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वाशिंगटन (अमेरिका) – अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य अमेरिका आयोग ने एक बार पुनः भारत विरोधी रिपोर्ट जारी की है । ‘इंडिया कंट्री अपडेट’ शीर्षक वाली पूर्ण रूप से झूठी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता संकट में है । रिपोर्ट के अनुसार, कुछ संगठन (हिंदुत्) अल्पसंख्यकों को पीट रहे हैं, भीड़ द्वारा उनकी हत्या (मॉब लिंचिंग) कर रहे हैं, (मुस्लिम) नेताओं को बिना कारण बंदी बना रहे हैं और उनके घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त कर रहे हैं । ये घटनाएँ विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन हैं ।
यह आयोग अमेरिकी विदेश नीति के संबंध में अमेरिकी सरकार को सिफारिशें करता है ।
"Religious freedom in India is under threat, and attacks on minorities are on the rise!" – The U.S. Commission on International Religious Freedom (#USCIRF) once again pushes its usual anti-Hindu narrative!
False accusations are made, claiming that minorities are being targeted… pic.twitter.com/4r7ieYyqu8
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 4, 2024
रिपोर्ट का वर्णन करते हुए आयोग ने आगे कहा है कि,
1. धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा उनके पूजा स्थलों पर हिंसक आक्रमणों को उकसाने के लिए सरकारी अधिकारियों द्वारा द्वेष भरे भाषण सहित गलत सूचना प्रसारित की जाती है ।
2. धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्ष्य बनाने तथा उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए भारत के कानूनी ढांचे में परिवर्तन किया गया है, जिसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम, समान नागरिक संहिता, साथ ही कई राज्य धर्मांतरण तथा गोहत्या विरोधी कानून सम्मिलित हैं । उनकी कार्रवाई भी उसी दिशा में हो रही है ।
3. इस कारण आयोग अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को ‘विशेष चिंता वाला देश’ घोषित करने की सिफारिश करता है । यह भी देखा जाना चाहिए कि भारत धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित और गंभीर उल्लंघन में लगा हुआ है।
हम इस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हैं ! – भारत
नई दिल्ली – यू.एस.सी.आई.आर.एफ यह धार्मिक प्रकरणों में अमेरिकी आयोग निष्पक्ष नहीं है । यह आयोग भारत के बारे में गलत तथ्य प्रस्तुत कर हमारी छवि धूमिल करना चाहता है ।’ भारत के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया ऐसे शब्दों में व्यक्त की है कि हम उनकी रिपोर्ट को खारिज करते हैं ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि आयोग को नीति-आधारित रिपोर्ट जारी करने से बचना चाहिए । उन्हें अपने समय का उपयोग अमेरिका में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों को उठाने में करना चाहिए ।
संपादकीय भूमिका
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