(‘पेटा’ का मतलब ‘पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स’ है , जांनवंरोंको नैतिक स्वरूपसे ट्रीटमेंट देनेवाले लोग )
त्रिशूर (केरल) – पशु प्रेम के नाम पर केवल हिन्दू धर्म को निशाना बनाने वाली पेटा इंडिया ने त्रिशूर के कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को ‘कोम्बरा कन्नन’ नामक एक पूर्ण आकार का यांत्रिक हाथी दान में दिया है। इस यांत्रिक हाथी का उपयोग अब मंदिर के समारोहों में किया जाएगा। ‘क्रूरता-मुक्त’ होने का दावा करने के बावजूद, पेटा की पहल अन्य धर्मों की प्रथाओं को आसानी से नजरअंदाज करने और केवल हिन्दू त्योहारों और अनुष्ठानों को लक्षित करने की इसकी निरंतर प्रथा को दर्शाती है।
१. पेटा ने दावा किया, “यह दान मंदिर के उस निर्णय के सम्मान में है कि वह जीवित हाथियों को कभी भी अपने पास नहीं रखेगा या पट्टे पर नहीं लेगा। यह परंपरा केरल की मंदिर संस्कृति में गहराई से निहित है।”
२. इस बात पर सितार वादक अनुष्का शंकर ने खुशी प्रकट की है । उन्होंने कहा, “कोमब्रा कन्नन जैसे यांत्रिक हाथी असली हाथियों को उनके मूल निवास स्थान में उनके परिवारों के साथ भरभराटी में मदद करेंगे।”
३. आलोचकों का तर्क है कि पेटा के इस तरह के हस्तक्षेप से आधुनिकता के नाम पर सदियों पुराने रीति-रिवाजों को त्यागकर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
४. पशु अधिकारों के प्रति पेटा का उत्साह चुनिंदा रूप से लागू होता प्रतीत होता है। संगठन लगातार हिन्दू परंपराओं को निशाना बनाता है और अन्य धार्मिक प्रथाओं में समान मुद्दों पर स्पष्ट रूप से चुप है।
५. एक प्राचीन आध्यात्मिक केंद्र, कोंबरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर केरल की जीवंत मंदिर विरासत का प्रतीक है। मंदिर के इष्टदेव भगवान कृष्ण हैं।
६. ‘पेटा’ मंदिरों और जल्लीकट्टू जैसे त्योहारों में हाथियों का उपयोग करने की पारंपरिक हिंदू प्रथाओं को लक्षित करता है, जबकि अन्य धर्मों में समान प्रथाओं की काफी हद तक अनदेखी करता है। उदाहरण के लिए, पेटा पर हिंदू त्योहारों के दौरान पशु बलि के विरुद्ध अभियान चलाते समय बकरी – ईद के रीति-रिवाजों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया है।
संपादकीय भूमिका‘ पेटा ‘ केवल हिन्दू त्योहारों और धार्मिक परंपराओं पर हमला कर रहा है ! |