मुंबई – देश के जाने-माने उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा का ९ अक्टूबर को रात्रि ११.३० पर ८६ साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के ब्रीचकैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली । पिछले कुछ दिनों से उनका चिकित्सालय में इलाज चल रहा था । उन्हें इलाज के लिए गहन चिकित्सा विभाग में रखा गया था । रतन टाटा के निधन से हर क्षेत्र में एक जाने-माने उद्योगपति और महान शख्सियत को खोने का दुख व्यक्त किया जा रहा है। रतन टाटा के निधन के कारण १० अक्टूबर को महाराष्ट्र में शोक दिवस मनाया गया।
रतन टाटा का पार्थिव शरीर कुलाबा स्थित उनके आवास पर रखा गया है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए प्रातः: १० बजे से सायं ४ बजे तक दक्षिण मुंबई के ‘नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स’ (एन.सी.पी.ए.) में रखा गया। रतन टाटा के निधन के कारण महाराष्ट्र समेत कुछ अन्य राज्यों ने १० अक्टूबर को शोक की घोषणा की थी ।
रतन टाटा का परिचय !
रतन टाटा का जन्म २८ दिसंबर १९३७ को हुआ था। उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातक की शिक्षा ली । उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम में अध्ययन करके अपने व्यावसायिक कौशल को और बढ़ाया। वर्ष १९६२ में वह टाटा समूह में प्रशिक्षु के रूप में शामिल हुए। वर्ष १९९१ में जे.आर.डी. टाटा की मृत्यु के पश्चात उन्हें टाटा समूह का नेतृत्व मिला। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने खुद को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में स्थापित किया। उन्होंने टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और टाटा टेलीसर्विसेज में क्रांति उत्पन्न की ।
वे एक आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कल्याण के लिए दे दिया। उनके कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (वर्ष २०००) और पद्म विभूषण (वर्ष २००८) से सम्मानित किया गया । उन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों में भी विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए ।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
रतन टाटा समाज को बेहतर बनाने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता के कारण लोकप्रिय हो गए!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रतन टाटा एक दूरदर्शी नेता तथा दयालु व्यक्तित्व वाले असाधारण व्यक्ति थे। उन्होंने भारत के सर्व प्राचीन तथा सर्व प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया । वे अपनी विनम्रता, दया तथा समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण लोकप्रिय हो गए। रतन टाटा के सबसे अनोखे पहलुओं में से एक है बड़े सपने देखने की उनकी प्रवृत्ति। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे कई क्षेत्रों में कार्य किया। मेरा मन रतन टाटा के साथ हुई असंख्य चर्चाओं की स्मृतियों से परिपूरित है। जब मैं मुख्यमंत्री था ,तो गुजरात में उनसे मेरी अक्सर मुलाकात होती रहती थी । हम विभिन्न सूत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान करते थे। मुझे उनका दृष्टिकोण बहुत समृद्ध लगा। जब मैं दिल्ली आया, तब भी ये बातचीत चल रही थी । उनके निधन से मुझे अत्यन्त दु:ख हुआ ।
एक दिन का शोक , सरकारी धूमधाम से अंतिम संस्कार !
उद्योगपति रतन टाटा की मृत्यु के सम्मान में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि १० अक्टूबर को शोक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसलिए इस दिन राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ रखा गया । १० अक्टूबर को राज्य में कोई भी मनोरंजन और मनोरंजक कार्यक्रम नहीं मनाया गया । रतन टाटा के पार्थिव शरीर का राजकीय धूमधाम से अंतिम संस्कार किया गया ।
सौजन्य : TOI
मानवता, परोपकार, विश्वसनीयता खो गई ! -देवेंद्र फड़णवीस, उपमुख्यमंत्री
मुंबई – दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के साथ ही पूरे देश को मानवता की समृद्धि का एहसास कराने वाली एक वरिष्ठ शख्सियत का निधन हो गया है। उनके निधन से मानवता, परोपकार और विश्वसनीयता खो गई है।’ रतन टाटा न केवल एक सफल उद्यमी थे; लेकिन इससे परे, वह सामुदायिक मानसिकता, मानवता और विनम्रता के प्रतीक थे। शिक्षा, ग्रामीण विकास तथा कुपोषण उन्मूलन, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में उनका कार्य अत्यंत उल्लेखनीय है। मानवता के विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में उनका योगदान बहुत बड़ा है। वे सदैव इस विश्वास के साथ जीते थे कि उन्होंने समाज से जो कमाया है, उसे समाज को वापस लौटाना चाहिए। उनका जाना महाराष्ट्र और देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है।’
एक `श्रीमंत योगी’ का अस्त ! – राज ठाकरे, अध्यक्ष, मनसे
छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना इस संसार में किसी से नहीं की जा सकती; परंतु समर्थ रामदासस्वामी ने महाराज को ‘ श्रीमंत योगी’ कहा है। महाराजाओं के बारे में रामदासस्वामी का सटीक वर्णन अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। रतन टाटा के बारे में सोचते समय ‘श्रीमंत योगी’ की उपमा सटीक बैठती है। अमीर होने के बावजूद उन्होंने अपनी दौलत का दिखावा नहीं किया । यह और भी दुखद है कि ऐसे व्यक्ति को आने वाली पीढ़ियाँ नहीं देख पाएंगी। यह दुखद है कि मैंने आज एक वरिष्ठ मित्र को खो दिया; लेकिन कुल मिलाकर भारत ने आखिरी ऐसा ‘निपुण’ तथा अलग-थलग उद्यमी खो दिया है, जो कि एक बड़ा शोक है ।