प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस यात्रा के दौरान मार्सेलीस का दौरा किया

पेरिस (फ्रांस) – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के दौरान १२ फरवरी को मार्सेलीस शहर का दौरा किया । उन्होंने यहां भारत के नये वाणिज्य दूतावास का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद थे। इसी शहर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर ८ जुलाई १९१० को ब्रिटिश जहाज से छलांग लगाकर पहुंचे थे। इस प्रसंग को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया।
Landed in Marseille. In India’s quest for freedom, this city holds special significance. It was here that the great Veer Savarkar attempted a courageous escape. I also want to thank the people of Marseille and the French activists of that time who demanded that he not be handed…
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2025
उन्होंने पोस्ट में कहा, ” हम मार्सेलीस पहुंच गये हैं । ” भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है । यहीं पर महान नायक सावरकर ने बहादुरी से भागने की कोशिश की थी । मैं मार्सेलीस के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिशों को न सौंपा जाए । वीर सावरकर की वीरता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी । मैं प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा ।
🙏🏽 PM Modi is making history again!
On a visit to Marseille to inaugurate the new Consulate, PM Modi took a moment to express his gratitude to the citizens of Marseille who opposed handing over Swatantryaveer Savarkar to the British.
This is a huge deal, as no Prime Minister… pic.twitter.com/gTqV0xZnXJ
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 12, 2025
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के मामले में फ्रांस ने किस प्रकार सहायता की ?
अंग्रेज पुलिस द्वारा स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को ले जाने के बाद ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया । फ्रांस ने आरोप लगाया था कि सावरकर को वापस लेना अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है । ब्रिटेन ने इसका ठीक से पालन नहीं किया । १९११ में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि सावरकर की गिरफ्तारी अनियमित थी । फ्रांस की जनता और कई नेताओं ने सावरकर को ब्रिटेन प्रत्यर्पित किये जाने का विरोध किया । हालांकि, ब्रिटेन सावरकर को फ्रांस को वापस सौंपने के लिए बाध्य नहीं था ।
संपादकीय भूमिकास्वातंत्र्यवीर सावरकर को याद करने और फ्रांस के नागरिकों को धन्यवाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद ! ध्यान रहे कि आजादी के ७८ वर्षों में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया ! |