प्रधानमंत्री मोदी तथा रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भेंट पर वैश्विक प्रसारमाध्यमों के सूर !
नई देहली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भेंट करने की घटना को विश्वभर के प्रसारमाध्यमों ने बहुत प्रसिद्धि दी है । प्रत्येक माध्यम ने इस घटना की ओर भिन्न-भिन्न दृष्टि से देखा है । उनमें अधिकतर माध्यमों का सूर ‘भारत एवं रूस के मध्य के संबंध अधिक दृढ हो रहे हैं तथा इससे अमेरिका एवं यूरोप के द्वारा रूस को अलगथलग करने के प्रयासों को झटका लगा है’, ऐसा कहा गया है ।
Relationship between India and Russia, stronger than ever, while the United State’s attempt to isolate Russia, seems failing.
Inference by the world media after the meeting between #PMModi and President #Putin.#Diplomacy #WorldNews pic.twitter.com/3J3QJxVaww
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) July 10, 2024
विभिन्न समाचारपत्रों का वार्तांकन !
१. न्यूयॉर्क टाइम्स (अमेरिका) : प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के कारण पुतिन को अलगथलग करने के प्रयास क्षीण हुए हैं, साथ ही इससे युक्रेन की अप्रसन्नता बढी है । ‘अमेरिका के साथ भारत के संबंध भले ही दृढ हो रहे हो, तब भी रूस एवं भारत के मध्य के गहरे संबंध जैसे के वैसे हैं’, यह प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के कारण रूस के राष्ट्रपति पुतिन को विश्व को दिखाने का अवसर मिला है । पश्चिमी देश रूस को दुर्बल बनाने का भले ही प्रयास कर रहे हों; परंतु रूस जिस प्रकार अन्य देशेां से संबंध बढा रहा है, उसके कारण उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है ।
२. द वॉशिंग्टन पोस्ट (अमेरिका) : मोदी की इस यात्रा से भारत का झुकाव पश्चिमी देशों की ओर नहीं है, यह दिखाई देता है । युक्रेन युद्ध आरंभ होने के उपरांत यह भेंट स्पष्टता से यह दर्शाती है कि अमेरिका के दबाव के सामने न झुककर भारत रूस के साथ उसके पुराने दृढ संबंध शाश्वत रखनेवाला है । मोदी को सत्ता में आकर अभी एक महिना भी नहीं हुआ है, तब भी मोदी ने रूस की यात्रा की, अपितु उन्हें इससे यह दिखाना है कि भारत-अमेरिका के मध्य के संबंध भले ही बहुत प्रगति पर हो, परंतु तब भी भारत का झुकाव अभी भी पश्चिमी देशों की ओर नहीं है ।
३. वॉईस ऑफ अमेरिका : पुतिन के लिए यह भेंट महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि इससे वे पश्चिमी देशों को यह संदेश दे रह हैं कि उनके द्वारा थोपे गए प्रतिबंधों का रूस बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुआ है ।
४. बीबीसी हिन्दी (ब्रिटेन) : ‘नाटो’ देशों ने जहां (‘नाटो’ का अर्थ है ‘नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन’ नाम की विश्व के २९ देशों के समूहवाला सैनिकी संगठन) ांचा सहभाग असलेली एक सैनिकी संघटना) मॉस्को के द्वारा युक्रेन पर की गई कार्यवाही का कठोरता से निंदा की है, ऐसे में मोदी ने आज तक पुतिन की स्पष्ट शब्दों में आलोचना नहीं की है । पश्चिमी देश रूस पर विभिन्न प्रतिबंध लगाकर उसे दुर्बल बनाने का प्रयास कर रहे हैं; परंतु पुतिन भारत एवं चीन इन देशों के नेताओं से दृढतापूर्ण संबंध बनाने में व्यस्त हैं ।
५. गार्डियन (ब्रिटेन) : युक्रेन युद्ध के संकट के उपरांत भी मोदी एवं पुतिन ने अपनी मित्रता और अधिक गहरी की है । मोदी ने पुतिन को यह सुझाव दिया कि शांति का मार्ग युद्धभूमि से नहीं गुजरता; परंतु मोदी के इन शब्दों का पुतिन की महत्त्वाकांक्षा पर कोई प्रभाव पडेगा, ऐसा नहीं लगता ।
६. ग्लोबल टाइम्स (चीन) : भारत के इस निर्णय के कारण पश्चिमी देश निराश हैं । ये देश भारत के रूस के साथ मजबूत होते जा रहे संबंधों के प्रति अधिक चिंतित हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है । चीन रूस -भारत के संबंधों को संकट के रूप में नहीं देखता, जबकि पाश्चात्त्य देश भारत-रूस संबंधों पर अप्रसन्न दिखाई देते हैं । पाश्चात्त्य देशों ने भारत को अपनी छावणी में खींचने का तथा चीन के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास किया है । उन्हें यह आशा थी कि भारत रूस के विरोध में खडा रहेगा; परंतु भारत की इस नीति से निराशा उनके हाथ लगी है ।