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ढाका (बांगलादेश) – बांगलादेश में पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के विरोध में चल रहे आंदोलन ने ४ अगस्त को प्रचंड हिंसक रूप लेने के उपरांत प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ५ अगस्त के दिन दोपहर को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप कर देश से पलायन किया । उनकी बहन रेहाना उनके साथ हैं । शेख हसीना बांगलादेशी सेना के हवाई जहाज से भारत के मार्ग से लंदन जायेंगी ।
दूसरी ओर शेख हसीना के देश छोडने के उपरांत हिंसक आंदोलनकर्ता ढाका स्थित प्रधानमंत्री निवास स्थान में घुसे और उन्होंने वहां लूटमार चालू की । हसीना के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख मुजिबुर रहमान के पुतले की तोडफोड की । इसी समय सेनादल प्रमुख जनरल वकार-उझ-जमान ने देशवासियों को संबोधित कर घटना की जानकारी दी । साथ ही सेना द्वारा अंतरिम सरकार स्थापित करने की घोषणा की । हसीना के देश छोडकर जाने के विषय में जनरल जमान ने कुछ भी नहीं बताया ।
Sheikh Hasina resigns as the Prime Minister of Bangladesh; leaves the country and reaches India.
▫️#Bangladesh army to form the interim government.
▫️Violent protesters broke into and looted the Prime Minister's residence.
▫️The statue of Sheikh Mujibur Rahman vandalized.… pic.twitter.com/QZZIHE8BKO
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) August 5, 2024
आंदोलन करने वाले विद्यार्थियों को आंदोलन समाप्त कर घर वापस जाना चाहिए !
जनरल जमान ने कहा कि देश में संचारबंदी अथवा आपातकाल लागू करने की कोई भी आवश्यकता नहीं । वर्तमान स्थिति में निर्माण हुए कठिन प्रसंग पर हम आज (५ अगस्त) रात तक उपाय निकालेंगे । बांगलादेश में वर्तमान में निर्माण हुई स्थिति की पृष्ठभूमि पर सेना अंतरिम सरकार स्थापित करेगी । देशभर में फैली हिंसा का पूर्ण दायित्व सेनादल प्रमुख के रूप में मैं लेता हूं । मेरा आंदोलनकारियों से आवाहन है कि वे उनका आंदोलन वापस लें । देश भर में पिछले कुछ सप्ताह में हुई हत्याओं की सेना स्वयं जांच करेगी । आंदोलन करने वाले विद्यार्थी, आंदोलन रोक कर घर लौट जाएं, ऐसा उन्होंने आवाहन किया ।
बांगलादेश सीमा पर भारतीय सेना सतर्क
बांगलादेश में अस्थिरता की पृष्ठभूमि पर बांगलादेश सीमा पर सीमा सुरक्षा बल को सतर्क रहने का आदेश दिया गया है । इस सीमा से भारत में बडी संख्या में निर्वासित आने की संभावना कही जा रही है । इसके पूर्व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसे निर्वासितों का स्वागत है, ऐसा कहा था । जिसका तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विरोध किया था ।
क्या है प्रकरण ?
बांगलादेश में सरकारी नौकरियों में वर्ष १९७१ के युद्ध वीरों के परिवारजनों के लिए ३०% आरक्षित स्थान रखने का निर्णय शेख हसीना सरकार ने लिया था, जिसका युवकों की ओर से कडा विरोध होने लगा । युवकों ने रास्तों पर उतरकर आंदोलन किया । माह पूर्व हुए इन प्रदर्शनों में अनेकों की मृत्यु भी हुई । उच्चतम न्यायालय में यह प्रकरण जाने पर न्यायालय ने आरक्षण ३०% से ५% कर दिया, जिसमें केवल ३% वीरों के परिवारजनों के लिए आरक्षित रखने का निर्णय दिया । इसके उपरांत पुलिस तथा सरकारी सुरक्षा बलों की ओर से किए गए अत्याचारों के विरोध के रूप में विरोध रैलियां निकाली गई, जिससे ४ अगस्त को पुन: हिंसा होकर १०० से अधिक लोग मारे गए । दूसरी ओर इस पृष्ठभूमि पर सरकार की ओर से देश भर में अनिश्चितकाल के लिए संचारबंदी लागू किए जाने पर क्रोधित भीड ने निषेध रैलियों के आयोजन किये । भीड की ओर से नियमित शेख हसीना के त्यागपत्र की मांग की जा रही थी । अंततः हसीना ने त्यागपत्र दिया और देश से पलायन किया ।
संपादकीय भूमिकाभारत के पडोसी पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और बांगलादेश में अस्थिर राजनीतिक स्थिति को देखते भारत को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है । |