बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हित में काम करने वाले संगठनों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकमत से मांग !
ढाका (बांग्लादेश) – बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की जांच के लिए न्यायिक आयोग की स्थापना की मांग यहां के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने की है। इस संदर्भ में यहां हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई, इसकी जानकारी ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ के संस्थापक-अध्यक्ष पू. रवींद्र घोष ने ‘सनातन प्रभात’ को दी। इस बैठक में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के सभी मामलों में उन्हें न्याय दिलाने और पीड़ित परिवारों को क्षतिपूर्ति देने की अपील अंतरिम सरकार से की गई।
अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए ‘राजनीतिक एकता आवश्यक है’, इस विषय पर ‘ढाका रिपोर्टर्स यूनिटी ऑडिटोरियम’ में इस बैठक का आयोजन किया गया। ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ और ‘ह्यूमन राइट्स एलायंस’ के अध्यक्ष पू. रवींद्र घोष की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।
१. इस अवसर पर ‘मानवाधिकार आघाड़ी, बांग्लादेश’ के निमंत्रक महबूब हक, ‘नागरिक ओकिया’ के अध्यक्ष महमूदुर रहमान मन्ना, ‘क्रांतिकारी वर्कर्स’ पार्टी के महासचिव सैफुल हक, ‘गणो फोरम’ के अध्यक्ष अधिवक्ता सुब्रत चौधरी, ‘जन एकता आंदोलन’ के मुख्य समन्वयक जोनायद साकी ने अपने विचार व्यक्त किए।
२. ढाका विश्वविद्यालय के प्रो. रोबायेत फिरदौस, ‘नेशनल सिटिज़न कमिटी’ के केंद्रीय सदस्य आरिफुल इस्लाम अदीब, ‘रिवर एंड डेल्टा रिसर्च सेंटर’ के अध्यक्ष महमद एजाज और अन्य ने भी दिशा-निर्देश दिए।
३. ‘नागोरिक एकता’ के अध्यक्ष महमूदुर रहमान मन्ना ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे आक्रमणों का लाभ किसे मिल रहा है? और इन्हें कैसे रोका जा सकता है? इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। तथ्यों और संदर्भों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि पिछले 3 महीनों में केवल धार्मिक आधार पर आक्रमण नहीं हुए, बल्कि ये राजनीतिक कारणों से भी प्रेरित थे।
४. सैफुल हक ने कहा कि बांग्लादेश को समाज में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानता को दूर कर एक समतावादी लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना करनी चाहिए।
५. जोनायद साकी ने कहा कि हिन्दू समाज पर हो रहे आक्रमण एक राजनीतिक अभियान हैं। यह अवामी लीग द्वारा किया जा रहा है। भारतीय मीडिया का एक वर्ग ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है’, यह अमेरिका को समझाने का प्रयास कर रहा है।
संपादकीय भूमिकाबांग्लादेश की हिंदू-विरोधी सरकार से ऐसी मांग करने पर कुछ प्राप्त नहीं होगा। वहां के हिन्दुओं के हित रक्षण के लिए भारत सरकार को ही कड़े कदम उठाकर बांग्लादेश को ऐसा करने के लिए बाध्य करना चाहिए। इसके लिए जागरूक हिन्दुओं को सरकार पर कड़े कदम उठाने के लिए दबाव बनाना होगा ! |