रेलवे कर्मचारी कैप्टन सिंह द्वारा किया गया संघर्ष सफल रहा ।
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) – रेलवे कारखाने से पलंग और कुर्सियां चोरी करने के प्रकरण में विशेष रेलवे न्यायालय ने ११ वर्षों के उपरांत एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट करने का आदेश दिया है ।
इस प्रकरण में रेलवे कर्मचारी कप्तान सिंह ने बताया कि १९ सितंबर २०१४ की रात वरिष्ठ अधिकारी विवेक प्रकाश सिथौली (ग्वालियर) स्थित रेलवे स्प्रिंग फैक्ट्री के गेस्ट हाउस से एक पलंग और 4 कुर्सियां लेकर अपने बंगले की ओर जा रहे थे । जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे अनुमति लेकर सामग्री ले जा रहे हैं, परंतु यह प्रकरण संदिग्ध लगा और उसकी जांच की गई । तब पता चला कि वे फर्जी गेट पास (मुख्य प्रवेश द्वार से प्रवेश और निकास की अनुमति) प्राप्त करके रेलवे संपत्ति की चोरी कर रहे थे । इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की गई; परंतु कोई कार्रवाई नहीं होने पर विशेष रेलवे न्यायालय में परिवाद प्रविष्ट किया गया । कोर्ट ने वर्ष २०२५ में विजय प्रकाश के विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट करने का आदेश दिया । मेरी अपने वरिष्ठ अधिकारी विजय प्रकाश से कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं है । रेलवे की संपत्ति को इस प्रकार से छीनना अपराध है । यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसा कर रहा है तो प्रकरण और भी गंभीर हो जाता है । उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या नियम और कानून केवल आम लोगों के लिए हैं ?
संपादकीय भूमिकाअपने वरिष्ठ अधिकारियों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई के लिए कैप्टन सिंह को बधाई । यदि प्रत्येक नागरिक ईमानदार हो जाए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडे तो इस देश में भ्रष्टाचार नहीं रहेगा ! |