Kanwar Yatra Hindu Shops : उत्तर प्रदेश की कावड यात्रा के मार्गों पर हिन्दू दुकानदारों को स्वीकार है दुकानों पर मालिक का नाम लिखना !

कावड यात्रा के मार्ग पर हिन्दू दुकानदार

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश सरकार ने कावड यात्रा के मार्गों पर दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपना वास्तविक नाम लिखने का आदेश दिया था । उसे न्‍यायालय में चुनौती दी गई । तब न्‍यायालय ने उसे स्‍थगित कर दिया । इस संदर्भ में कावड यात्रा के मार्गों पर हिन्दू दुकानदारों ने सरकार के आदेश का स्‍वागत किया है; क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकांश दुकानदार मुस्लिम हैं ।

१. कावड यात्रा में प्रयोग में लाया जानेवाला रथ बनानेवाले दिनेश कुमार ने कहा, ‘मेरी ‘मां हरसिद्धी देवी फॅब्रिकेशन’ नामकी दुकान है । यह दुकान गाजियाबाद में है । अब मुस्लिम लोग अपना नाम परिवर्तित कर इस व्‍यवसाय में बडी संख्या में सहभागी हुए हैं । वे इस व्‍यवसाय को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं । वे अपनी दुकानों को हिन्दू देवी-देवताओं के नाम दे कर व्‍यवसाय कर रहे हैं । इस कारण मेरे ग्राहक उनके पास जा रहे हैं । मेरे घर में मेरे २ भाई हैं । केवल हम तीनों काम नहीं कर सकते । हमें कर्मचारी रखने पडते हैं । मुस्लिमों के घर में अनेक लोग होते हैं एवं वे ही दुकानों में काम करते हैं । सरकार के आदेश के कारण हमें लाभ हुआ है । सभी लोगों को अपना व्‍यवसाय अपने वास्तविक नाम से ही करना चाहिए ।’

२. गाजियाबाद-मेरठ मार्ग पर ढाबा चलानेवाले श्री. अश्‍वनी सैनी ने कहा, ‘एक दुकान मालिक के रूप में नाम को लेकर विवाद निर्माण होने के पीछे का कारण समझ में नहीं आता । ढाबे के वास्तविक मालिक का नाम लिखने में क्या आपत्ति है ?’

३. मेरठ मार्ग पर भोजनालय चलानेवाले रामकुमार चौहान ने कहा, ‘सरकार के निर्णय का पूर्णरूप से स्‍वागत करता हूं । देहली से हरिद्वार इस मार्ग पर नाम परिवर्तित कर ढाबे चलाए जा रहे हैं । उस पर नियंत्रण रखना ही चाहिए ।’

सावरकर नामक ढाबा बंद करना पडा !

मुजफ्‍फरनगर जिले का सावरकर ढाबा बंद करना पडा । ऐसी जानकारी सामने आई है । मुजफ्‍फरनगर-मेरठ महामार्ग पर चीनी के कारखाने के निकट यह ढाबा था । उसके मालिक सत्‍य प्रकाश ने कहा, ‘वीर सावरकर के नाम से ढाबा खोलने के पीछे ग्राहकों को अच्छा खान-पान उपलब्‍ध कर देना नहीं, अपितु उन्हें देश के एक महान क्रांतिकारी के नाम से अवगत कराना था; परंतु विशिष्‍ट विचार के लोगों को ढाबे का नाम पसंद नहीं आया । ढाबे पर ग्राहक आना ही बंद हुए तथा यहां चोरी जैसी घटनाएं भी हुईं । मुजफ्‍फरनगर एवं आसपास के परिसर में अनेक ढाबे फर्जी नामों से चल रहे हैं ।’