपरेशन चक्रव्यूह नामक अभियान आरंभ किया है । ऐसे युवकों पर ध्यान रखना ही इस अभियान का उद्देश्य है ।
७. आतंकवाद के अधीन हो रहे युवकों पर ध्यान रखने हेतु उनके परिजन और संबंधियों की सहायता लेनी चाहिए !
यूरोप के अनेक देशों में ऐसे युवकों पर ध्यान रखने के लिए बडी मात्रा में प्रयास किए जा रहे हैं । उनके अनुभव का उपयोग कर हमें आगे बढना होगा । कोई युवक यदि ऑनलाइन जिहाद में पकडा गया, तो उसपर तुरंत ध्यान रखा जाता है । दुर्भाग्यवश उनकी संख्या सहस्रों में होने के कारण उनपर ध्यान रखना कठिन है । ऐसे समय में उनके परिजन और संबंधियों को उनपर ध्यान रखने की आवश्यकता है; क्योंकि कोई भी गुप्तचर संस्था किसी युवक पर २४ घंटे ध्यान नहीं रख सकती ।
८. समुपदेशन केंद्र की आवश्यकता
यूरोप में इसे सांस्कृतिक आतंकवाद कहा जाता है । जब हमें अपने धर्म के प्रति अधिक प्रेम उत्पन्न होता है, तब हम केवल अपने ही धर्म का प्रचार करने लगते हैं और जब हम अन्यों के विरुद्ध बोलने लगते हैं, तब हमारे और समाज के मध्य की सांस्कृतिक दूरी बढती जाती है । इस प्रकार उग्रवाद की ओर झुकनेवाले युवकों के लिए देश में समुपदेशन केंद्र बनाने की आवश्यकता है ।
९. आतंकवाद रोकने हेतु शासन सर्वसमावेशी उपाय अपनाए !
ऐसे युवकों को उनके प्रशिक्षकों द्वारा उनके मन में अंतर्भूत किए आतंकी विचारों को रोकने हेतु सहायता करना संभव होगा । इस भयंकर संकट के प्रति सभी को सतर्क करने की आवश्यकता है । सर्वसमावेशी उपायों का शीघ्रातिशीघ्र क्रियान्वयन होना आवश्यक है । इस कट्टरवाद को प्रतिबंधित करने हेतु शासन को आक्रामक और सक्रिय भूमिका अपनानी पडेगी ।
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र.